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रविवार, 1 मई 2016

मजदूर दिवस, बाल श्रम, आप और हम

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

मिलिये छोटू से ...

इस की इस मुस्कान पर मत जाइए साहब ... बेहद शातिर चीज़ है यह ... "देखन मे छोटो , घाव करे गंभीर" टाइप ... इस से बचना नामुमकीन है !

आप कितनी भी कोशिश कर लीजिये ... इस से आप नहीं बच सकते ... दावा है मेरा !!

गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान हो या हाइवे का ढ़ाबा यह छोटू आप को हर जगह मिल जाता है आप चाहे या न चाहे ... और तो और कभी कभी तो आपके घर तक आ जाता है जैन साहब की दुकान से आप के महीने के राशन की 'फ्री होम डिलिवरी' करने ... कैसे बचेंगे आप और हम इस से ... कभी सोचा है !!?

जिस दिन इन जैसे मासूमों छोटूओं को मजदूर बनने से बचा लेना ... मेरे दोस्त जी भर मजदूर दिवस के गीत गा लेना !!

 
ज़रा सोचिएगा ... समय मिले तो ... वैसे जरूरी नहीं है !
सादर आपका 
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हाशिये का नवगीत

हक़ मांग मजूरा !

तोड़ो अदृश्य स्पाती जंजीरें ...

उद्वेग

मजदूर दिवस पर एक जन - गीत

कहानी- ऐसी भी एक बहू!!

२१२. खिलौने

यह दल्ले पत्रकार किस मुंह से प्रेस क्लबों में समारोहपूर्वक मज़दूर दिवस की हुंकार भरते हैं

मजदूर दिवस !

सहरिया से आई जाओ बलमू

अमर क्रांतिकारी स्व ॰ प्रफुल्ल चाकी जी की १०८ वीं पुण्यतिथि

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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

10 टिप्‍पणियां:

  1. सटीक प्रस्तुति शिवम जी । बाल श्रमिक नियम हैं जरूर पर जरूरत कड़ाई से लाग़ु करने की है ।

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  2. बाल मजदूरी गंभीरता से सोचने की जरुरत है। सुन्दर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  3. बाल मजदूरी गंभीरता से सोचने की जरुरत है। सुन्दर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  4. पहल हमें ही करनी चाहिये। बालकों से मजदूरी ना कराकर। उनके शिक्षा दीकषा में हाथ बचा कर।

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  5. सुंदर बुलेटिन । देखते हैं बुलेटिन के आलेख भी।

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  6. शानदार लिंक्स से सजा बुलेटिन ...........हार्दिक आभार

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  7. बहुत सटीक सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  8. बहुत सटीक सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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