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सोमवार, 4 अप्रैल 2016

कंजूस की मेहमान नवाज़ी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक दिन एक कंजूस आदमी के घर कोई मेहमान आ गया। अब कंजूस को यह चिंता सताने लगी कि इस मेहमान की मेहमान नवाज़ी में बेकार का खर्चा हो जायेगा तो उसने अपने अंदाज़ में हालात को कुछ यूँ संभाला।

कंजूस: भाईसाहब, ठंडा लेंगे या गरम?

मेहमान: ठंडा।

कंजूस: जूस या कोल्ड ड्रिंक?

मेहमान: कोल्ड ड्रिंक ले लूँगा।

कंजूस: स्टील के गिलास में लेंगे या काँच के गिलास में?

मेहमान: काँच के गिलास में ले आओ।

कंजूस: प्लेन या डिजाइन वाला?

मेहमान (परेशान होते हुए): अरे यार, डिजाइन वाले में ही ले आओ।

कंजूस: ओके, कौन सी डिजाइन पसंद है? लाइनों वाली या फूलों वाली?

मेहमान: फूलों वाली।

कंजूस: कौन से फूल? गुलाब के या चमेली के?

मेहमान: गुलाब के।

कंजूस (अपनी बीवी से): अरे ज़रा देख तो गुलाब के फूलों की डिजाइन वाला गिलास अपने घर में है या नहीं?

बीवी: नहीं है जी।

कंजूस: ओ तेरी नहीं है, चल फिर कोल्ड ड्रिंक रहने दे। भाईसाहब को मजा नहीं आएगा।

हम बुलेटिन के मामले को कोई कंजूसी नहीं करेंगे ... चलिये चलते है आज के लिंक्स की ओर ...
सादर आपका
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तुम आओगे, सोच के बैठे है इंतज़ार में तुम्हारे......

हर हर गंगे

4-उत्सवों का आकाश

फिर एक बार सालासर बालाजी यात्रा

हवा का दबाव...

कार से बैंगलोर से उज्जैन यात्रा

हर वक़्त दिल दुखाने की बात करता है

गप्प जिन्दाबाद

विकासपुरी का दर्द न जाने कोई 

अकेलापन हावी है, मौत जारी है

भारत में अंग्रेजी परस्तों की साजिश

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत समझदार होते हैं कंजूस लोग :) बढ़िया बुलेटिन

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  2. ऐसे ही एक कंजूस ने अपने बेटे को उसकी बहन के घर भेजा, हालचाल जानने को। जब वह लौट के आया तो बाप ने पूछा, बहन को क्या उपहार दे कर आया ? बेटा भी बाप पर गया था, बोला जाते ही मैंने हाथों को ऐसे फैलाया जैसे कुछ पकड़ा हो और बहन को कहा, ले बहना तरबूज थाम ले। बाप ने पूछा हाथ कितने फैलाए थे ? बेटे ने करीब एक फीट हाथ फैला कर बता दिए। बाप ने तुरंत एक झापड़ रसीद किया बोला, कुछ कम नहीं फैला सकता था मूर्ख ! :-)

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  3. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

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  4. हमारी पोस्ट को जगह देेने के लिये धन्यवाद

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!