प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
आज १३
अप्रैल है ... यु तो हम में से काफी लोगो की ज़िन्दगी में इस दिन का कोई न
कोई ख़ास महत्व जरूर होगा ... किसी का जन्मदिन या फिर किसी की शादी की
वर्षगाँठ ... कुछ भी हो सकता है ... खैर जो भी हो ... आप आज उस खास पल को
याद जरूर कीजियेगा जिस पल ने आप की ज़िन्दगी को ऐसे हजारो खुशनुमा पल दिए !
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बस एक छोटी सी गुज़ारिश है ...
साथ साथ याद कीजियेगा उन हजारो बेगुनाह लोगो को जिन को आज के ही दिन
गोलियों से भुन दिया गया सिर्फ इस लिए क्यों की वो अपने अधिकारों की बात कर
रहे थे ... आज़ादी की बात कर रहे थे ... जी हाँ ... आप की रोज़मर्रा की इस
आपाधापी भरी ज़िन्दगी में से मैं कुछ पल मांग रहा हूँ ... जलियाँवाला बाग़ के अमर शहीदों के लिए ... जिन को आजतक हमारी सरकार ने शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जब कि देश को आजाद हुए भी अब ६९ साल हो जायेंगे !!!
अन्दर जाने का रास्ता ... तंग होने के कारण जनरल डायर अन्दर टैंक नहीं ले जा पाया था ... नहीं तो और भी ना जाने कितने लोग मारे जाते !! |
बाग़ की दीवालों पर गोलियों के निशान |
यहाँ से ही सिपाहियों ने भीड़ पर गोलियां चलाई थी |
हत्याकांड का एक (काल्पनिक) चित्र |
शहीद स्मारक |
सूचना |
इस से पहले भी आप से मैं ऐसी गुजारिश कर चुका हूँ ... आगे भी करता रहूँगा ... ताकि हम भी सरकारों की तरह उन अमर शहीदों को भूल न जाएँ !
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से ९७ वीं बरसी पर जलियाँवाला बाग़ के सभी अमर शहीदों को हमारा शत शत नमन !!
सादर आपका
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~कविता - मैं जलियाँवाला बाग हूँ...
मेरी माँ......
भारत माता की जय ....कुछ समझे लल्लू
पटवों की हवेली : रांची से रेत के शहर जैसलमेर तक -3
आदत है ‘उलूक’ की मुँह के अंदर कुछ और रख बाहर कुछ और फैलाने की
अमरुद का पेड़
ये उत्तम प्रदेश है जनाब !
मेरी पहली श्मशान यात्रा
वोटबैंक और सरकारें..
कम्प्यूटर पर अधिक समय देकर कही आप "कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम" बीमारी को आमंत्रण तो नहीं दे रहे है ?
युद्ध बुद्ध
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
जलियाँवाला बाग़ नरसंहार की ९७ वीं बरसी की याद दिलाती बुलेटिन पर शिवम जी को साधुवाद उनकी लगन के लिये उनको नमन जिसे कोई याद नहीं रख पाता है वो हमेशा उसे हमे याद दिलाने के लिये तत्पर रहते हैं साथ में आभार भी महत्वपूर्ण मुद्दे के बीच में 'उलूक' की फालतू बड़बड़ 'आदत है ‘उलूक’ की मुँह के अंदर कुछ और रख बाहर कुछ और फैलाने की' को भी स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंअमर शहीदों को मेरा नमन। आज का बुलेटिन शहीदों के नाम करने के लिए आपको कोटिश धन्यवाद और आभार।
जवाब देंहटाएंसाथ ही मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
अमर वीर शहीदों को सादर श्रद्धा सुमन!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जयहिंद
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
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