आज महिला दिवस के अवसर पर करती हूँ सलाम हर उस
महिला को जो विपरीत परिस्थितयों में भी
मुस्कुराकर आगे बढ़ने का हौसला रखती है, जो
अपनी कमजोरियों से उभर हरी दूब सी खड़ी होती है, और
बनती है मिसाल हर एक दिल के
लिए.......मुझे लगता है हर औरत एक बहती हुई नदियां होती है, जो
अच्छा बुरा सब लेकर
अपने साथ पत्थरों के बीच से अपने लिए मार्ग निकालती बहती है निरंतर........सो
आज
अपनी एक रचना के माध्यम से हर स्त्री का इस्तेकबाल करती हूँ .......
हां औरत होती ही है बातूनी
खुद से ही बातें करती अक्सर
वो बुनती है गुनती है
टूटे से ख्व़ाब बिखरे से शब्द
पहले बोलती थी उसकी आंखें
अनकहा सब बह जाता था
निर्झर बहते आसुओं संग
फिर सूखने लगे आँखों के कोर
और साथ ही मन के भाव भी....
अब वो बुनती है गुनती है
मन की वेदना घुटी सी चीत्कार
उसका खुद से
बातें करने का सिलसिला
तीव्र होने लगी है उसकी गति
अब अक्सर खुद से बातें करती
नज़र आती है वो....
वो बुनती है गुनती है
चातक सी प्यास तन की सिलवटें
देह की मृगतृष्णा भटकाती उसे
क्षणिक चमक भरमाती उसे
ढूंढती उसमें वो तृप्ति
लेकिन तोड़ ये मकड़जाल संभलती वो.....
वो बुनती है गुनती है
मन का अंतर्द्वंद और आत्मचिंतन
जो ले जाता उसे अनंत की ओर
खींचता बरबस अपनी ओर
कुछ निर्भय और आश्वस्त होती
अपने बिखरे वजूद को बटोरती वो....
वो बुनती है गुनती है
मन की रिक्तता मरु सी तपिश
अब खटकते नहीं सपने
उसकी आखों में हाँ आंखें उसकी
जो स्व्प्नीली थी कभी
फिर से जीवंत नज़र है आने लगी वो.....
अब बुनती है गुनती है
मन के गीत मीठा सा संगीत
जो सुकून दे जाता है उसे
खुद से बातें करने का सिलसिला
अब हो गया है अनवरत सा
हर पल बुदबुदाती गुनगुनाती वो
लिखती कभी पीड़ा कभी जीवन के गीत .....
हाँ बुनती है गुनती है
वो अब हरसिंगार की खुशबू
मीठे से अहसास
बातें करना खुद से रास आने लगा उसे
अब क्योंकि मिल गया जरिया उसे
अपनी पीड़ा रिक्तता ख़ुशी ग़म
हर भाव को शब्दों में उकेरने का...
अब वो बुनती है गुनती है
कलकल सी हंसी मुस्कुराते भाव
हाँ नारी होती है बातूनी
खुद से करती है बातें हर पल .......
वो बुनती है गुनती है
टूटे से ख्व़ाब बिखरे से शब्द
पहले बोलती थी उसकी आंखें
अनकहा सब बह जाता था
निर्झर बहते आसुओं संग
फिर सूखने लगे आँखों के कोर
और साथ ही मन के भाव भी....
अब वो बुनती है गुनती है
मन की वेदना घुटी सी चीत्कार
उसका खुद से
बातें करने का सिलसिला
तीव्र होने लगी है उसकी गति
अब अक्सर खुद से बातें करती
नज़र आती है वो....
वो बुनती है गुनती है
चातक सी प्यास तन की सिलवटें
देह की मृगतृष्णा भटकाती उसे
क्षणिक चमक भरमाती उसे
ढूंढती उसमें वो तृप्ति
लेकिन तोड़ ये मकड़जाल संभलती वो.....
वो बुनती है गुनती है
मन का अंतर्द्वंद और आत्मचिंतन
जो ले जाता उसे अनंत की ओर
खींचता बरबस अपनी ओर
कुछ निर्भय और आश्वस्त होती
अपने बिखरे वजूद को बटोरती वो....
वो बुनती है गुनती है
मन की रिक्तता मरु सी तपिश
अब खटकते नहीं सपने
उसकी आखों में हाँ आंखें उसकी
जो स्व्प्नीली थी कभी
फिर से जीवंत नज़र है आने लगी वो.....
अब बुनती है गुनती है
मन के गीत मीठा सा संगीत
जो सुकून दे जाता है उसे
खुद से बातें करने का सिलसिला
अब हो गया है अनवरत सा
हर पल बुदबुदाती गुनगुनाती वो
लिखती कभी पीड़ा कभी जीवन के गीत .....
हाँ बुनती है गुनती है
वो अब हरसिंगार की खुशबू
मीठे से अहसास
बातें करना खुद से रास आने लगा उसे
अब क्योंकि मिल गया जरिया उसे
अपनी पीड़ा रिक्तता ख़ुशी ग़म
हर भाव को शब्दों में उकेरने का...
अब वो बुनती है गुनती है
कलकल सी हंसी मुस्कुराते भाव
हाँ नारी होती है बातूनी
खुद से करती है बातें हर पल .......
*******किरण आर्य*******
एक नज़र आज के बुलेटिन पर
प्यार और पागलपन
सम्बोधन पत्रिका के स्वर्ण जयन्ती वर्ष पर प्रकाशित - प्रेम -कथा अंक ( अक्टूबर -जनवरी 2016 ) में प्रकाशित कहानी 'सरल समर्पण ' का अंश
फिर एक सफ़र आँखों के आगे है...
चौराहे का घर
बाजारवाद ही सही....
अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी[Happy Women's Day]
हे भूतनाथ हे कैलाशी
महिलाओं के साथ भेदभाव क्यों ....?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
सम्बोधन पत्रिका के स्वर्ण जयन्ती वर्ष पर प्रकाशित - प्रेम -कथा अंक ( अक्टूबर -जनवरी 2016 ) में प्रकाशित कहानी 'सरल समर्पण ' का अंश
फिर एक सफ़र आँखों के आगे है...
चौराहे का घर
बाजारवाद ही सही....
अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी[Happy Women's Day]
हे भूतनाथ हे कैलाशी
महिलाओं के साथ भेदभाव क्यों ....?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
आज की बुलेटिन में बस इतना ही मिलते है फिर इत्तू
से ब्रेक के बाद । तब तक के लिए शुभं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं । बातूनी पुरुष भी बहुत बातूनी होते हैं :)
जवाब देंहटाएंअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनायें ! आज के बुलेटिन में आपने मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित किया इसके लिये आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद किरण जी !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बहुत सुन्दर प्रेरक कविता के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन किरण जी ... आभार आपका |
सुंदर भाव किरण। महिला दिवस पर उत्कृष्ट पोस्ट साँझा हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव किरण। महिला दिवस पर उत्कृष्ट पोस्ट साँझा हेतु आभार
जवाब देंहटाएं