सभी ब्लॉगर मित्रों को राम राम....
आज के दिन का आगाज़ करती हूँ सीमा दी के एक गीत के साथ जो सभी
रचनाकारों को समर्पित है......
चूल्हा और किसी के घर का
किसी और का है भंडारा
और किसी का पत्तल-दोना
किसी और का है चटकारा
किसी और का है भंडारा
और किसी का पत्तल-दोना
किसी और का है चटकारा
यहां वहां से मांग-तांग कर
हल्ला-गुल्ला,गर्जन-तर्जन
बहरे कानो ने लिख डाले
जाने कितने क्रंदन-कूजन
हल्ला-गुल्ला,गर्जन-तर्जन
बहरे कानो ने लिख डाले
जाने कितने क्रंदन-कूजन
राम राम जप धरा जेब में
माल पराया मीठा-खारा
माल पराया मीठा-खारा
फुटपाथों की भोर-निशाएं
'पाँच सितारा' ने रच डाली
भरे हुए पेटों ने परखी
भूख-प्यास की रीती थाली
'पाँच सितारा' ने रच डाली
भरे हुए पेटों ने परखी
भूख-प्यास की रीती थाली
पनही गाये फटी बिवाई
ले सिसकारी का इकतारा
ले सिसकारी का इकतारा
खुले व्योम ने लिखी कथाएं
पिंजरे वालों के पाँखों की
नदियों ने खींची तस्वीरें
तृषा भरी जलती आँखों की
पिंजरे वालों के पाँखों की
नदियों ने खींची तस्वीरें
तृषा भरी जलती आँखों की
कुल-कुनबे के गीत रच रहा
गलियों में फिरता बंजारा.......सीमा अग्रवाल
गलियों में फिरता बंजारा.......सीमा अग्रवाल
एक नज़र आज के बुलेटिन पर
मंटो की एक और कहानी
ढपोरशंख
उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ साहब की सौ वीं जयंती
रंग गुलाबी ................
होली का हुडदंग..
पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
अनजान
आज की बुलेटिन में बस इतना ही मिलते है फिर
इत्तू से ब्रेक के बाद । तब तक के लिए शुभं।
होली की शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंकिरण बहुत खूब ... सीमा जी की सुंदर रचना. 'बात इतनी से कहने आया हूँ' को स्थान देने हेतू आभार ... शुभम
जवाब देंहटाएंसन्तुलित चयन ...
जवाब देंहटाएं"झरोखा" को सम्मिलित करने के लिए आभार !
सन्तुलित चयन ...
जवाब देंहटाएं"झरोखा" को सम्मिलित करने के लिए आभार !
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबुलेटिन परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
बढ़िया बुलेटिन किरण जी ... आभार |
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
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