अभी अगिला हफ्ता (बिहार में बहुत सा लोग पिछला
को अगिला कहते हैं जैसे अगिला साल आपसे मुलाकात हुआ ‘था’) के हीरो थे लाल देह लाली
लसै वाले सफेद दाढ़ी मोंछ अऊर चोटी रखने वाले सिरीमान बिजय मालया जी. इस बीच उनको
जेतना गाली मिला उससे जादा गाली बैंक वालों को मिला. लोग के मन में टैक्स देने
(टैक्स चोराने वाले भी ई भीड़ में सामिल हो जाता है) वाले का पइसा डूब जाने का बहुत
बड़ा अफसोस भी था. बहुत सा लोग के मन में गरीब-मजदूर-किसान के प्रति भी दरद देखने
को मिला कि अगर ऊ बेचारा करजा नहीं चुका पाता है त बैंक वाला कइसे उसका देह का खाल
उतार लेता है. मीडिया में वीडियो देखाकर साबित करने का कोसिस किया गया कि बैंक
वाला भी पूँजीपति का साथ देता है अऊर गरीब-मजदूर-किसान का बिरोधी है.
जाने दीजिये ऊ सब बात. तनी इलेक्सन के
टाइम में नेता लोग का भासन पर गौर कीजिये. “हमारी पार्टी अगर सत्ता में आएगी तो आप
लोगों के सारे कर्ज़ माफ़ कर देगी.” “हमारी पार्टी सभी जरूरतमन्द उद्यमी और किसान को
नया कर्ज़ देगी ताकि वो अपना खोया रोजगार पा सकें”. भाई साहेब, ई जो कर्जा आप माफ़
किये हैं, चाहे जो आँख बन्द करके लोन देने का घोसना कर रहे हैं ऊ पइसा का आपके
पापाजी रख गये थे कि दहेज में मिला था आपको.
आप सिसु, किसोर, तरुन लोन का घोसना कर
दिये. अखबार में पूरा पेज का बिग्यापन छाप दिये हाथ जोड़कर फोटो लगा दिये कि अपना
घर के सामने जाओ और ले लो लोन. अऊर बैंक को लाठी देखा दिये कि एतना करोड़ लोन मार्च
तक करना है. अब सुनिये हमरे बैंक से का फोन आता है.
”वर्मा जी! आपके कितने शिशु हो गये?”
”सर! कोशिश कर रहा हूँ हो जाएँगे!”
”हो जाएँगे का क्या मतलब! परमार के 15 शिशु
हो गये!”
”सर! वो जवान लड़का है. मेरी उम्र भी तो
देखिये!”
”वो सब बहाना नहीं चलेगा. 25 तारीख़ तक 25
शिशु हो जाने चाहिये!”
उधर बैंक के दरवाजे पर मेला लगा हुआ है कि
हमको लोन दो, सरकार ने हमारे लिये योजना बनाई है. सुनिये जल्दी से लोन मंजूर
कीजिये यहाँ से दूसरा बैंक में भी लोन लेने जाना है.
“ठीक है! ये बताइये आपको किस काम के लिये
लोन चाहिये?”
”आप लोन दे दीजिये, काम हम सोच लेंगे!”
बचपन से एही सुनते आये हैं कि चोरी चाहे
हजार का हो चाहे लाख का, चोरी त चोरिये होता है. अब सरकार का दखल (सरकारी बैंक का मालिक
है सरकार) एतना है कि बैंक साँप अऊर छुछुन्दर वाला हाल में होता है. सबको अपना
प्रोमोसन, तरक्की का चाह हो न हो, सजा अऊर झूठा इल्जाम में सजा से बहुत डर लगता
है. नतीजा “किंगफिशर”.
सब लोग बैंक को गाली दे रहे हैं अऊर सब
आजकल प्रोजेक्ट फायनेंस का एक्स्पर्ट बने घूम रहे हैं. बाकी सोचिये जो बात आपको
बुझाता है, ऊ स्टेट बैंक को नहीं बुझाता होगा? जबकि ऊ लोग का लोन देने का तरीका
बहुत सख्त है. मगर पॉलिटिक्स जो न कराए.
बिजय बाबू को कोई नेता सफेद कॉलर वाला
आतंकवादी बताया. ए भाई, ई नेता लोग पावर नाम का पिस्तौल कनपटी पर रखकर देस का हवाई
जहाज हाइजैक किये जा रहा है, उसको कोई आतंकवादी नहीं कहता है.
बहुत खराब हो गया ई बुलेटिन. मगर का
कीजियेगा, हम भगवान सिव थोड़े न हैं कि मुँह का स्वाद कड़वा हो तब्बो नीलकण्ठ कहाएँ.
आप लोग अच्छा अच्छा पोस्ट का आनन्द लीजिये, रहे हम... त बिहारी है बिहारी के बात
का क्या!!
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अतुल श्रीवास्तव जी की नजर में 'काँच के शामियाने '
आधी-अधूरी पंक्तियों का नशा...
सूखे फूल : उदास चिराग......दुष्यंत कुमार
159. शिवजी और हनुमानजी के गुण और हम
हींग के फायदे
रंग भरा गुब्बारा
आज एक दिन
तमाशा जात मज़हब का खड़ा करना बहाना है
विस्थापन ..
बड़ा कौन???
जनरल डायर नहीं, माइकल ओडवायर को मारा था अमर शहीद ऊधम सिंह जी ने
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नौकरी पाना भी कठिन, करना भी कठिन हो गया है आज के दौर में. एक काम आसान समझ में आता है ...जन सेवा! मगर यह ज्ञान बहुत बाद में हुआ. :(
जवाब देंहटाएंवाह :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या..
जवाब देंहटाएंआभार,
अच्छी रचनाएँ भी मिली यहाँ
सादर
भगवन करे आपके जल्दी ही हजार शिशु हो जाएँ!
जवाब देंहटाएंअब एक आप बीती...!
भ्रम ही है कि बैंक लोन हथेली पर लिए घूमते हैं. हमारे बेटे को विदेश पढ़ाई के लिए लोन चाहिए था...भारतीय स्टेट बैंक ने हमें रुला दिया, मगर नहीं देना था तो नहीं दिया.
कहते हैं प्रोपर्टी या लिक्विड फंड मोर्गेज रखो लोन अमाउंट के बराबर...हमने कहा कि प्रोपर्टी या लिक्विड फंड हो तो कोई लोन ले ही क्यूँ!
मालूम है क्या जवाब था उनका- बैंक ने धर्म खाता खोल रखा है क्या!(चलो फूटो वाले भाव के साथ)
केतना बुरा पोस्ट डाले हैं, सच्ची... का हुईगा दिपुआ..
जवाब देंहटाएंग़ज़ब व्यंग्य है भाई
जवाब देंहटाएंग़ज़ब व्यंग्य है भाई
जवाब देंहटाएंअजब गजब ढाया है ... एतना बुरा पोस्ट डाल के ...
जवाब देंहटाएं"आप लोन तो मंजूर करदो काम बाद में सोच लेंगे ."--यह बहुत बडी और कडवी सच्चाई है .कितने ही ऐसे लोग हैं जो रोजगार के नाम से लोन लेकर कर्जा चुकाते हैं ,शौकिया सामान खरीदते हैं .हाल यह कि जितने गूलर फोडोगे उतने कीडे निकलेंग . हम लोग कीडों के बीच जिये जा रहे हैं .
जवाब देंहटाएं@ बिजय बाबू को कोई नेता सफेद कॉलर वाला आतंकवादी बताया. ए भाई, ई नेता लोग पावर नाम का पिस्तौल कनपटी पर रखकर देस का हवाई जहाज हाइजैक किये जा रहा है, उसको कोई आतंकवादी नहीं कहता है.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा है बहुत बढ़िया व्यंग्य वाकई, कल फेसबुक पर कुछ स्पष्ट नहीं हुआ सिवाय हँसने के पूरी पोस्ट अभी पढ़ी है :) बेहतरीन !
यह बिल्कुल कडवी सच्चाई है कि ज्यादातर बैंक लोन भी समर्थों को ही देते है। गरीब बीचारा चप्पल घिसते ही रह जाता है! बढिया प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंयह बिल्कुल कडवी सच्चाई है कि ज्यादातर बैंक लोन भी समर्थों को ही देते है। गरीब बीचारा चप्पल घिसते ही रह जाता है! बढिया प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंये शिशु वाला किस्सा पहले भी सुना है आप से ... शायद फेसबुक पर या किसी ब्लॉग पोस्ट पर ... बहूआयामी किस्सा है !!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार बुलेटिन दादा ... आभार आपका |
जबरदस्त प्रस्तुति के साथ सार्थक सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंएक अजीब कश्मकश के बीच जी रहे हैं... कुछ बुरे लोगों ने कई अच्छे लोगों के रास्ते बंद कर दिए हैं. शायद यह उसी सचाई को सिद्ध करता है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, लेकिन तालाब की सारी अच्छी मछलियाँ उन गंदी मछली को अच्छा नहीं बना सकती!
जवाब देंहटाएंअब त्यागी सर की बात ही ले लीजिये! उनकी घटना पर बैंकिंग समुदाय की ओर से मैं माफ़ी माँगता हूँ! आपने इस पोस्ट को सराहा, यह मेरा सौभाग्य है और बुलेटिन टीम की मिहनत का पुरस्कार!!
जबरदस्त व्यंग्य। शानदार बुलेटिन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर व्यंग्य - हकीकत - और हाँ आभार 'विस्थापन'को स्थान देने हेतू ...
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