सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।।
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न्यूज़ ब्रेक करता है सोशल मीडिया
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माँ कहती थी आ गौरैया कनकी चांवल खा गौरैया
आजकल
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर … अभिनन्दन।।
आनंद बख़्शी का जन्म पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में 21 जुलाई 1930 को हुआ था। आनंद बख़्शी को उनके रिश्तेदार प्यार से नंद या नंदू कहकर पुकारते थे। बख़्शी उनके परिवार का उपनाम था, जबकि उनके परिजनों ने उनका नाम 'आनंद प्रकाश' रखा था, लेकिन फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद 'आनंद बख़्शी' के नाम से उनकी पहचान बनी। आनंद बख़्शी के दादाजी सुघरमल वैद बख़्शी रावलपिण्डी में ब्रिटिश राज के दौरान सुपरिंटेंडेण्ट ऑफ़ पुलिस थे। उनके पिता मोहन लाल वैद बख़्शी रावलपिण्डी में एक बैंक मैनेजर थे, और जिन्होंने देश विभाजन के बाद भारतीय सेना को सेवा प्रदान की। नेवी में बतौर सिपाही उनका कोड नाम था 'आज़ाद'। आनंद बख़्शी ने केवल 10 वर्ष की आयु में अपनी माँ सुमित्रा को खो दिया और अपनी पूरी ज़िंदगी मातृ प्रेम के पिपासु रह गए। उनकी सौतेली माँ ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इस तरह से आनंद अपनी दादीमाँ के और क़रीब हो गए। आनंद बख़्शी साहब ने अपनी माँ के प्यार को सलाम करते हुए कई गानें भी लिखे जैसे कि "माँ तुझे सलाम" (खलनायक), "माँ मुझे अपने आंचल में छुपा ले" (छोटा भाई), "तू कितनी भोली है" (राजा और रंक) और "मैंने माँ को देखा है" (मस्ताना)।
( साभार :- http://bharatdiscovery.org/india/आनंद_बख़्शी )
आनंद बख्शी जी 14वीं पूण्यतिथि पर हिन्दी ब्लॉगजगत और हमारी ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें शत शत नमन करता है तथा भावविभोर श्रद्धांजलि अर्पित करता है। सादर।।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर..........
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सुंदर चिट्ठों से सजा बुलेटिन। मेरे चिट्ठे को जगह देने का आभार।
जवाब देंहटाएंआनंद बख्शी साहब को श्रध्दांजली। उनके गीतों को सलाम।
जवाब देंहटाएंआनंद बख्शी जी की 14वीं पूण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंआनंद बख्शी जी की 14वीं पूण्यतिथि पर सादर नमन|
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन हर्ष ... आभार आपका |
:)
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