प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
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"ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में मनुज नहीं लाया है।
अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है॥"
-रामधारी सिंह दिनकर
अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है॥"
-रामधारी सिंह दिनकर
सादर आपका
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क्या लिखें .... क्या लिखें गीत
पिता
ताज्जुब नहीं!
पलाश की दीवानी
यह देश कब जागृत और परिपक्व होगा ?
खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम
अपशब्द
अमर शहीद पंडित चन्द्र शेखर आज़ाद जी की ८५ वीं पुण्यतिथि
बसंत
अरे क्या साँप सूँघा है सभी को
ऊपर वाले के जैसे ही कुछ अपने अपने नीचे भी बना कर वंदना कर के आते हैं
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
हिन्दी ब्लॉगर्स के लिये एक खुशखबरी। अगर आप भी हिन्दी ब्लागर हैं तो एक बार इस ब्लॉग पर जरूर पधारें। ब्लॉग पर जानें के लिये यहॉ क्लिक करें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शनिवारीय बुलेटिन । आभार शिवम जी 'उलूक' के सूत्र 'ऊपर वाले के जैसे ही कुछ अपने अपने नीचे भी बना कर वंदना कर के आते हैं' को आज के अंक में स्थान दिया । फ़ारुख अब्बास जी ब्लॉग पर जानें के लिये यहॉ क्लिक करें पर क्लिक करने पर Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist मिला ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन .
जवाब देंहटाएंAabhar
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंachhi buletin,aapne mere post ko jagah diya aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार!