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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

देश की पहली मिसाइल 'पृथ्वी' और ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार मित्रो,

देश में इस समय देशभक्ति, देशद्रोह जैसे मुद्दे हवा में तैर रहे हैं. लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाले संसद पर हमले के आरोपी को शहीद घोषित करके वास्तविक शहीदों का अपमान किया जा रहा है. राजनैतिक परिवारों, पदों से जुड़े लोग ऐसे आरोपी का समर्थन करने वालों के साथ खड़े दिख रहे हैं. क्षुद्र राजनैतिक मंशा के चलते शहीदों को विस्मृत किया जा रहा है; सैनिकों के ज़ज्बात को कम करके आँका जा रहा है; जिस तिरंगे के लिए कई-कई जवानों ने अद्यतन अपनी जान कुर्बान की है, उसी तिरंगे के फहराए जाने के समय की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. शर्मसार करता है वो दृश्य जबकि एक पूर्व सैन्य अधिकारी को सम्पूर्ण देश ने टीवी चैनल पर सेना के अकेलेपन की स्थिति पर आँसू छलकाते देखा. ऐसी विडम्बनापूर्ण स्थितियों के बीच भी कुछ-कुछ पल ऐसे आते हैं जो गौरवान्वित करते हैं. हमारे वैज्ञानिकों पर, सेना पर, सैनिकों पर गर्व करने को प्रेरित करते हैं. आज 25 फरवरी ऐसा ही दिन लेकर आया है. 

आज से 28 वर्ष पूर्व 1988 को देश की पहली मिसाइल ‘पृथ्वी’ का पहला सफल परीक्षण किया गया. पृथ्वी भारत की स्वदेशी तकनीक से निर्मित प्रथम बेलिस्टिक मिसाइल है. यह भारत के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत बनाई गई है. सतह से सतह तक मार करने वाली इस मिसाइल का निर्माण रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन तथा भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के द्वारा किया गया.  4400 किग्रा वजनी, 9 मीटर लम्बी इस मिसाइल की मार 150 किमी की है. यह परमाणु हथियारों समेत 500 किलोग्राम से किलोग्राम से लेकर एक टन तक का भार वहन कर सकती है. पृथ्वी के पहले सफल परीक्षण के बाद इसके कई संस्करणों का सफल परीक्षण किया जा चुका है. इसमें पृथ्वी-1 को थल सेना के अनुरूप, पृथ्वी-2 को वायु सेना के अनुरूप तथा पृथ्वी-3 को जल सेना के अनुरूप डिजाइन किया गया है. पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 की मार क्रमशः 250-350 किमी और 350-600 किमी है. समय के साथ होते परिवर्तनों ने पृथ्वी मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ाया ही है. पृथ्वी-2 भारतीय सेना में 2003 में लाई गई थी जो पहली मिसाइल थी जो रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम की तकनीक के अंतर्गत बनाई गई मिसाइल है. यकीनन युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं किन्तु अपनी सैन्य क्षमता को लगातार समृद्ध, सशक्त करने से एक तरफ जहाँ सेना का, सैनिकों का, देशवासियों का मनोबल बढ़ता है वहीं दूसरी तरफ देश के दुश्मनों के हौसले भी पस्त होते हैं. 

आइये अपने तिरंगे, अपनी सेना, अपने सैनिकों और अपने तमाम आयुधों पर गर्व करते हुए आज की बुलेटिन का आनंद उठायें. 

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2 टिप्‍पणियां:

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