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मंगलवार, 19 जनवरी 2016

गलतियों को इंगित करना आसान नहीं




पहले कम उम्र में शादी होने के कारण थे, 
कम उम्र को डाँट - फटकार सबकुछ सीखा लेते थे ससुराल के लोग ! खानदान सिर्फ पुरुष का मानते हुए 
कम उम्र की व्यस्तता में, बच्चों की परवरिश में, सास,ननद की प्रतिदिन की मालिश में सबकुछ भूल जाती थी लड़की , पति परमेश्वर है - इसकी गाँठ होती थी !
अब लड़कियों की उनकी ख़ास उम्र, उनकी पहचान से सबकुछ बदला , उनके ससुराल की तरह उनका मायका भी विशेष हुआ।  खानदान सिर्फ पैतृक नहीं, माँ का भी हुआ  . 
लेकिन इस सकारात्मक परिवर्तन की आड़ में चालाकियाँ होने लगीं  =  
अब पैसा, और अपना समय प्रमुख हो गया है  .... 
और परिपक्व उम्र की गलतियों को इंगित करना आसान नहीं 


लिंक्स देखिये और सोचिये =

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह … बहुत सुंदर पठनीय लिंक , आभार आपका !
    रोटी को रोते बच्चों का,
    तन के जीर्ण शीर्ण वस्त्रों का,
    चौराहे बिकते यौवन का
    या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
    किस किस का इतिहास लिखूं मैं

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  2. बहुत सुन्दर लिंक्स... आभार

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  3. बहुत सुन्दर लिंक्स... आभार

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  4. कम उम्र में स्वयं को ढाल लेने की क्षमता कहीं अधिक होती है।

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  5. सार्थक चिंतनशील बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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