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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

तुम्हारे हवाले वतन - हज़ार दो सौवीं ब्लॉग बुलेटिन


मितरों,
अभी कुछ रोज पहिले जो देस में आतंकवाद का घटना घटा है, उसको देखकर बिदेस नीति चाहे राजनीति जो हो एगो सवाल हमरे दिमाग में हमेसा घूमता रहता है. नौजवान, नबजुबक लोग को, समझ में नहीं आता है कि धरम के नाम पर कोई चुपचाप परदा के पीछे से लोग को मौत का मुँह में धकेल रहा है. परदा का पीछे से कठपुतली का डोर सम्भालने वाला लोग का तो मकसद हो सकता है, पैसा और पावर... बाकी जवान जवान बच्चा सब, का मालूम का सोच के अपना जान गँवा देता है अऊर भी कौड़ी के मोल. सुने कि आतंकबादी में से एगो की माय उसको फोन पर बोली कि बेटा पहिले खाना खा लेना. माय कभी सोची कि अपना दूध में कऊन जहर मिलाकर पिलाई थी जो एतना जहरीला सँपोला तैयार हो गया.

हमारे देस में भी क्रांतिकारी लोग को आतंकवादी बताने का साजिस हमेसा से चलता रहा है. असल में हमलोगों को अपना इतिहास अंगरेज लोग से पढ़ने का आदत हो गया है अऊर लोग के नजर में स्वतंत्रता संग्राम का हर सिपाही आतंकवादी था. लेकिन बात केतना लोग समझ पाता है कि अपना जन्मभूमि को आजाद करवाने वाला अगर आतंकवादी है तो दूसरा देस में चोरी से घुसकर निर्दोस लोग का खून करने वाला लोग के लिये तो कोई अलगे सब्द बनाना चाहिये.

आज शूर्जो शेन (सूर्य सेन) या प्यार से कहें तो मास्टर दा का सहीदी दिवस है. आज ही के रोज चिट्टगोंग में अंग्रेजों के हथियार लूटने वाले और इण्डियन रिपब्लिकन आर्मी के संस्थापक मास्टर दा को फाँसी दिया गया था. उन्हीं का प्रेरना था कि कलकत्ता के राइटर्स बिल्डिंग में घुसकर पुलिस सुपरिंटेंडेंट को मौत के घाट उतार दिया था बिनय, बादल और दिनेश नाम के नौजवान क्रांतिकारी लोग. आज भी कलकत्ता का बि.बा.दि. बाग उसका याद दिलाता है. लोग देस को आजाद करवाने के लिये घटना को अंजाम दिया, भी देस के अंदर से बिदेसी लोग को भगाने के लिये अऊर मातृभूमि को मुक्त कराने के लिये. 12 जनवरी के इस रोज हम मास्टर दा को प्रनाम करते हैं.

आज का दिन एक और चिर जुबा को याद करने का दिन है. जिसका जन्मदिन यानि 12 जनवरी युवा दिवसके रूप में मनाया जाता है स्वामी विवेकानन्द. आज भले लोग भासन देने के समय भाइयो और बहनोबोलता है, लेकिन जुबा जब बिदेस के धरती पर भाइयो और बहनों कहा भासन का टाइम खतम हो गया, मगर ताली बजना खतम नहीं हुआ. उनको याद करना, उनके आदर्स को अपना जीबन में उतारना अऊर अपना सकारात्मक ऊर्जा देस के लिये लगाना, हर जुबा के लिये प्रेरना है. 12 जनवरी के दिन स्वामी बिबेकानंद जी को हमारा सत सत नमन.

चलिये बात का दिसा तनी मोड़ते हैं. अभी कुछ रोज पहिले मुम्बई में एगो इस्कूल का बच्चा किरकेट खेलते हुये, एक्के मैच में हज़ार रन बना गया... 1009 रन भी नॉट आउट. देस का नाम आसमान में ऊँचा करने वाला बच्चा है प्रणव धनावडे. पुराना इतिहास मिटाकर, नया इतिहास लिख गया अपना बल्ला से.


मगर रिकॉर्ड का कमी हमारे, माफ़ कीजियेगा आपके ब्लॉग बुलेटिनके पास भी नहीं है. अब देखिये, आज 12 तारीख है अऊर आज से ठीक एक महीना बाद 12 फरवरी को हमारा सालगिरह भी है... एतना अधीर मत होइये, कोनो रिकॉर्ड नहीं है, रिकॉर्ड है हमारा 1200 वाँ पोस्ट. अगर आँकड़ा आपको चौंकाता नहीं है सुनिये कि बुलेटिन का एक हज़ार दो सौवाँ पोस्ट है.

बस! आपका आसीर्बाद अऊर हमारा चुना हुआ कुछ लिंक्स... देखिये, पढ़िये अऊर दुआ कीजिये सलामत रहे दोस्ताना हमारा!!












13 टिप्‍पणियां:

  1. इ मास्टर बुलेटिन का इंतज़ार हमको ही नहीं, सबको रहता है ... अगर ब्लॉगवा बोलता त कहता - "ए बिहारी कहाँ हो ? एक सच का जाम बनाओ भाई ..."
    अब लिंक्स का आनंद भी लेंगे

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  2. बुलेटिन की इस १२ सौवीं पोस्ट की प्रस्तुति को हमारी ओर से २१ तोपों की सलामी!

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  3. बहुत बधाइयाँ जी . आपकी पोस्ट का इंतजार रहता है

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  4. कुछ फुरसत के पलों में सिर्फ ब्लॉग बुलेटिन पढना ही ऊर्जा भर देता है ,बधाई हो भैया!

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  5. कुछ फुरसत के पलों में सिर्फ ब्लॉग बुलेटिन पढना ही ऊर्जा भर देता है ,बधाई हो भैया!

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  6. बहुत बहुत आभार... लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ... लोग हमें भूले नहीं , यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है!! धन्यवाद!

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  7. बहुत बहुत आभार... लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ... लोग हमें भूले नहीं , यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है!! धन्यवाद!

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  8. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
    लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  9. ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और सभी पाठकों को इस कामयाबी पर ढेरों मुबारकबाद और शुभकामनायें|


    सलिल दादा और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद ... आप के स्नेह को अपना आधार बना हम चलते चलते आज इस मुकाम पर पहुंचे है और ऐसे ही आगे बढ़ते रहने की अभिलाषा रखते है |

    ऐसे ही अपना स्नेह बनाए रखें ... सादर |

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  10. लम्बे अंतराल के बाद सलिल जी दिखे :) आभार 'उलूक' के सूत्र 'अब आत्माऐं होती ही नंगी हैं बस कुछ ढकने की कुछ सोची जाये' को जगह मिली । टंकण में सुशील सुनील हो गया है ।

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