प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक सरकारी बैंक में भर्ती का इंटरव्यू चल रहा था। एचआर मैनेजर पहले सवाल का जवाब सुनकर ही 200 से ज्यादा लोगो को रिजेक्ट कर चूके थे।
अब अंतिम 3 बचे थे...
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
पहला कैंडिडेट
कैंडिडेट 1: सुरेश सिंह
मैनेजर: Get out.
दूसरा कैंडिडेट
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
कैंडिडेट 2: मेरा नाम गिरीश चंद्र है।
मैनेजर: दफा हो जाओ।
तीसरा कैंडिडेट
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
तीसरा कैंडिडेट कुछ नहीं बोला
मैनेजर: मैंने पूछा What's your name?
कैंडिडेट फिर चुप
मैनेजर: अबे अपना नाम बता
कैंडिडेट अभी भी चुप
मैनेजर: सर कृपया अपना नाम बताइये।
कैंडिडेट 3: मुझे नहीं पता, काउंटर नंबर 4 में पूछिये।
मैनेजर: बहुत खूब तुम इस पद के लिए एकदम सही हो...तुम्हारी नौकरी पक्की।
अब अंतिम 3 बचे थे...
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
पहला कैंडिडेट
कैंडिडेट 1: सुरेश सिंह
मैनेजर: Get out.
दूसरा कैंडिडेट
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
कैंडिडेट 2: मेरा नाम गिरीश चंद्र है।
मैनेजर: दफा हो जाओ।
तीसरा कैंडिडेट
मैनेजर: तुम्हारा नाम क्या है?
तीसरा कैंडिडेट कुछ नहीं बोला
मैनेजर: मैंने पूछा What's your name?
कैंडिडेट फिर चुप
मैनेजर: अबे अपना नाम बता
कैंडिडेट अभी भी चुप
मैनेजर: सर कृपया अपना नाम बताइये।
कैंडिडेट 3: मुझे नहीं पता, काउंटर नंबर 4 में पूछिये।
मैनेजर: बहुत खूब तुम इस पद के लिए एकदम सही हो...तुम्हारी नौकरी पक्की।
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बाप अपने बेटे की बलि दे रहा है!शर्मनाक है?साक्षरता,विकास और रोज़गार
1857 की क्रान्ति में पेशवा का योगदान
प्राची में डूबा अंशुमान ,....
शौक़ जल्व:गरी का
जोगी इस तूफ़ां में नहीं उखड़े तो पुस्तें लग जाएंगी उखाड़ने में....
153. मिट्टी की झोपड़ी
रवीन्द्र कालिया की कहानी 'नौ साल छोटी पत्नी'
मेरा दर्द न जाने कोय - कविता
सर के बाल कब धोऊ...???
बीते साल की कुछ बातें और नए साल पर की गयी एक पुरानी आदत की शुरुआत
मन्नत [लघुकथा]
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बढ़िया बुलेटिन । सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति शिवम् जी।
जवाब देंहटाएंसमस्त रचनाएं पठनीय
जवाब देंहटाएंआभार इन मोतियों के लिए
सादर
उम्दा लिंक्स! मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स-सह-बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंsundar buletin
जवाब देंहटाएंधन्यवाद। मगर जिस रफ्तार से हम लिखते हैं उतनी रफ्तार से पढ़ते नहीं। लोकाचार में वाह, अच्छा वगैरह-वगैरह बिन पढ़े ही अक्सर दिया जाता है। इस पर सोचना चाहिये।
जवाब देंहटाएं