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गुरुवार, 26 नवंबर 2015

२६/११ और हम - ब्लॉग बुलेटिन

२६ नवम्बर, आज काफी ऐतेहासिक दिन है। आइये इतिहास के पन्नों के साथ कुछ अपने यथार्थ को भी टटोलते हैं।  वर्ष १९४९ में आज ही के दिन संविधान सभा ने बाबा साहब के द्वारा प्रस्तुत किये गए देश के संविधान को अपनाया था। 
  
ब्रिटेन से आज़ाद होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने थे। जुलाई, 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में एक नयी सरकार का गठन हुआ। इस नयी सरकार ने भारत के संबन्ध में अपनी नई नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आज़ादी के प्रश्न का हल निकालने के लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन मंत्री तत्कालीन समय में भारत भेजे गए। 'भारतीय इतिहास' में मंत्रियों के इस दल को 'कैबिनेट मिशन' के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त, 1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा पूर्णत: प्रभुतासंपन्न हो गई। इस सभा ने अपना कार्य 9 दिसम्बर, 1947 से आरम्भ कर दिया था। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अबुल कलाम आज़ाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से तीस से अधिक सदस्य इस सभा में शामिल थे। सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति नियुक्त किये गए थे। किन्तु उनकी मृत्यु हो जाने के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को संविधान निर्माण करने वाली समिति का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 166 दिन बैठक की। 

१९२१: भारत में श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस कुरियन साहब का भी जन्म दिवस है। 

यह बात अपने आप में बहुत बड़े गर्व की बात है की इसी श्वेत क्रांति ने भारत को अमेरिका के ऊपर ला खड़ा किया और एक दूध अपूर्ण देश से पूरी तरह से आत्मनिर्भर और आयात के स्थान पर निर्यात करने जैसी स्थिति में ला दिया। उन्होंने लगभग ३० ऐसे संस्थाओं कि स्थापना की (AMUL, GCMMF, IRMA, NDDB) जो आज भी किसानों द्वारा प्रबंधित हैं और अपने क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ लोगों द्वारा नियंत्रित है।  ऑपरेशन फल्ड या धवल क्रान्ति आज भी विश्व के सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रुप मे प्रसिद्ध है। सन् १९७० मे राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा शुरु की गई योजना ने भारत को विश्व मे दुध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना दिया। इस योजना की सफलता के तहत इसे 'श्वेत क्रन्ति' का पर्यायवाची दिया गया। सन् १९४९ मे डॉ कुरियन ने स्वेछापूर्वक अपनी सरकारी नौकरी को त्याग कर कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (के डी सी एम पी ऊ एल जो बाद में अमूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ), से जुड़ गए। तब ही से डॉ कुरियन ने इस सन्स्थान को देश का सबसे सफल संगठन बनाने मे सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है। अमूल की सफलता को देख कर उस समय के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डेयऱी विकास बोर्ड का निर्माण किया और उसके प्रतिरुप को देश भर मे परिपालित किया। डॉ कुरियन ने और भी कई कदम लिये जैसे दुध पाउडर बनाना, कई और प्रकार के डेयरी उत्पादों को निकालना, मवेशी के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना और टीके इत्यादि। कुरियन साहब पर हम सभी भारत वासियों को गर्व है। 

आज २००८ के मुंबई हमले की बरसी भी है, हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय साळसकर, संदीप उन्नीकृष्णन, तुकाराम ओंबले, प्रकाश मोरे, दुदगुड़े, विजय खांडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार, एम.सी. चौधरी के बलिदानों को याद करने का दिन है। वैसे इस तारिख ने मेरी ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया था, मैं कभी फिर से वह नहीं बन पाया जो इस तारिख के पहले था, ज़िन्दगी बदलती गयी, लोग आगे बढ़ते गए, चेहरे आते गए, जाते गए लेकिन जो घाव रह गया वह कभी भरा ही नहीं। सीएसटी स्टेशन पर हमेशा की तरह की भीड़, रात का समय ट्रेन पकड़ने के लिए बैठे कई लोग, नीचे चादर बिछा के लेटे हुए लोग और उस फिर अचानक से आती हुई गोलियां, गिरते पड़ते हुए लोग। एक माँ, जिसके एक बच्चे को गोली मार दी गयी थी और वह खुद भी घायल होकर नीचे गिर पड़ी थी, उसकी दूसरी बच्ची उसे रोते हुए पुकार रही थी और अपने बच्चे को बचाने का उसने प्रयास किया लेकिन आतंकियों ने माँ और बच्चे दोनों को मार दिया। दूसरा दृश्य नरीमन हाउस, जहाँ आतंकियों को उनके पाकिस्तानी आकाओं ने यह समझाया गया की कैसे एक यहूदी को मारना सौ काफिरों को मारने जितना बड़ा पवित्र काम होता है सो घुस जाओ और सबकी जान ले लो, शहीद हुए तो जन्नत मिलेगी। होल्ट्ज़बर्ग और उनकी पांच महीने की गर्भवती पत्नी की जान यूँ ही ले ली गयी। 

कितने लोग जानते हैं तुकाराम ओम्ब्ले साहब के बारे में? महाराष्‍ट्र पुलिस के असिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर तुकाराम रिटायर्ड सैन्‍यकर्मी थे, जिन्‍होंने पुलिस ज्‍वाइन की थी। जिस समय मुंबई में मौत बरस रही थी, उस समय तुकाराम साहब ने एक को मार गिराया, कसाब के पैर पर गोली मारी और उसे धर दबोचा। कसाब को पकड़ने के तुरंत बाद ओम्‍बले ने अपनी टीम को सूचना दी। जितनी देर में टीम के अन्‍य पुलिसकर्मी वहां तक पहुंचे, उतनी देर में कसाब ने तुकाराम के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया। साठ घंटे तक चला मुंबई पर यह हमला, लगभग दो सौ लोग मारे गए और लगभग दो करोड़ लोगों की ज़िन्दगी बदल गयी। ज़कीउर्रहमान लकवी, लश्करे तोएबा का प्लान किया हुआ, पाकिस्तानी साज़िश, कोई प्लेन हाई-जैक नहीं हुआ, कोई भी बम प्लांट नहीं किया गया। दस मारो और मरो का प्रोग्राम फीड किये हुए लौंडे पूरी दुनिया को हिला गए। आखिर यह कैसे लोग थे? कैसे इनका ब्रेन वाश किया गया था, आखिर किस प्रकार के तंत्र की पैदाइश थे यह लोग जिनका दिमाग पूरी तरह से साफ़ करके यह सिखाया गया कि मजहब और दीन खतरे में है और जिहाद करके क़ुरबानी देने के साथ जन्नत मिलेगी। जन्नत में खूबसूरत हूरें, दूध और शहद की नदियां होंगी तो फिर उठाओ बन्दूक और मासूमों की जान ले लो। आखिर क्या बिगाड़ा था उन लोगों ने जिनकी जान ले ली गयी थी, आखिर यह किस किस्म का युद्ध था? आतंकी कह रहे थे की यह इस्लाम और इस्लाम को न मानने वालों के बीच का युद्ध है सो मारो और अधिक से अधिक लोगों की जान ले लो। 
जब पूरे विश्व ने इस आतंकी कार्यवाही की निंदा की, हमारे देश के नेता इसके उलट अपने वोट बैंक को साधने में लग गए।  हमले में शहीद फौजी की अंतिम यात्रा में गिनती के लोग जाते हैं और आतंकी की अंतिम यात्रा में न अगणित लोग पहुँच जाते हैं। आतंकी की फांसी की सजा ख़त्म कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट रात में दो बजे खुलवा लिया जाता है, वाकई बड़ा दुःख होता है अपने देश की स्थिति देखकर। 



चलिए अब आज के बुलेटिन की ओर चला जाए....  

श्रद्धांजलि

देवेन्द्र पाण्डेय at चित्रों का आनंद 

और चलते चलते ... एक बार फ़िर २६/११ के आतंकी हमलों के प्रभावितों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदनाएं | 
 

जय हिन्द !!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. दुखद यादें ज्यादा कष्ट देती हैं... इस दिन को शायद ही कोई भुला पाए...

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  2. यादगार दिन...
    शहीदों को नमन...
    मेरी रचना शामिल की...
    आभार आप का...

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  3. एक दुख:द पीड़ादाई याद । प्रभावितों के प्रति हार्दिक सम्वेदनाऐं और आज के बुलेटिन में 'उलूक' के सूत्र 'अपनों के किये कराये पर लिखा गया ना नजर आता है ना पढ़ा जाता है ना समझ आता है' को जगह देने के लिये आभार देव जी ।

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  4. Ye din koi nahi bhul payega..aapne bahut si yaden taja kara di. Meri rachna shamil karne ke liye aabhar aur dhnyawad.

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  5. सार्थक चिंतन के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  6. ७ साल पहले लगातार ३ दिनों तक मुंबई घायल हुई थी ... वो घाव आज भी पूरी तरह नहीं भरे है ...

    केवल सैनिक ही नहीं ... हर एक इंसान जिस ने उस दिन ... 'शैतान' का सामना किया था ... नमन उन सब को !

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  7. . आपके सद्प्रयासों को सलाम ,वाकई-26/11दुखद घटना थी जिसे भूलना नामुम्किन है

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  8. . आपके सद्प्रयासों को सलाम ,वाकई-26/11दुखद घटना थी जिसे भूलना नामुम्किन है

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  9. . आपके सद्प्रयासों को सलाम ,वाकई-26/11दुखद घटना थी जिसे भूलना नामुम्किन है

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  10. . आपके सद्प्रयासों को सलाम ,वाकई-26/11दुखद घटना थी जिसे भूलना नामुम्किन है

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  11. भुलाये नहीं भूलता वो दिन। 26/11 के शहीदों को नमन। सुन्दर संयोजन। मेरी रचना शामिल की, आभार।

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