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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

कहीं ई-बुक आपकी नींद तो नहीं चुरा रहे - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आधुनिक तकनीक ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। रात में आईपैड, लैपटॉप या ई-रीडर पर किताबें पढऩे से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे सोने के लिए तैयार होने में लगने वाले वक्त और नींद के कुल समय पर नकारात्मक असर पड़ता है। अमेरिका के पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर एना मारिया के मुताबिक इस शोध के लिए 12 लोगों  पर दो हफ्ते तक नजऱ रखी गई। इसमें से छह लोगों को रात में सोने से पहले ई-बुक और छह लोगों को सामान्य किताब पढऩे को कहा गया। इसके बाद इन लोगों में नींद वाले हॉर्मोन मेलाटोनिन के स्तर, नींद की गहराई और अगली सुबह उनकी सजगता के स्तर की जांच की गई। शोध में यह पाया गया कि जो लोग रोज़ ई-बुक पढ़ते हैं, वे कई घंटे कम सोते हैं और उनमें रैपिड आई मोमेंट स्लीप का समय भी कम हो जाता है। नींद की इसी अवस्था में यादें संरक्षित होती हैं। इसलिए ज्य़ादा समय तक ई-बुक पढऩे से स्मरण-शक्ति कमज़ोर होती है और डिमेंशिया का भी खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप पढऩे के शौकीन हैं तो ई-बुक के बजाय किताबों के साथ वक्त बिताएं। अगर किसी वजह से ई-बुक पढऩा ज़रूरी हो तो भी सोने से पहले ई-बुक पढऩे से बचें। 
इस आलेख को आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं |

सादर आपका
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इक नयी अग्नि परीक्षा देती रही...

हिम्मतें दुश्वारियों में दोस्त बन जाएँगी .

मील के पत्थर (११)

{ ३१३ } मिलता नहीं कहीं ज़िन्दगी का साहिल

अतुल्य भारत या असहिष्णु भारत?

एक खुला खत आमिर खान के नाम

गजब है सोचा भी नहीं कभी कभी ये सब भी यहीं पर होना है

जाने कहाँ ?

बेतरतीब उलझन

भये प्रकट कृपाला दीनदयाला - कलिंग यात्रा

उम्मीद की इबारत

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर मंगलवारीय बुलेटिन प्रस्तुति । आभार शिवम जी 'उलूक' के सूत्र 'गजब है सोचा भी नहीं कभी कभी ये सब भी यहीं पर होना है' को भी जगह दी ।

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  2. पोस्ट शामिल करने के लिए आपका आभार।

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  3. ब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना को शामिल करने पर तहे दिल से शुक्रिया । सुंदर प्रस्तुति ।

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  4. बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
    आभार!

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