हम सभी लोग अभी
दीपमालिके पर्व की उमंग, उल्लास में सराबोर हैं. आतिशबाजी के इन्द्रधनुष हमारी
आँखों के सहारे दिल तक रचे-बसे हुए हैं. दियों की रौशनी अंधकार को दूर करने में
सहायक बन रही है. मिष्ठानों-पकवानों की मिठास जीवन में मधुरता घोलने को प्रयासरत
है. उल्लास-उमंग के साथ आगे बढ़ते हुए दायित्वों, कर्तव्यों के बोध की परिपूर्णता
के लिए आज हम सब भाई-दूज मनाने को तत्पर हैं. बहिनों द्वारा भाइयों की लम्बी उम्र
की कामना और भाइयों द्वारा बहिनों की रक्षा का वचन अनादिकाल से भारतीय संस्कृति का
हिस्सा बनकर हम सभी को संस्कारित कर रहा है.
इसी हर्षोल्लास,
आनंद के मध्य एक और विशेष अवसर आपको-हमको आह्लादित करने के लिए आपके सामने आ गया
है. त्योहारों की मस्ती के बीच झूमता हुआ आपका-हमारा प्यारा ‘ब्लॉग बुलेटिन’ आज
चार वर्ष का हो गया है. ‘ब्लॉग बुलेटिन’ के प्रतिबद्ध एवं सक्रिय सदस्य शिवम मिश्रा
जी और देव कुमार झा जी ने ब्लॉग एग्रीगेट की शून्यता को भरने के प्रति विचार का सूत्रपात
किया और अजय कुमार झा ने नाम रखने की जिम्मेवारी लेते हुए ‘ब्लॉग बुलेटिन’ को जन्म
दिया. दिन कब कैसे परिंदों की मानिंद उड़ते हुए गुजरते रहते हैं, पता ही नहीं चलता
है. इन चार वर्षों में कई-कई साथी सहयोग देने के लिए सफ़र में जुड़ते रहे और ‘ब्लॉग
बुलेटिन’ को नित नई ऊँचाइयाँ प्रदान करते रहे. शिवम जी ने मुख्य मार्गदर्शक की
जिम्मेवारी सहेजकर सबके काम को आसान किया और बाकी साथियों ने उनके साथ कदमताल करनी
शुरू की. सलिल जी, रश्मि जी, के साथ तकनीक गुरु पाबला जी ने साथ दिया और ब्लाग बुलेटिन
निखरता रहा. रुद्राक्ष पाठक जी, कुलवन्त हैप्पी
जी, मनोज कुमार जी, शाहनवाज़ जी और शेखर
सुमन जी, तुषार रस्तोगी जी, हर्षवर्धन जी के जुड़ने से बुलेटिन को एक नया कलेवर मिला.
ब्लॉग बुलेटिन परिवार नियमित रूप से उन्नति के पथ पर अग्रसर बना रहा. यद्यपि
बीच-बीच में कुछ व्यवधान से आते दिखे किन्तु बुलेटिन के स्थायी सदस्यों के साथ हमारे
अतिथियों -गिरिजेश राव जी, सोनल रस्तोगी जी, मुकेश कुमार सिन्हा जी, वाणी गीत जी, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी, ललित शर्मा जी, यशवंत यश जी, अर्चना जी, विभारानी
श्रीवास्तव जी, शिखा वार्ष्णेय जी, अभिषेक
जी, योगेन्द्र पाल जी, सदा जी और सुमित
प्रताप सिंह जी ने आकर बुलेटिन में अपने रंग बिखेरकर व्यवधानों को प्रभावी नहीं
होने दिया. नित नए आयामों को, सफलताओं को छूते हुए ब्लॉग बुलेटिन ने जहाँ आज अपने
चार वर्ष पूरे किये वहीं बुलेटिन ने विविध विषयों को सार्थकता के साथ विभिन्न पोस्ट-लिंक्स
के माध्यम से विचारार्थ आपके सामने रखा.
ये अपने आपमें सुखद
संयोग ही कहा जायेगा कि एक तरह हमारे ब्लॉग-संसार में ‘ब्लॉग बुलेटिन’ की धमक-हनक
को पूरे स्नेह, सम्मान से सुना-महसूस किया जा रहा है वहीं हमारे भारत देश की
हनक-धमक को सम्पूर्ण वैश्विक पटल पर देखा-सुना-महसूस किया जा रहा है. इसका
ताजातरीन उदाहरण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ब्रिटेन यात्रा, उनके वहाँ
की संसद में दिए गए उदबोधन (ये अपने आपमें एक इतिहास बन गया है कि ब्रिटिश संसद
में पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने अपना उदबोधन दिया), वहाँ के उपस्थित सदस्यों
द्वारा खड़े होकर तालियाँ बजाते हुए हमारे प्रधानमंत्री का सम्मान करने से मिलता
है. देश की वैश्विक साख लगातार बढ़ाने वाले ऐसे वीरन के माथे पर सफलता का तिलक सदा
सजता रहे, भाई-दूज पर यही कामना है.
‘ब्लॉग बुलेटिन’ आज
अपने चार वर्ष पूर्ण करने पर उत्साहित है, पूरा परिवार प्रसन्न है और इस ख़ुशी में
आपके साथ-साथ अपने पुराने साथियों, अतिथियों को भी शामिल करने में अपार हर्ष का
अनुभव हो रहा है, जिन्होंने समय-समय पर ‘ब्लॉग बुलेटिन’ को दुलारा, अपनापन दिया. अतीत
को वर्तमान में उतारते हुए आपके सामने सफ़र के साथ बने साथियों की पहली बुलेटिन को ‘ब्लॉग
बुलेटिन’ के जन्मदिन पर सजाया जा रहा है. आप सभी के आशीष, स्नेह, अपनत्व से हम
सबका ‘ब्लॉग बुलेटिन’ इसी तरह जग-जग जीता रहेगा, ऐसी कामना करते हैं.
बधाइयाँ...
शुभकामनायें...
++++++++++
चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर बहुत बधाई I आप निरन्तर उन्नतिशील रहें और पाठकों को अच्छा साहित्य उपलब्ध कराते रहें, यही कामना हैI
जवाब देंहटाएंचार वर्षों की यात्रा को इतने सिलसिले से रखा है कि मान गए - यह सब जितना देखने-पढ़ने में आसान ,उतना आसान सहेजना होता …
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन के हर सदस्य को शुभकामनायें, मुझे भी :)
बुलेटिन यूँ ही अनवरत चलता रहे . समस्त शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंचार वर्षों की अनवरत यात्रा के लिए ब्लॉग बुलेटिन को बधाई और शुभकामनाए ।
जवाब देंहटाएंटीम बुलेटिन को चार साला सफ़र की मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंबुलेटिन चार से चौदह फिर चालीस साल तक पहुंचे, यही दुआ...
बुलेटिन में तो चार हफ्ते तक पढ़ने का मसाला है...
जवाब देंहटाएंमेरे लिए बधाई देना, खुद की पीठ थपथपाने जैसा होगा! शिवम् जी का अनुरोध और एक ईमानदार कोशिश - लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया! चार साल बस चुटकियों में गुज़र गया, जिसमें मेरा योगदान ज़ीरो रहा... ज़ीरो यानि वो नंबर जिसके अंत में मैं जुड़ता रहा! आज भी अपना लगता है..घर आँगन सा!! ये चार साल का बच्चा शतायुष्य हो!
जवाब देंहटाएंदुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही रहे
उदासियों में भी ये चेहरा खिला खिला ही रहे!
हमें पता ही नहीं था हम भी हैं बजरिए सलिल भाई के! योगदान जीरो कैसे हुआ भाई...आप तो अंकों के खिलाड़ी हो, बताओ?
जवाब देंहटाएंराजा साहब इस पोस्ट मे आपने किसी सूत्रधार की तरह सभी का परिचय तो दे दिया पर अपने आप को भूल गए ... :)
जवाब देंहटाएंआप द्वारा लिखी गईं सामयिक प्रस्तावनाओं ने बुलेटिन को भी सामयिक बनाए रखा ... इस के लिए आपको हार्दिक साधुवाद|
बाकी इस मुकाम पर सभी साथियों का हार्दिक अभिनंदन और केवल यही कमाना है कि यह सफ़र चलता रहे |
राजा साहेब मेरे लिए सहेज कर रखने वाली बुलेटिन | आपका बहुत बहुत शुक्रिया मित्र ...भाई शिवम् मिश्र सहित तमाम मित्र सहयोगी ब्लौगर सब साथियों को बहुत बहुत शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस पड़ाव पर आकर भी इतना जुड़ाव ,है...हमेंशा बना रहे........ब्लॉग बुलेटिन को बधाई.....और आज इस कड़ी का आभार....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंWaaaaaah..... बहुत-बहुत मुबारक हो!
जवाब देंहटाएंजारी रहें यात्राऐं
जवाब देंहटाएंकिसी पड़ाव पर
रुकें कुछ देर
फिर चल पडे
मशालें ले हाथ में ।
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाऐं ।