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मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015

चलो वहाँ तुमको लेकर चलें




भावनाओं से भरा 
एक शीशे का प्याला 
हाथों से छूटकर गिरा 
और ब्लॉग लिखने लगा  … 

चलो वहाँ तुमको लेकर चलें  … यह आरम्भ है, इनके अतिरिक्त कितने ब्लॉग हैं - 



बारूद के ढेर में खोया बचपन - अपनी, उनकी, सबकी ...

हम अपनी छवि में कैद हैं « अजित गुप्ता का कोना

स्पंदन SPANDAN: हे नारी तू हड़प्पा है.

मेरा सरोकार: मानव अमर होने वाला है!

9 टिप्‍पणियां:

  1. आज बहुत दुखी मूड में हूँ, लेकिन अपनी पोस्ट पढकर मुस्कराहट खुद बी खुद आ गयी मुख पर. दीदी को धन्यवाद! मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए नहीं, मुझे यहाँ जगह देकर (शिवम् जी का भी धन्यवाद) मुझे ज़िंदा रखने के लिए!!

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  2. पुराने दिन याद आ गए ...... सराहनीय ..... आभार

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  3. यह रचनाओं का अनूठा संग्रह है . कुछ पढ़ी हैं . पूरी पढ़नी ही होंगी . मेरी रचना भी यहाँ मान पा रहीहै .धन्यवाद रश्मिजी

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  4. इन लिंकों पर घूमने का मौका देने का लिये साधुवाद

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  5. यूं यादों को सहेज कर प्रस्तुत करना तो कोई आप से सीखे ... आभार दीदी |

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  6. सराहनीय .. सराहनीय .. सराहनीय .. सराहनीय .. सराहनीय .. सराहनीय .. सराहनीय ..

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  7. यादों का एक कारवां देखने को मिला आज की बुलेटिन प्रस्तुति में ..
    सुन्दर व सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!