Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

भूले रास्तों का पता - 5




न सत्य मिटता है,न परम्परा खत्म होती है - बीज कहीं न कहीं रहता है,
अंकुरित हो फैलता है  … ब्लॉग का अंकुरण आज भी है, प्रस्फुटित टहनियाँ, स्वादिष्ट फल फेसबुक, ट्विटर तक फैले हुए हैं  … जड़ों से नाता बना रहे, इसलिए -



6 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
सबको शरद पूर्णिमा एवं वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

शिवम् मिश्रा ने कहा…

कम से कम इसी बहाने उन पुराने रस्तों दोबारा चलने को तो मिला ... आभार दीदी |

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ।

कौशल लाल ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ....

सदा ने कहा…

Bhulon k raste ...... Jahan kitni yaden hain

Asha Joglekar ने कहा…

Sunder links

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार