Pages

मंगलवार, 29 सितंबर 2015

थोड़ी बातें थोड़ा मौन ज़रूरी है …




किसी भी रिश्ते में
आपसी समझ के लिए  
निरंतर बातचीत की ज़रूरत नहीं होती 
एक मौन 
एक विराम 
हर रिश्ते की मजबूती के लिए ज़रूरी है  … 
न मौन अधिक 
न शब्द अधिक 
अधिकता हानिकारक होती है !
बातों के प्रवाह में 
संभव है अनचाहा कह देना 
मौन की अधिकता में 
मुमकिन है कुछ कहने से रह जाना 
आपसी समझ के लिए 
थोड़ी बातें 
थोड़ा मौन ज़रूरी है  … 



6 टिप्‍पणियां:

  1. चुप रहकर भी समझा देना बहुत कुछ !
    सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत दिन बाद टिवटर खोला तो आपका सन्देश दिखा जिसे क्लिक करते ही बेहद खूबसूरत भाव पढ़ने को मिले... बहुत सुकून मिला पढ़कर ...शुक्रिया अजय

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. दोनों मे संतुलन बनाए रखना जरूरी है |

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!