प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया !
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कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये!
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हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये!
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एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा, देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं, लेकिन लगता है आपको खेतीबाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है,
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एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मैं चाहूँ वैसा मौसम हो,
.
फिर आप देखना मैं कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा!
.
परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मैं दखल नहीं दूँगा!
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किसान ने गेहूं की फ़सल बोई, जब धूप चाही, तब धूप मिली, जब पानी तब पानी !
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तेज धूप, ओले, बाढ़, आंधी तो उसने आने ही नहीं दी,
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समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी, क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी !
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किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, कि फ़सल कैसे उगाई जाती हैं,
.
बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
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फ़सल काटने का समय भी आया , किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया,
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लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा , एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!
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गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था, सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,
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बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा, प्रभु ये क्या हुआ ?
.
तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था, तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया .
.
ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,
.
उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए,
.
जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है,
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वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है, उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.
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सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है, उसे अनमोल बनाती है !”
.
उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो, चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता !
.
ये चुनौतियां ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं, उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं,
.
अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनौतियां तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी,
.
अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है, प्रतिभाशाली बनना है, तो संघर्ष और चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ेगा !
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कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये!
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हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये!
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एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा, देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं, लेकिन लगता है आपको खेतीबाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है,
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एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मैं चाहूँ वैसा मौसम हो,
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फिर आप देखना मैं कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा!
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परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मैं दखल नहीं दूँगा!
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किसान ने गेहूं की फ़सल बोई, जब धूप चाही, तब धूप मिली, जब पानी तब पानी !
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तेज धूप, ओले, बाढ़, आंधी तो उसने आने ही नहीं दी,
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समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी, क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी !
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किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, कि फ़सल कैसे उगाई जाती हैं,
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बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
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फ़सल काटने का समय भी आया , किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया,
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लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा , एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!
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गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था, सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,
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बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा, प्रभु ये क्या हुआ ?
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तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था, तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया .
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ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,
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उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए,
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जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है,
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वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है, उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.
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सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है, उसे अनमोल बनाती है !”
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उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो, चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता !
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ये चुनौतियां ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं, उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं,
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अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनौतियां तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी,
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अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है, प्रतिभाशाली बनना है, तो संघर्ष और चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ेगा !
सादर आपका
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ओ आस किरन जुग-जुग तू जिए
कंचन सिंह चौहान at हृदय गवाक्ष
स्मृति में जुगनू
sanjay vyas at संजय व्यास
राग देस ....... !!
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Misra Raahul at खामोशियाँ...!!!श्रीराम के अभिषेक का समाचार पाकर खिन्न हुई मंथरा का कैकेयी को उभाड़ना
Anita at श्रद्धा सुमन
है कोई जुगाड़ कुछ कर कहीं से कुछ तो उखाड़ महामहिम सुना है राज्य पुरुस्कार देने जा रहे हैं
सुशील कुमार जोशी at उलूक टाइम्स
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सुंदर सीख देती कथा आज के सुंदर बुलेटिन की सुंदर सूत्रों में कहीं 'उलूक' भी अपने सूत्र 'है कोई जुगाड़ कुछ कर कहीं से कुछ तो उखाड़ महामहिम सुना है राज्य पुरुस्कार देने जा रहे हैं' के साथ दिखाई दिया बहुत बहुत आभार शिवम जी का ।
जवाब देंहटाएंदिल की बातें ब्लाग नही खुल पा रहा है
जवाब देंहटाएंWebsite blocked by Trend Micro Worry-Free Business Security Services
@जोशी जी
जवाब देंहटाएंसर ब्लॉग तो खुल रहा है ... पर हाँ उन्होने शायद कोई विजेट लगाया हुआ है जो बार बार रिडाइरैक्ट कर देता है |
सुन्दर सूत्र संकलन … रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंbahut prerana deti katha aur sarthak buletin !!hriday se abhar Shivam .
जवाब देंहटाएंBehatareen bulletin
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने..चुनौतियाँ ही मानव को आगे बढ़ाती हैं..सुंदर लिनक्स...बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर लिनक्स. रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंBahur sundar links..meri rachna shamil karne ke liye aabhar..
जवाब देंहटाएंसुंदर कहानी
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