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शुक्रवार, 19 जून 2015

कदुआ की सब्जी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम|

हमारे यूपी खास तौर पर ब्रज क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों मे विवाह आज भी परिवार की रजामंदी के आधार पर होता है पर अब यहाँ भी आधुनिक तौर तरीके आ गए है ... जैसे लड़की देखे जाने पर लडका और लडकी का आपस में बात करना और अपनी अपनी पसंद नापसंद की चर्चा करना ... ऐसा ही एक संवाद आप को पढ़वा रहा हूँ ... शायद आपको यूपी की भाषा पसंद आये!

पप्पी: कित्ते तक पड़ी हो?
अंजू: 8वीं तक।
पप्पी: फिर काहे नाय पड़ी?
अंजू: स्कूल दूर हतो तो हमारी पढ़ाई छुड़ाय दई गयी।
पप्पी: अच्छा, रोटी बनाय लेत हौ का?
अंजू: हाँ, बनाय लेत हैं।
पप्पी: और सब्जी?
अंजू: हाँ, सब्जीऔ बनाय लेत हैं।
पप्पी: काय काय की बना लेत हौ?
अंजू: आलू की मेथी की पालक की गोभी की भिन्डी की सबहि तराह की।
पप्पी: कदुआ की नाय बनाय पाती हौ का?
अंजू: हाँ, बनाय लेत हैं।
पप्पी: कैसी बनात हो गीली का सूखी?
अंजू: मुआ, करमजला, दारीजार, कन्नास नासपीटा नाय तो तैँ लौड़िया देखन आओ है कि काम बाली बाई देखन आओ है। धुँआ लगे इत्ती देर से दिमाग चाटन में लगो है जौ बना लेत वौ बना लेत। 1 चप्पल दिएँ अभई उतार के मुँह सूजी यइये अभई हाल। बड़ो आओ कदुआ खान वारो।

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सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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नयी सोच और नये लहजे के शायर - गौतम राजरिशी

मेरे बाबूजी

Asha Saxena at Akanksha

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पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ ! 

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महेश कुशवंश at अनुभूतियों का आकाश 
 
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कद्दू की सब्जी बनाई है :)
    सुंदर बुलेटिन सुंदर कड़ियाँ ।

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  2. सभी लिंक्स बहुत सुन्दर ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत आभार शिवम जी !

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  3. खूबसूरत और मनोरंजक अंक
    मज़ेदार भी।

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  4. मेरी पोस्ट को शामिल करने का शुक्रिया

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  5. वाह सुंदर संवाद ........ हमारे लिंक को शामिल करने हेतु आभार

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  6. वाह सुंदर संवाद ........ हमारे लिंक को शामिल करने हेतु आभार

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  7. वाह सुंदर संवाद ........ हमारे लिंक को शामिल करने हेतु आभार

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  8. हा हा हा - बहुत खूब - जय हो - बढ़िया बुलेटिन

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  9. बहुत मजेदार कदुआ की सब्जी साथ मिला तोहफा गालियों का |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

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  10. सब्जी जरुर जायकेदार बनी होगी :) ..बुलेटिन में भी स्वाद दिख रहा :)

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  11. सब्जी तो नाय बनी, मुंह जरूर बन गयो कदुआ सा :-)

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