सभी ब्लॉगर मित्रों को देव बाबा का राम राम... आज बात मानवीय मूल्यों और अपने सामाजिक सरोकारों की करते हैं, हर समय कंप्लेन करने वाले हम लोग खुद के जीवन में कैसे हैं यदि समझ लिया जाए तो भला हो...
मैंने कोई पांच साल पहले एक कविता लिखी थी "मुखौटे"....
तरह तरह के मुखौटे
रंग बिरंगे मुखौटे
कभी हंसते
कभी रोते
हर वर्ण
हर भेष में
पाए जाते
मुखौटे
रंग बिरंगे मुखौटे
कभी हंसते
कभी रोते
हर वर्ण
हर भेष में
पाए जाते
मुखौटे
वह ज़माना और था
जब इन्सान मुखौटे
लगाता था
मसखरी के लिए
समाज में
व्यंग्य और विनोद
के लिए
मुखौटे थोड़े ही देर
के लिए लगाता
और फिर इन्सान
लौट आता अपनी
पहचान में
लौट आता
अपने यथार्थ में
जब इन्सान मुखौटे
लगाता था
मसखरी के लिए
समाज में
व्यंग्य और विनोद
के लिए
मुखौटे थोड़े ही देर
के लिए लगाता
और फिर इन्सान
लौट आता अपनी
पहचान में
लौट आता
अपने यथार्थ में
मगर अब
मुखौटे
इन्सान के चेहरे
से इस कदर
चिपक गए हैं
की अब शरीर का
हिस्सा हो गये हैं
इंसान की
पहचान हो गए हैं
मुखौटे
इन्सान के चेहरे
से इस कदर
चिपक गए हैं
की अब शरीर का
हिस्सा हो गये हैं
इंसान की
पहचान हो गए हैं
अब तो आस्तीन के सांप भी
शैतानों के बाप भी
सफ़ेद मुखौटे पहनते हैं
यहां शराफ़त का लबादा ओढे
शैतान राज करते हैं
शैतान इंसान का रुप धरकर
इन्सां पे वार करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
-------------
शैतानों के बाप भी
सफ़ेद मुखौटे पहनते हैं
यहां शराफ़त का लबादा ओढे
शैतान राज करते हैं
शैतान इंसान का रुप धरकर
इन्सां पे वार करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
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कोई पांच साल बाद स्थिति लगभग वैसी ही है, आज भी मुखौटे ही मुखौटे हैं। कथनी कुछ और करनी कुछ और, कैसे कैसे लोग और कैसे कैसे चरित्र... सोच कर देखिए....
इन्हीं विचारों के बीच पेश है आज की बुलेटिन ...
इन्हीं विचारों के बीच पेश है आज की बुलेटिन ...
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अब आज्ञा दीजिये ...
देव बाबा ने राम राम लिखा है और मैं रामदेव पढ़ रहा था अब मुखौटे के पीछे से कोई पढ़ने की कोशिश करे तो यही होवे कोई नी बुलेटिन बहुत सुंदर है सुंदर सूत्रों की सुंदर कड़ियों के साथ :)
जवाब देंहटाएंमुखौटे कविता अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंमोबाइल से कमेन्ट करने में बार-बार कमेन्ट प्रकाशित हो गया। इसका मुझे खेद है। इसे और डिलीट कमेन्ट हटा दें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
देवेन्द्र जी: मैनें उन टिप्पणियोंं को डिलीट कर दिया है… आपका आभार :-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन लगाए देव बाबू ... आभार |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंअच्छी बुलेटिन - जय हो
जवाब देंहटाएं