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शनिवार, 30 मई 2015

क्लर्क बनाती शिक्षा व्यवस्था - ब्लॉग बुलेटिन

मित्रों बचपन से कई बातों से हमारा सिस्टमैटिक ब्रेन वाश किया जाता रहा है.... मुग़ल महान थे, दयालु थे, नेहरू बहुत अच्छे थे, बच्चों को बहुत प्यार करते थे, लाल गुलाब लगाना उन्हें बहुत भाता था, गांधीजी ने हमें आज़ादी दिलाई और कांग्रेस के प्रयासों से ही देश को आज़ादी मिली। इसके अलावा और भी बहुत सी बातें पाकिस्तान हमारा दुश्मन है, ईंट से ईंट बजा दी जायेगी अगर पाकिस्तान ने ज़रा भी चूं चपड़ की तो… चीन ने अगर आँख दिखाई तो फिर देख लेना। लेकिन आज कल की दुनिया की हकीकत इससे थोड़ी इतर है… आज कल मामला प्रोफेशनल है और जो जितना बड़ा बाजार और मुनाफे का केंद्र है वही सबकी आँखों का तारा है। 

सवा अरब की आबादी आज कल विश्व समुदाय के लिए एक बड़ा बाज़ार है और अगर ईमानदारी से बात करें तो यह मात्र बाज़ार है। विश्व समुदाय को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता कि भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है या फिर हमारा धर्म या संस्कृति कितनी पुरानी और सुदृढ़ है। एक छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खिलौने से लेकर हवाई जहाज और हथियार बनाने वाले देश भी भारत को उपभोक्ता ही समझते हैं। सिलिकॉन वैली में सबसे अधिक इंजिनियर भारतीय ही होंगे लेकिन उनमे से कितने प्रतिशत लोग उस कंपनी की निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा हैं? स्थिति अगर ईमानदारी से कही जाए तो फिर चिंताजनक नही तो खेदजनक तो है ही। हमारी शिक्षा व्यवस्था क्लर्क पैदा करने के लिए ठीक है, सर्विस इंडस्ट्री के लिए भी ठीक है लेकिन यह नई सोच-परक  या रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए हो सकने वाली व्यावसायिक शिक्षा परक नहीं है। बीते हुए वर्षों में स्थिति काफी बिगड़ी दिख रही थी लेकिन अब बहुत आशाएं बंधी हैं, उम्मीद है कि शिक्षा व्यवस्था के भी अच्छे दिन आएंगे।

सादर आपका 
देव
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जल बरसा

कार्टून:- ये कोई लाठीचार्ज के दि‍न हैं ?

चक्रव्यूह

स्वप्न जुगुप्सा

शब्द गठरिया बांध : अरूण कुमार निगम

हे मेरे परम मित्र !

कार्टून कुछ बोलता है - दुम

रेल सदा फेल ही क्यों ?

मुझमें समा ना

वर्चस्व की लड़ाई...

" चाँदी का वर्क ....."

इंदौर : तालीबानी पुलिस या पत्रकारिता

खादिम है तेरा खाविंद ,क्यूँ सिर चढ़े पड़ी हो .

494. दर्द (दर्द पर 20 हाइकु)

वेलकम टू कराची- कॉमेडी और एक्शन के भंवर में फंसी कहानी

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12 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी शिक्षा व्यवस्था में जड़ से ही खामियां हैं.
    बढ़िया बुलेटिन सजाया है.

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  2. सुप्रभात
    समसामयिक लिंक्स पर मंथन आज |
    मेरी रचना शामिल की आभार सर |

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  3. सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति देव बाबू ... हमारी शिक्षा व्यवस्था की कमियाँ किसी से भी छिपी नहीं हैं ... इन मे बदलाव लाना आज के परिवेश मे और भी जरूरी हो गया है |

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  4. उम्दा ब्लॉग बुलेटीन |
    शिक्षा की दुर्दशा शिक्षा नीति ही है |सारी योजनाएं फेल हो जाती हैं और कुछ भी हांसिल नहीं होता |

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  5. बेहतरीन पोस्ट के लिंक्स..आभार !

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  6. बढ़िया बुलेटिन देव साहब। आपका लेखन हमेशा भाता है हमें :-)

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  7. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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