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गुरुवार, 28 मई 2015

२८ मई का दिन आज़ादी के परवानों के नाम - ब्लॉग बुलेटिन

आज २८ मई है ... आज के दिन बेहद खास है ... आज का दिन जुड़ा हुआ दो दो अमर क्रांतिकारियों से ... एक की आज जयंती है तो एक की पुण्यतिथि |

विनायक दामोदर सावरकर (अंग्रेजी: Vinayak Damodar Savarkar, जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फरवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।
भगवती चरण वोहरा (4 जुलाई, 1904 - 28 मई, 1930) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और सरदार भगत सिंह के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार नही किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़े। उनकी मृत्यु बम परिक्षण के दौरान दुर्घटना में हुई। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में हुई। उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया। पत्नी का नाम दुर्गा था। बाद के दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। उन को क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया " दुर्गा भाभी " सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।

आज के दिन ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब इन दोनों क्रांतिकारियों को शत शत नमन करते है !
इंकलाब ज़िंदाबाद !!!
सादर आपका 
 
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वीर सावरकर – जन्म दिवस पर विशेष

Ratan Singh Shekhawat at ज्ञान दर्पण
भारत की पुण्य धरा प्रारम्भ से ही रत्नगर्भा रही है। इन नर-रत्नों ने अपने ज्ञान, स्वाभिमान, त्याग तपस्या, निःस्वार्थ प्राणी मात्र की सेवा आदि दैदीप्यमान सदगुणों से पृथ्वी तल को आलोकित किया है। ऐसे नर पंुगवों की तालिका में उच्च स्थान पर रखने योग्य एक नाम है - वीर विनायक दामोदर सावरकर। स्वतंत्रता के पिछले वर्षो में कांगे्रस सरकार ने दुर्भावनावश विनायक सावरकर को पृष्ठभूमि में धकेलने का पूरा कुत्सित प्रयत्न किया। किन्तु ऐसे व्यक्तित्व किसी की कृपा के मोहताज नहीं होते। सत्य तो अपने पूरे तेज के साथ प्रकट होकर रहता है। बादल कितने दिन सूर्य को ढक कर रख सकतें हैं। उस प्रखर तेजस्वी महापुरूष को ... more » 

मैगी-कांड के साइड-इफ़ेक्ट्स

रचना त्रिपाठी at टूटी-फूटी
खाने के लिए मैगी हो या निभाने के लिए कोई रिश्ता, उसका आनंद सिर्फ "दो मिनट" में मिलता नहीं है। यदि सच्चा आनंद चाहिए तो सभी स्त्री-पुरुष, बूढ़े-बच्चे और जवानों को इस पर भरोसा करने से पहले अपने आप को थोड़ा वक्त देना चाहिए। जिस तरह रातो-रात बड़ा आदमी बनने की जल्दबाजी ने कई तरह के अपराधों को जन्म दिया है ठीक उसी तरह चट-पट खा लेने की जल्दबाजी ने "मैगी" को जन्म दे दिया है। मैगी ही क्यों ऐसे और भी बहुत से रेडीमेड उत्पाद हैं जिसे निपटाने में दो मिनट भी नहीं लगते। कोई तैयारी नहीं करनी पड़ती; बस पैकेट फाड़ा और सीधे मुंह में ही उड़ेल लिया। कुरकुरे, अंकल-चिप्स, टकाटक, नाच्चोज, आदि तमाम ऐसे और नाम हैं ज... more » 

समानांतर धाराएँ...

दो दिन जो समानांतर हैं, आपस में कभी मिल नहीं सकते, लेकिन दिखते नहीं है ऐसे, टेढ़ी-मेढ़ी सरंचनाएँ हैं इनकी, मैं मिलता हूँ दोनों से अलग अलग वक़्त पर... सब कुछ वही रहता है, लेकिन मैं वो नहीं हूँ जो मैं था आज के पहले मैं बदलता रहता हूँ गिरगिट के रंग की तरह... फिर भी मुझे शंका होती है मैं वही हूँ या बदल जाता हूँ हर बार, एक पूरा दिन अकेला बिता लेने के बाद, पता नहीं मैं हूँ या नहीं हूँ, लेकिन जब था तब नहीं था....  

हडसन रिवर फ्रंट की सैर

आज आपको हडसन रिवर फ्रंट की सैर कराते हैं.… जर्सी सिटी में एक्सचेंज प्लेस से लेकर वीहाकन तक रिवर फ्रंट है। आप इसमें नदी के किनारे किनारे आराम से सैर कर सकते हैं.. बीच बीच में आइसक्रीम और पॉप-कॉर्न मिल जाये तो और भी मजा :-) कुछ चित्र आपके लिए.… वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (फ्रीडम टावर) आदि महाराज इस तेज़ हवा में बहुत खुश थे :-) यह मोहब्बतें फिल्म वाले पत्तों वाला पेड़ :-) एम्पायर एस्टेट और क्राइस्लर बिल्डिंग फ्रीडम टावर १९०७ में बना होबोकेन रिवर फ्रंट फेरी स्टेशन आदि महाराज पूरी सीट लेकर बैठते हैं आजकल. इनकी शर्त होती है की कोई उनको पकडे नहीं, ट्रेन चलती रहे फिर भी आज की ... more » 

बनाईये मजेदार वीडियो सेल्फ़ी डबस्मैश के साथ

Abhimanyu Bhardwaj at MyBigGuide
फिल्‍में किसे पसंद नहीं होती किसी किसी फिल्‍म के डायलॉग और गाने तो हमेशा अच्‍छे लगते हैं आपको भी किसी फिल्‍म के गाने या डायलॉग जरूर पसंद होगें। अगर आपसे कहा जाये कि आपका पंसदीदा डायलॉग आप पर ही फिल्‍माया जाये तो कैसा रहेगा, ऐसा हो सकता है। ऐसा हो सकता है एक ऐसी एप्‍लीकेशन है जिसमें आप मशहूर फिल्मों, हस्तियों की आवाजों पर अपनी लिपसिंग कर वीडियो रिकार्ड कर सकते हैं और इस मजेदार वीडियो को अपने... आगे पढने के लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें 

उफ़्फ़! ये रेलवे।

Abhishek Shukla at वंदे मातरम्
कभी-कभी थोड़ी सी लापरवाही बड़े परेशानी की वज़ह बनती है। गलती मेरी थी या सामने वाले की समझ में नहीं आ रहा है। ये तो मानवीय प्रकृति है कि खुद की गलती गले से नीचे नहीं उतरती, कोई खुद को गुनहगार नहीं मानता...चलो मैं मान लेता हूँ की गलती मेरी थी। हुआ यूँ कि मेरठ आने के लिए मुझे दो टिकट लेने थे। मौसा, मौसी और दादी की कन्फर्म टिकट था 25 को सत्याग्रह एक्सप्रेस से, किसी कारणवश मौसा नहीं आ सके तो उनकी जगह मुझे चलना था। कुछ दिन बाद भइया ने बताया की मामी भी चलेंगी साथ में तो मैंने उसके अगले दिन ही दो टिकट ले लिया। वेटिंग 82-83 रहा..सीट मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं थी क्योंकि बिहार से होकर आने वा... more » 

सनकेँ अजब गजब

कवि निराला जी के बारे में एक घटना पढ़ रही थी कि ,वह एक दिन लीडर प्रेस से रोयल्टी के पैसे ले कर लौट रहे थे | उसी राह में महादेवी जी का घर भी पड़ता था |उन्होंने सोचा की चलो मिलते चलते हैं उनसे .|ठण्ड के दिन थे अभी कुछ दूर ही गए होंगे कि सड़क के किनारे एक बुढिया उन्हें दिखायी दी जो ठण्ड से कांप रही थी और याचक भाव से उनकी तरफ़ देख रही थी | उस पर दया आ गई उन्होंने उसको न सिर्फ़ अपनी रोयल्टी के मिले पैसे दे दिए बलिक अपना कोट भी उतार कर दे दिया ..., और महदेवी के घर चल दिए किंतु चार दिन बाद वह यही भूल गए कि कोट क्या हुआ | उस को ढूढते हुए वह महादेवी जी के घर पहुँच गए ,जहाँ जा कर उन्हें याद आय... more » 

ऐसे ही बोल गए सरदार जी!

सुबह सुबह सरदार जी के मोबाइल की घंटी बजी। ऊंघते, अंगड़ाई लेते हुए मोबाइल उठाया। मैडम का नाम और नंबर देखते ही नींद और जम्हाई दोनों उड़ गई। इतनी सुबह मैडम का फोन देखकर चौंक गए। हेलो मैडम, गुड मॉर्निंग गुडमॉर्निंग । क्या कर रहे हैं। कुछ नहीं मैडम, अभी तो सो रहा था। आप सोते रहिए। मतलब मैडम। मतलब, वतलब छोड़िए। कुछ बोलिएगा भी या नहीं। अभी भी मौनी बाबा बने रहिएगा। बोल ही तो रहा हूं मैडम। अरे यार, ये बोलना नहीं। सूटबूट की सरकार के खिलाफ कुछ बोलिएगा कि नहीं। मैं क्यो बोलूं मैडम। सही में आप रोबोट हैं। कुछ गैरत बची है कि नहीं। याद नहीं है किस तरह से कुर्सी से धकिया के भगाया था आपको। ... more »

‘अय्यार’

अर्चना तिवारी at पंखुड़ियाँ
“सरकार, चुनाव काल निकट है, सारी पार्टियाँ रैली में जुटी हैं, ऐसे में आपका जोगिया धारण कर कुम्भ स्नान ?” “तुम नहीं समझोगे बनवारी, कल्पवास अर्थात् जनता के ह्रदय में वास ।“ “लेकिन सरकार ये तो केवल एक धर्म विशेष के ह्रदय तक ही सीमित होगा, बाकी...?” “बाकी के लिए गाँव गोद लिए हैं ना ।“ “जय हो सरकार !!! आपकी महिमा अपरम्पार !!!” “बम-बम भोले !!! मैं चला स्नान को, टीवी चेनल्स वाले आ गए होंगे ।“   

बस्तर में गोलियां क्यों गूंजती हैं?

ये कितने का है भाईसाब, चार हजार का अरे ये बैल इतना महंगा क्यों है भाइसाब, ये बस्तर आर्ट है आदिवासी कला का पार्ट है इसे उसने लहू से सींचा है सुर्ख अंगारों को हथेली में रख मुट्ठी को भींचा है इसमें उसकी आत्मा है ये बैल नहीं कला है इसे लेने में उस निरीह का भला है तो मतलब जिसने इसे घिसा है इसमें उसका भी कोई हिस्सा है वह तो मालामाल हो गया होगा हां, भाइसाब क्यों नहीं उसकी कला, संस्कृति जब आपके कैबिन-कमरों में सजती है तो उसके घर में तुरतुरी बजती है इसलिए आप इसको लीजिए मुझे चार हजार दीजिए अरे वाह, आदिवासी इतना संपन्न हो गया उसके घर धन धान्य हो गया हां, भाईसाब वह अब पत्ते नहीं कपड़े पहनता है देसी ... more » 

फेसबुक और लाइक, कमेंट !

संतोष त्रिवेदी at बैसवारी
फेसबुक पर कमेन्ट और लाइक करने की प्रवृत्ति पर कुछ दिनों से कहना चाह रहा हूँ.यह बेहद निजी अनुभव है। हो सकता है,आप इससे इत्तेफाक न रखते हों !
१)आपके खास मित्र आपके प्रिंट मीडिया पर छपे लेख पर व्यक्तिगत रूप से फ़ोन कर देंगे,इनबॉक्स में तारीफों के पुल बहा देंगे पर स्टेटस को देखते ही अपनी छाती पर बड़ा-सा पत्थर रख लेंगे . more » 
 
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!! 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आभार आपका शिवम भाई.... हमरी पोस्ट को लाइक करने के लिए :-)

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  2. बहुरंगी रचनाओं के साथ आपने दो महान क्रान्तिकारियों का पुण्यस्मरण किया है .आभार

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  3. बहुत बढ़िया सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  4. सुंदर प्रस्तुति एवं मेरी पोस्ट लगाने के लिए अत्यंत आभार प्रेषित |

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