नमस्कार
मित्रो,
गुरु
जी का दिन और एक और बुलेटिन. दिन कोई भी हो मगर देश के सभी दिन एक जैसे गुजरने में
लगे हैं. चुनावी दौर से निकलने के बाद देश को सरकार मिली, लोगों को उम्मीद जगी और
फिर शुरू हुआ सरकार से अपनी-अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने का क्रम. जिसके मन का
हुआ वो प्रसन्न और जिसके मन का नहीं हुआ वो खिन्न. इस अच्छे-बुरे के बीच भले ही
हमें हमारे मन का नहीं मिल पा रहा हो किन्तु हम तो अपना श्रेष्ठ पाने को, देने को
तत्पर रहें.
हमें
इस बात को समझना होगा कि देश एकमात्र सरकार से नहीं चलता, देश को चलाने में उसी
तरह का सहयोग अपेक्षित होता है जैसा कि एक परिवार को चलाने में सभी से अपेक्षित
रहता है. राजनीति कभी ख़राब नहीं होती है बल्कि राजनीतिक कदम उठाने वाले अछे-बुरे
होते हैं. बिना सरकार के, बिना राजनीति के देश का आगे बढ़ना संभव नहीं, इसलिए हम
अच्छे इन्सान बनने का प्रयास, खुद को समझदार बनाने का प्रयास करें. आशा है कि हम
बदतर को बेहतर करने का प्रयास करेंगे. रिश्तों को मधुर बनाने का प्रयास करेंगे.
रूठों को मनाने की कोशिश करेंगे. अच्छे लोगों से सीखने का काम करेंगे. आखिर गुरु
जी का सन्देश मानना तो पड़ेगा ही!
आज बस इतना ही.... बाकी बुलेटिन के साथ... शेष अगली बुलेटिन में...
आज बस इतना ही.... बाकी बुलेटिन के साथ... शेष अगली बुलेटिन में...
तब
तक जय गुरुदेव...!!!
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2014 के बजट पर
भूत का प्रलाप >>> बीती
बातें इतनी आसानी से कहाँ पीछा छोड़ती हैं
बजट अच्छे हैं मगर
आदर्श नहीं
>>> आदर्श व्यवस्था कायम करनी
होगी जनता को, जनप्रतिनिधियों को
चुनावों में शराब और
पैसे का वर्चस्व,गांवो के हालात दयनीय >>> राजनीति में बढ़ता नया कारोबार... जो कम न हुआ,
नित फलता-फूलता रहा
खूब बटी रेवड़ियाँ, पर दिल तो
माँगे मोर
>>> दिल तो बच्चा है जी..
जब हमने चुनाव लड़वाया >>> और
नतीजा क्या पाया...
पासपोर्ट प्राप्त
करना मौलिक अधिकार!
>>> हम समझें-जाने अपना अधिकार
प्रशासनिक सेवाओं में
भारतीय भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? >>> राजनीतिक हलचल का शिकार राजनीतिज्ञ ही नहीं
भाषाएँ भी हैं
आतंकवादी भाई से इंटरव्यू ! >>> व्यंग्य के
द्वारा व्यवस्था पर एक चोट
पत्रकारिता में
पुरानी है आत्मप्रवंचना की बीमारी ...!! >>> दरकता सा महसूस
होता है कई बार ये चौथा स्तम्भ
'पत्नी'
और 'माँ' एक ही सिक्के
के दो पहलू
>>> माँ शब्द ही काफी है.. जरूरत एहसास की है
समांतर सिनेमा की
बेहतरीन अदाकारा : स्व. स्मिता पाटिल >>> कमी
महसूस तो होती ही है
badhiya
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका व बुलेटिन ऑफ़ ब्लॉग टीम का !
जवाब देंहटाएंगुरु जी तो गुरु जी होते हैं । सुंदर बुलेटिन । जय हो गुरु जी की :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन लगाई राजा साहब ... आभार आपका |
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