मैं आकाश को परिलक्षित करती धरती हूँ
धरती के गर्भ से आकाश तक जाने का मार्ग देती हूँ
मैं ही वाष्पित होकर बरसती हूँ
मैं तुम्हें अनुसन्धान के अवसर देती हूँ
लेकिन तुम !
अब तक उथले प्रेम की भाषा में पड़े हो !!
प्रेम आकाश है
प्रेम सूरज की गर्मी है
प्रेम शोध का शाश्वत विषय है
प्रेम आत्मा से परमात्मा में परिवर्तित शून्यता है
शून्यता - जहाँ से अनुभवों की बूंदाबांदी होती है
और इस प्रदेश में
उथली भाषा न सुनाई देती है
न ही उसका कोई आकार बनता है !
कौन बहस में उलझे ?.......550 वीं पोस्ट - ज़िन्दगी ...
जब हम प्यार करते हैं | प्रतिभा की दुनिया
Amrita Tanmay: विरोधाभास
लहरें: इश्क रंग
कुछ एहसास: "कोई"...( इंतज़ार, पतझर और इश्क)
कितने लिंक्स पढ़ेंगे आप और मन की मौजूदा स्थिति से परे कब तक हम विषय के कम्पन से अलग कुछ और परदे की ओट से कहेंगे ?
घुटन भरे स्वर हवाओं में चित्कार करते हैं,
कहाँ बचाना है लड़की को ?
गर्भ में ?
या बाहर हैवानों से ?
मरना उसकी नियति बनाने से पहले जानो
.... बेटा हो या बेटी
अंततः
गर्भ में ही मार देने का फैसला होगा एक माँ का
न्याय-अन्याय से परे
सत्य की धधकती आँच से
लावे की तरह कुछ प्रश्न हैं
उत्तर दे सकोगे ?
कौन देगा ?
समाज में बदलाव क्या संभव है ?"
अरे अपनी आत्मा को जगाओ
फिर भाषण दो !!
हर विषय पर खुली बातचीत
खुले प्रदर्शन का तांडव
तुम्हें दहलाता नहीं ?
परिवार, संस्कार से अलग
कब तक अश्लीलता पर चटखारे लोगे ?
.... आँखें क्या अपने घर की क्षत-विक्षत लाश पर खोलोगे ?
विशेष - आखिरी बात यही है कि जुल्म के शिकार लोगों और उनकी चिंता करने वालों को दब कर चुप नहीं रह जाना चाहिए. उन्हें लड़ना चाहिए.
कहाँ बचाना है लड़की को ?
जवाब देंहटाएंगर्भ में ?
या बाहर हैवानों से ?
मरना उसकी नियति बनाने से पहले जानो …………उम्दा लिंक संयोजन के साथ ज्वलंत मुद्दे पर बात उठायीहै
बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
क्या कहें ... :(
जवाब देंहटाएंमूक हैं सभी
जवाब देंहटाएंले चक्र सुदर्शन
कब आओगे?
.
बोलो कृष्ण...
पीड़ा को कितना झेला है हमारे राज्य ने कि कई गाँवों में तो सदियों बाद बेटियों ने जन्म लिया ! किस तरह रुकेगी यह पीड़ा /आतंक ! सच तो यह है कि आतंक की ख़बरें सुनाने/ फैलाने वालों की आँखों में भी झांक ले , उनके कातर शब्दों के पीछे की जुगुप्सा को पढ़ लें तो दिल दहल जाता है , यूँ ही तो नहीं बेटियों का अकाल रहा होगा .... कौन से दिन लौट रहे हैं इन दिनों !!
जवाब देंहटाएंसही कहा . अब तो ऐसी लड़ाई लड़ने की जरुरत है कि कोई जुल्म करने से पहले हजार बार सोचे . पर.. उफ़...
जवाब देंहटाएंक्या कहें ....कब तक कहें ....कहने से कोई नहीं समझा .... तो क्या करे ....अगर मारना ही है गर्भ में या बाहर हैवानों के द्वारा तो क्यूँ न उनको मारे जो इसका कारण हैं .....जिन्होंने ये स्थति पैदा की है .....अब करने से ही होगा ....ख़त्म करना होगा....नष्ट करना होगा .... यही निदान है ....
जवाब देंहटाएंकहाँ बचाना है लड़की को ?
जवाब देंहटाएंगर्भ में ?
या बाहर हैवानों से ?
मरना उसकी नियति बनाने से पहले जानो
.... बेटा हो या बेटी
अंततः
गर्भ में ही मार देने का फैसला होगा एक माँ का ----
मार्मिक सच भी है और एक जलता हुआ सवाल भी है
मन को नम करती बात कही है---
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन
सादर