प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
सब कहते हैं कि 'OPEN' और 'CLOSE' दो विपरीत शब्द हैं ;
लेकिन वास्तव में आप सबसे ज्यादा उसी व्यक्ति के सामने 'OPEN' रहते हैं जिससे आप सबसे ज्यादा 'CLOSE' हैं !
लेकिन वास्तव में आप सबसे ज्यादा उसी व्यक्ति के सामने 'OPEN' रहते हैं जिससे आप सबसे ज्यादा 'CLOSE' हैं !
क्यों सही कह रहा हूँ न !?
सादर आपका
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आरम्भ...
Rashmi Swaroop at लेखिका
‘‘एक हाथ में गीता और एक हाथ में कुरान हो’’
ARUN SATHI at चौथाखंभा
श्रमिक
Amit Kumar Nema at एक:
बहुलतावाद 'इवेंट' नहीं है नामवरजी !
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काश..... ! स्कूल जाने वाले दुनिया के बच्चे एक साथ हड़ताल कर दें.....
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शादी की सेंतीस्वी सालगिरह पर -----
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इंसाफ
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(लघुकथा) खण्डित मूर्ति
काजल कुमार Kajal Kumar at कथा कहानी
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सुंदर सूत्र सुंदर संयोजन सुंदर बुलेटिन हमेशा की तरह:)
जवाब देंहटाएंशिवम जी , उत्तम चयन , सार्थक व समावेशी , मेरी रचना 'श्रमिक' को आज के ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआभार संयोजक महोदय आपने मेरे लेख को शामिल किया..
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah sundar link laye hain...achha chunav...
जवाब देंहटाएंक्या हुआ बुलेटिन रिपोर्टरों को...??? लिंक्स बहुत अच्छे!!
जवाब देंहटाएंआज तो आपने हीरे ही परोस दिये, तश्तरी में रख कर! एक से बढ़ कर एक नायाब...!
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं… :)
जवाब देंहटाएंमेरे प्रयास को भी स्थान देने के लिये बहुत धन्यवाद।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सजा गुलदस्ता ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंsundar sankalan...mujhe sthaan dene ka aabhaar.. :)
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