इसीलिए कहते हैं कि … क्या कहते हैं !
कुछ समझ में नहीं आता !
2 महीने पहले जो शादी हुई धूमधाम से
लड़की ने जान दे दे !!!!!!!!!!!!!!!!!
तिथि देखी गई
घर देखा गया
विधि-विधान से शादी
फिर कहाँ कमी रह गई ?
अब ?
कुछ भी करके अब वह नहीं आएगी
नहीं सुनाई देगी उसकी खिलखिलाहट
उसके सपनों की बानगी तो जल गई !!!
क्या उसने कुछ नहीं कहा
कोई इंकार
कोई शिकायत
कोई डर ???
कहा तो होगा ही
पर अब नसीहतों के दस्तावेजों से
वह नहीं मिलेगी
……
यही है परिणाम ! और इसके आगे अपने संस्कारों के बुलंद दरवाजों के करीब माँ - बाप ! जिस समाज, परिवार के लिए नसीहतें दी जाती हैं बेटी या बेटे के ज़ख्म को, वे टहल लेते हैं इस स्थिति में .... उनका क्या गया,जो वे रोयेंगे !!
चलिए, यही है आज की भी ताजा खबर, इसके साथ कुछ लिंक्स -
मन पाए विश्राम जहाँ: लड़कियाँ
लड़कियाँ-लड़कियाँ-लड़कियाँ... स्लट वॉक पर ...
नई बात: गौरव सोलंकी की कविता - चार लड़कियाँ ...
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शब्द सक्रिय हैं: पहाड़ी लड़कियाँ
लड़कियाँ | आराधना का ब्लॉग
और टहलते हुए कुछ और लिंक्स -
पठनीय सूत्र मिल गये हैं ... आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
कब बदलेगा बहुत कुछ जिसे सच में बदल लेना था अपने आप को अब तक ?
जवाब देंहटाएंसुंदर बुलेटिन ।
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंलडकियों को अब नसीहतों की घुट्टी पिला कर झुकने पर मजबूर नहीं किया जा सकता..वे अपने दम पर जीना चाहती हैं, लेकिन मृत्यु कोई हल नहीं है
जवाब देंहटाएंएक ही विषय पर इतने सारे सुंदर सूत्र..बहुत बहुत आभार !
बहुत जबरदस्त लिंक्स संजोये हैं
जवाब देंहटाएंजब सपने यूँ ही जल जाते हैं तो राख भी नहीं बचता है .. सुन्दर बुलेटिन के लिए हार्दिक आभार..
जवाब देंहटाएंसार्थक बुलेटिन प्रस्तुति ... आभार रश्मि दीदी |
जवाब देंहटाएंपढ़ने योग्य काफी अच्छे लिंक मिले हैं आभार !!
जवाब देंहटाएंbahut sunder links lagayen hain dhnyavad
जवाब देंहटाएंrachana