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शुक्रवार, 16 मई 2014

यह लोकतंत्र है, वोट हमारा मंत्र है...

मित्रो लोकतंत्र ने अपनी दिशा और दशा तय कर ली है। मोदी चुनाव जीत कर दिल्ली फतह की तैयारी में हैं और यह लोकतंत्र के लिए एक महान दिन है। इतिहास बन गया है और हिन्दू राष्ट्रवादी दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होगा। "सबका साथ और सबका विकास" का नारा देने वाले मोदी वाकई में एक गंभीर समय में भारत के प्रधान बने हैं। इस विजय इस माइने में भी एतिहासिक है क्योंकि पहली बार किसी गैर कांग्रेसी दल ने अपने बूते बहुमत हासिल किया। शायद कांग्रेस को बनाने वालों ने भी इस अंजाम की कल्पना न की होगी। कांग्रेस क्षद्म साम्प्रदायिकता का ढिंढोरा पीटती रही और उसी नकारात्मकता ने मोदी को एक नयी उर्जा दी। विकास का नारा ही चला और उसी ने बदलाव के लिए इतने बड़े जन आन्दोलन को राजनीतिक विचारधारा के रूप में भाजपा का समर्थन मिला। मित्रो भारत की आज़ादी के बाद सदैव कांग्रेस ही राजनीतिक रूप से भारत का नेतृत्व किया है और भाजपा की वाजपेयी सरकार के बाद के दस वर्षो में जो कुछ हुआ उसने भारत को एक कठिन मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। मित्रों इस बीच भारत ने भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा देखी और उसके विरोध के लिए चले आन्दोलन को भी देखा। बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के साथ में नये आन्दोलन भी देखे, पूरा देश सड़क पर विरोध दर्ज कराने उठ खड़ा हुआ और सरकार की चूलें हिल गयी। मित्रो कोई भी आन्दोलन स्वयं में कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व तय नहीं करता वरन यह किसी राजनीतिक विचारधारा के लिए बीज का काम करता है। उसी लिए बहुत बड़े वैचारिक द्वन्द से जन्मे आम आदमी पार्टी का जन्म भी जनता ने देखा और उनकी नौटंकी भी देखी। इन सबके बीच संघ अपने काडर के साथ जन संपर्क में लगा रहा। वास्तव में लोगों की पीडा और कुकुरमुत्तों के समान उग आए राजनीतिक दलों के बीच जनता को कोई ठोस विकल्प नहीं दिखा। कई लोग शायद इस बात को न मानेंगे परन्तु यह चुनाव दल-गत और जातिगत राजनीति से दूर एक ठोस और सकारात्मक विकल्प की तलाश में एक राष्ट्रीय दल को समर्थन के रूप में जाना जाएगा। बयालीस फ़ीसदी वोट पानें वाले मोदी बहुमत के नज़दीक आ गये और कांग्रेस जैसा सवा सौ साल पुराना दल दो अंक में आकर किसी क्षेत्रिय दल जैसा प्रतीत होनें लगा। वास्तव में सत्ता के मद में चूर, घमंडी और अनैतिक सरकार को जनता का यह करारा जवाब था। इस नई मिसाल से सभी दलों को सीख लेनी होगी और अपने आप को जनता का ही प्रतिनिधी समझते हुए राजनीति को दायरे में रहकर करना होगा। 

हमनें नेहरू का दौर देखा, शास्त्री का दौर देखा और फ़िर इन्दिरा, राजीव और गठबंधन की सरकारों का दौर भी देखा। पहली बार हिन्दू बहु-संख्यक समाज का प्रतिनिधि इस प्रकार सत्तारूढ हुआ है। यह अपनें आप में विश्व के लिए एक अनूठी घटना है। यह सम्पूर्ण विश्व को एक नई दिशा देगा, दक्षिण एशिया में चीन के दखल और असुरक्षित पडोस के बीच भारत को मजबूरी की जगह मजबूती देगा। एक ऐसा व्यक्ति जो वास्तव में सबसे गरीब तबके से आता हो, जो चाय बेचकर अपनी पढाई पूरी करता हो, और इस लोकतंत्र की शक्ति के सहारे चढकर देश की सर्वोच्च शिखर तक पहुंच जाता हो। ऐसे लोकतंत्र को नमन.... कोई परिवार नहीं, कोई वंशवाद नहीं... कोई इतिहास को लेकर बडी बडी बात नहीं.. मात्र सबका साथ और सबका विकास के नारे से देश की दिशा तय हो... ऐसे लोकतंत्रिक देश पर मुझे गर्व है।  मित्रों, राजनीतिक विचारधारा कैसे देश का प्रतिनिधित्व करती है इसमें कई लोगों की दो राय होगी परन्तु एक अच्छा नेतृत्व देश को मजबूत कर सकता है इससे सभी एकमत होंगे। याद कीजिए शास्त्रीजी का "जय जवान और जय किसान" का नारा कैसे उसनें देश को एक सूत्र में पिरोया। पूरा देश गरीबी और कर्ज़े के बवंडर से निकलकर दुनिया को अनाज भेजनें लगा। देश आज उसी दो-राहे पर खडा था, एक ओर भयंकर भ्रष्टाचार में डूबी सरकार और दूसरी ओर एक सशक्त नेता जो अपनी राह पर मजबूती से खडा हो। यह जनता नें चुना कि उसे एक मजबूत विकल्प चाहिए न कि एक कमज़ोर और राजसत्ता मद में जनता के हितों की अनदेखी करनें वाली बिना रीढ की सरकार। "काम करो नहीं तो जाओ" यही लोकतंत्र की सबसे बडी शक्ति है और यही हमारे देश की प्राण उर्ज़ा भी है।  




आईए इस देश में परिवर्तन की इस नई बयार का सकारात्मक तरीके से स्वागत करें, मुश्किल समय पर यह बदलाव शायद इक्कीसवी शताब्दी में भारत को एक नये रास्ते पर ले आए और हम आगे बढे। 

आईए अब आज के बुलेटिन की ओर बढते हैं।

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सो मित्रों, आज का दिन अपनें लोकतंत्र पर गर्व करनें का दिन है, यह दिन वास्तव में ऐतेहासिक है।  धन्य है भारत की जनता.. और भारत की यह लोकतांत्रिक प्रणाली। 

जय हिन्द

14 टिप्‍पणियां:

  1. इस देश में परिवर्तन की इस नई बयार का सकारात्मक तरीके से स्वागत करें, मुश्किल समय पर यह बदलाव शायद इक्कीसवी शताब्दी में भारत को एक नये रास्ते पर ले आए और हम आगे बढे।

    तथास्तु।
    अब जाते हैं बुलेटिन के चिट्ठो पर।

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  2. बहुत सुंदर बुलेटिन सुंदर सूत्र संयोजन ।

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  3. देश में परिवर्तन की इस नई बयार का सकारात्मक तरीके से स्वागत --- बहुत अच्छी सोच है..इसी सोच के साथ विकास की कामना करें... इस सोच के साथ लिंक जोड़ने का आभार

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  4. आपका लेख अच्छा है। मोदी बहु संख्यक समाज के सदस्य हैं पर प्रतिनिधि पूरे देश के हैं। लोगों ने उन्हें धर्म और जाति से ऊपर उठ कर वोट किया है।आज़ादी के संघर्ष के बाद राष्ट्रीयता भाव फिर देश में दिखाई दिया है।हम सभी को यह जीत मुबारक।

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  5. देश में परिवर्तन की इस सुखद बयार का स्वागत है ! नई सरकार को हार्दिक शुभकामनाये ! आज़ कै बुलेटिन में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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  6. आभार, देश के मतदाताओं को समझदारी दिखाने के लिए बधाई और नई सरकार को हार्दिक शुभकामनाये !

    वंशवाद को अभी जड़ से उखाड़ना बाकी है !
    आइये कॉंग्रेस मुक्त भारत का निर्माण शुरू करें !

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  7. बिना किसी पूर्वाग्रह के एक संतुलित आलेख... वर्त्तमान लोकशाही की तस्वीर पेश करता हुआ.. बधाई!!

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  8. बहुत बढ़िया नई सकारात्मक सोच के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
    आभार!

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  9. बुलेटिन में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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  10. बुलेटिन में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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  11. ' प्रवासी भारतीय अमरीका में ' आप हम सभी , भारत का बेहतर भविष्य निर्मित करेंगें यह सत्य है।
    आप सभी ने इसे पढ़ा उसकी खुशी है।
    मेरे आलेख को ब्लॉग बुलेटिन देने के लिए आप सभी का बहुत आभार !
    - लावण्या

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