Pages

बुधवार, 30 अप्रैल 2014

पुराना- कुछ नया सा




थोड़ी विकृति सबके भीतर होती है 
थोड़ा स्वार्थ सबके अंदर पलता है 
क्रोध, झूठ,घृणा,साजिश की भावना 
विद्युत सी 
सबके अंदर कौंधती है 
भूख,प्यार,महत्वाकांक्षा 
इन्हीं रास्तों से गुजरती है 
… 
बिना किसी रुकावट के प्राप्य सम्भव ही नहीं !
रक्तबीज हमारी धमनियों में है 
न हो तो ईश्वर करेगा क्या ?
ईश्वर का कार्य है 
अन्याय का विनाश 
 अपने भीतर जो अन्यायी ख्याल पनपते हैं 
उनसे हम नज़रें चुरा सकते हैं 
ईश्वर नहीं !!


9 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चित्र और एक अच्छी कविता के आगाज के साथ एक सुंदर बुलेटिन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. जय हो दीदी जय हो ... बेहद शानदार बुलेटिन ... :)

    जवाब देंहटाएं
  3. बढिया लिंक्स की सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सार्थक सूत्र ! बहुत बढ़िया बुलेटिन !

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!