प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
अगर खुद मे आए इस बदलाव के बारे मे नहीं सोचा है तो ज़रा सोचिएगा |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
कभी आप से सोचा है कि एक ज़माना था जब हम वहाँ सोना पसंद करते थे जहाँ से चाँद तारे दिखें और आज वहाँ सोना पसंद करते हैं जहाँ चार्जर लगा सकें।
अगर खुद मे आए इस बदलाव के बारे मे नहीं सोचा है तो ज़रा सोचिएगा |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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चयनित ग़ज़लें
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संतूर पर राग अहिरभैरव ....!!
गृहस्थ आश्रम
मुद्दा हामिद मीर नहीं...आज हम, कल तुम्हारी बारी
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बहुत आभार शिवम ''स्वरोज सुर मंदिर " की नाद को यहाँ गुंजित किया ...!!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स...मेरी लघुकथा शामिल करने के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र पठनीय हैं ,पर आप का वन लाइनर सर्वश्रेष्ठ है :) ... आभार !
जवाब देंहटाएंvo bhi ek jamaanaa tha.. ye bhi ek jamana hai ..
जवाब देंहटाएंवंदेमातरम् जय भारत
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही और बढ़िया बुलेटिन , शिवम् भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर बुलेटिन
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स, बहुत से देखे।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।आज सब समाज सुधार की बातें।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स ! सार्थक बुलेटिन !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स,
जवाब देंहटाएंbahut sundar sabhi ....links
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