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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

अद्भुत रिश्ता



शिशु मैं' का प्रथम रुदन 
माँ के शिथिल 'मैं' में 
अद्भुत प्राण संचार करता है 
'मैं' की अबोध भूख 
माँ के 'मैं' के सीने से लगकर 
शांत हो जाती है 
और माँ का 'मैं' 
शिशु 'मैं' की भूख मिटाकर 
'मैं' का 'मैं' से अद्भुत रिश्ता 
गंगा,यमुना के मध्य सरस्वती सा बहता है !









और ये रहे आज के विशेष दिन के विशेष लिंक्स - जहाँ से शुरू होती है आज की सच्चाई :)



5 टिप्‍पणियां:

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