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मंगलवार, 18 मार्च 2014

होली बीती, खुमारी अभी बाकी है दोस्त



एक बरस में इक दिन होली जग दो दिन का मेला 
तन का पिंजरा तोड़के इक दिन पंछी जाए अकेला  .... उससे पहले जीवन के रंगों को भरपूर जीना ही ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी से प्यार है, पनपते नए रिश्तों का सौंदर्य है  … 
कल हँसते हुए, कुछ यादों के संग, कुछ सपनों के संग हमने अपने अपने हिस्से के रंग को जीया है, आज है थोड़ी खुमारी -
कुछ भांग की,
कुछ प्यार की,
कुछ खोने की,
कुछ पाने की  …… और हैं कुछ लिंक्स 




मैंने उन लम्हात से गुजारिश की थी तनिक ठहर जाएँ
पर उन्हें फ़िज़ा में उड़के बिखर जाने की बहुत जल्दी थी।
(शिखा वार्ष्णेय )
                                                                                                        

होली आयो रे ...


8 टिप्‍पणियां:

  1. :) खुमारी है वाकई बाकी होली की होली खेल ली जिसने ।

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  2. हमारी तो खुमारी ही खुमारी है :).

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  3. gagar me saagar bhar diya sundar link sanyojan .........aabhar di

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  4. अच्छे सूत्रों के साथ अच्छी प्रस्तुति , आ० रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !

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  5. खुमारी तो बाकी रहनी भी चाहिए ... रंग और भंग के मेल का असर अगर इतनी जल्द ख़त्म हो जाएगा ... तो होली का क्या लाभ !?

    प्रणाम दीदी |

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