प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
संदीप उन्नीकृष्णन (15 मार्च 1977 -28 नवम्बर 2008) भारतीय सेना
में एक मेजर थे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) के कुलीन
विशेष कार्य समूह में काम किया. वे नवम्बर 2008 में मुंबई के हमलों में
आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति समय बहादुरी पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
"उपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा", ये संभवतया उनके द्वारा अपने साथियों को कहे गए अंतिम शब्द थे, ऐसा कहते कहते ही वे ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो के दौरान मुंबई के ताज होटल के अन्दर सशस्त्र आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए.
बाद में, एनएसजी के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि जब ऑपरेशन के दौरान एक कमांडो घायल हो गया, मेजर उन्नीकृष्णन ने उसे बाहर निकालने की व्यवस्था की और खुद ही आतंकवादियों से निपटना शुरू कर दिया. आतंकवादी भाग कर होटल की किसी और मंजिल पर चले गए और उनका सामना करते करते मेजर उन्नीकृष्णन गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए।
परिवार
संदीप उन्नीकृष्णन बैंगलोर में स्थित एक नायर परिवार से थे, यह परिवार मूल रूप से चेरुवनूर, कोजिकोडे जिला, केरल से आकर बैंगलोर में बस गया था. वे सेवानिवृत्त आईएसआरओ अधिकारी के. उन्नीकृष्णन और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन के इकलौते पुत्र थे.
बचपन
मेजर उन्नीकृष्णन ने अपने 14 साल फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर
में बिताये, 1995 में आईएससी विज्ञान विषय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
वे अपने सहपाठियों के बीच बहुत लोकप्रिय थे, वे सेना में जाना चाहते थे,
यहां तक कि क्र्यू कट में भी स्कूल जरूर जाते थे. एक अच्छे एथलीट (खिलाडी)
होने के कारण, वे स्कूल की गतिविधियों और खेल के आयोजनों में बहुत सक्रिय
रूप से हिस्सा लेते थे. उनके अधिकांश एथलेटिक रिकॉर्ड, उनके स्कूल छोड़ने
के कई साल बाद तक भी टूट नहीं पाए. अपनी ऑरकुट प्रोफाइल में उन्होंने अपने आप को फिल्मों के लिए पागल बताया.
कम उम्र से ही साहस के प्रदर्शन के अलावा उनका एक नर्म पक्ष भी था, वे अपने स्कूल के संगीत समूह के सदस्य भी थे.
सेना कैरियर
संदीप 1995 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy)
(एनडीए) में शामिल हो गए. वे एक कैडेट थे, ओस्कर स्क्वाड्रन (नंबर 4
बटालियन) का हिस्सा थे और एनडीए के 94 वें कोर्स के स्नातक थे. उन्होंने
कला (सामाजिक विज्ञान विषय) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
उनके एनडीए के मित्र उन्हें एक "निः स्वार्थ", "उदार" और "शांत व सुगठित" व्यक्ति के रूप में याद करते हैं.
उनके खुश मिजाज़ चेहरे पर एक दृढ और सख्त सैनिक का मुखौटा स्पष्ट रूप से
देखा जा सकता था, इसी तरह से उनके पतली काया के पीछे एक सुदृढ़, कभी भी
हार ना मानने वाली एक भावना छिपी थी, इन गुणों को एनडीए में आयोजित कई
प्रशिक्षण शिविरों और देश के बाहर होने वाली प्रतिस्पर्धाओं में देखा गया,
जिनमें उन्होंने हिस्सा लिया था.
उन्हें 12 जुलाई 1999 को बिहार रेजिमेंट (इन्फेंट्री) की सातवीं बटालियन का लेफ्टिनेंट आयुक्त किया गया. हमलों और चुनौतियों का सामना करने के लिए दो बार उन्हें जम्मू और कश्मीर तथा राजस्थान में कई स्थानों पर भारतीय सेना में नियुक्त किया, इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स में शामिल होने के लिए चयनित किया गया. प्रशिक्षण के पूरा होने पर, उन्हें जनवरी 2007 में एनएसजी का विशेष कार्य समूह (एसएजी) सौंपा गया और उन्होंने एनएसजी के कई ऑपरेशन्स में भाग लिया.
वे एक लोकप्रिय अधिकारी थे, जिन्हें उनके वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों ही पसंद करते थे. सेना के सबसे कठिन कोर्स, 'घातक कोर्स' (कमांडो विंग (इन्फैंट्री स्कूल), बेलगाम में) के दौरान वे शीर्ष स्थान पर रहे, उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारीयों से "प्रशिक्षक ग्रेडिंग" और प्रशस्ति अर्जित की. संभवतया यही कारण था या बहादुरी के लिए उनका जुनून था कि उन्होंने एनएसजी कमांडो सेवा को चुना, जिसमें वे 2006 में प्रतिनियुक्ति पर शामिल हुए थे.
जुलाई 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान पाकिस्तानी सैन्य दलों के द्वारा भारी तोपों के हमलों और छोटी बमबारी के जवाब में उन्होंने आगे की पोस्ट्स में तैनात रहते हुए धैर्य और दृढ संकल्प का प्रदर्शन किया.
31 दिसंबर 1999 की शाम को, मेजर संदीप ने छह सैनिकों एक टीम का नेतृत्व
किया और शत्रु से 200 मीटर की दूरी पर एक पोस्ट बना ली. इस दौरान वे शत्रु
के प्रत्यक्ष प्रेक्षण और आग के चलते काम कर रहे थे.
ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो
26 नवम्बर 2008 की रात, दक्षिणी मुंबई
की कई प्रतिष्ठित इमारतों पर आतंकवादियों ने हमला किया. इनमें से एक इमारत
जहां आतंकवादियों ने लोगों को बंधक बना लिया, वह 100 साल पुराना ताज महल पेलेस होटल था.
ताज महल होटल के इस ऑपरेशन में मेजर उन्नीकृष्णन को 51 तैनात एसएजी का
टीम कमांडर नियुक्त किया गया, ताकि इमारत को आतंकवादियों से छुड़ाया जा सके
और बंधकों को बचाया जा सके. उन्होंने 10 कमांडो के एक समूह में होटल में
प्रवेश किया और सीढियों से होते हुए छठी मंजिल पर पहुंच गए. सीढियों से
होकर निकलते समय, उन्होंने पाया कि तीसरी मंजिल पर आतंकवादी हैं.
आतंकवादियों ने कुछ महिलाओं को एक कमरे में बंधक बना लिया था और इस कमरे को
अन्दर से बंद कर लिया था. दरवाजे को तोड़ कर खोला गया, इसके बाद
आतंकवादियों ने एक राउंड गोलीबारी की जिसमें कमांडो सुनील यादव घायल हो गए.
वे मेजर उन्नीकृष्णन के प्रमुख सहयोगी थे.
मेजर उन्नीकृष्णन ने सामने से टीम का नेतृत्व किया और आतंकवादियों के साथ उनकी भयंकर मुठभेड़ हुई. उन्होंने सुनील यादव को बाहर निकालने की व्यवस्था की और अपनी सुरक्षा को ताक पर रखकर आतंकवादियों का पीछा किया, इसी दौरान आतंकवादी होटल की किसी और मंजिल पर चले गए, और इस दौरान संदीप निरंतर उनका पीछा करते रहे. इसके बाद हुई मुठभेड़ में उन्हें पीछे से गोली लगी, वे गंभीर रूप से घायल हो गए और अंत में चोटों के सामने झुक गए.
अंतिम संस्कार
उन्नीकृष्णन के अंतिम संस्कार में, शोक में लिप्त लोगों ने जोर जोर से
चिल्ला कर कहा "लॉन्ग लाइव् मेजर उन्नीकृष्णन", "संदीप उन्नीकृष्णन अमर
रहे". हजारों लोग एनएसजी कमांडो मेजर उन्नीकृष्णन के बैंगलोर
के घर के बाहर खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजली दे रहे थे. मेजर संदीप
उन्नीकृष्णन का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ किया गया.
आज अमर शहीद संदीप उन्नीकृष्णन की ३७ वीं जयंती के अवसर पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम उनको शत शत नमन करते है |
सादर आपका
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ऋतुचर्या
प्रवीण पाण्डेय at न दैन्यं न पलायनम्
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
संदीप उन्नीकृष्णन जैसे वीरों को ह्रदय से शत-शत नमन। ऐसे वीरों के कारण ही देशभक्ति का अनुभव विराट बनता है।
जवाब देंहटाएंशहीदों ने हमें गर्व करना सिखाया है, नमन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र, आभार आपका।
जवाब देंहटाएंshat-shat naman amar shahidon ko ....
जवाब देंहटाएंअमर शहीद संदीप उन्नीकृष्णन को विनम्र नमन...
जवाब देंहटाएं''Sahi Baat सही बात'' का लिंक सम्मिलित करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र...रोचक बुलेटिन...आभार
जवाब देंहटाएंसंदीप जैसे शहीदों को याद करके मन भर आता है....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम् कि तुम वक्त वक्त पर ऐसी सार्थक पोस्ट डाल कर याद दिलाते हो.
हमारी रचना को इस सुन्दर बुलेटिन में शामिल करने का शुक्रिया.
सस्नेह
अनु
अमर शहीद संदीप उन्नीकृष्णन की ३७ वीं जयंती के अवसर पर उन्हें शत शत नमन । आज के बुलेटिन में उलूक की होली "होली को होना होता है बस एक दिन का सनीमा होता है" को शामिल किया आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंbehud rochak or sarthak buletin hoti hai aapki....
जवाब देंहटाएंअमर शहीद संदीप उन्नीकृष्णन के बलिदान को देश कभी भुला नहीं सकता । आपके इस लेख के लिये व्यक्तिगत रूप से आभारी हूं । इस घटना से नेताओं की करतूतों का एक स्याह पहलू भी जुडा है । वह है केरल के तत्कालीन मुख्य मन्त्री का शहीद के परिवार से अभद्र व्यवहार और महारास्ट्र के मुख्य मन्त्री का पत्रकारों के बीच में खिलखिलाना ।
जवाब देंहटाएंsarvapratham amar shahid veer senani unnikrishnan ke charnon me shat-shat naman karti hun.apane triveni se meri post - holi ki goonj- ko apane blog me sthan diya is hetu hardik dhanyavad.holi ki
shubhkamanayen.
pushpa mehra.
शहीदों के बलिदान को हर भारतवासी कृतज्ञ भाव से शीश झुका कर सदैव याद करेगा ! मेजर संदीप को भावभीनी श्रद्धांजलि ! पठनीय सूत्रों से सुसज्जित आज का बुलेटिन ! सभी पाठकों को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंशहीद संदीप अमर रहें...........
जवाब देंहटाएंआभार, मेरे लिंक को शामिल करने के लिए !!
मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार ...
जवाब देंहटाएं