वो देश जहाँ कभी “मेरा रंग दे बसंती चोला” गूँजा करता था, आज मीका सिंह का “तू मेरे अगल बगल है” गूँजता है... जहाँ “हम भी आराम उठा सकते थे घर पे रहकर” सुना करते थे लोग, वहाँ यो यो हन्नी सिंह का “चार बोतल वोदका” सुनाई देता है. वे नौजवान थे जिन्होंने देश को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलाने के लिये अपनी जवानी क़ुर्बान कर दी – क्या लोग थे वो दीवाने या लोग थे वो अभिमानी.आज भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की शहादत को याद करने का दिन है. और आज उनकी प्रासंगिकता और भी शिद्दत से महसूस होने लगी है.आज जब हीरो का मतलब क्रिश या स्पाइडरमैन है, किसे याद रहता है कि हाड़, माँस के बने ये हीरो असली हीरो थे, जिनकी क़ुर्बानी के कारण हम आज ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क का शहरी कह पा रहे हैं.आइये, आज के दिन उन महान आत्माओं को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए उनसे ये वादा करें:
हम बसाएँगे, सजाएँगे, सँवारेंगे तुझे,हर मिटे नक्श को चमका के उभारेंगे तुझेअपनी शह रग़ का लहू दे के निखारेंगे तुझेदार पे चढ़ के फिर इक बार पुकारेंगे तुझे.राह अग़ियार की देखें ये भले तौर नहीं,हम भगत सिंह के साथी हैं कोई और नहीं!हम वो दीपक हैं जो आँधी में जला करते हैंहम वो ग़ुंचे हैं जो बिजली पे हँसा करते हैंदर्द बनके दिल-ए-गीती में उठा करते हैंउठ की आईन-ए-फ़ुगाँ तोड़ दिया करते हैंज़ुलमत-ए-ग़म में चमक उठते हैं तारों की तरहदौड़ जाते हैं फ़िज़ाओं में शरारों की तरह!भूख ने, प्यास ने, इफ़लास ने पाला है हमेंकभी बहके हैं तो फ़ाकों ने सम्भाला है हमेंज़ब्र ने आहनी तंज़ीम में ढाला है हमेंझोंपड़े फूँक के मैदाँ में निकाला है हमेंआज हर मोड़ पे लिक्खेंगे कहानी अपनीअपनी धरती में समो देंगे जवानी अपनी!~ कैफ़ी आज़मी
और अब कुछ पोस्ट्स आपके लिए
तो अब मुझे इजाज़त दीजिये ... ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों को ८०० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ ... ऐसे ही स्नेह बनाए रखें |
सादर आपका
सलिल वर्मा
बेहतरीन अंदाज़ में बुलेटिन सूत्रों के साथ , ८०० पोस्ट के लिये बुलेटिन व बिहारी भाई को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
नमन मेरे सरफरोशों को
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्
शहीदों को नमन। बेहतरीन पोस्ट।
जवाब देंहटाएंनमन मेरे सरफरोशों को
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्
८०० पोस्ट के लिये बुलेटिन व बिहारी भाई को बहुत बहुत बधाई और
हार्दिक शुभकामनायें
शहीदों को नमन, ८०० वीं पोस्ट की शुभकामनायें, सुन्दर संकलित सूत्र।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स ...!
जवाब देंहटाएं८०० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ ...
RECENT POST - प्यार में दर्द है.
वाह !
जवाब देंहटाएंहोते आठ का सैकड़ा हो गया
ब्लाग बुलेटिन ब्लागों का
सचिन तेंदुलकर हो गया :)
बधाईयाँ
और
नमन शहीदों को
जिन के होने से ही कभी ये देश भी आजाद हो गया जियो ।
तन समर्पित मन समर्पित ,और यह जीवन समर्पित । चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ...। यही ज़ज्बा जब हर भारतीय का होगा तभी उन वीर देशभक्तों का सच्चा स्मरण होगा । आपने कितनी सहजता से आज की मनोवृत्तियों का चित्रण कर दिया । बडी तकलीफ होती है जब कोई सहकर्मिणी गर्व से बताती है कि उनका बेटा तो इण्डिया आना ही नही चाहता । कहता है इण्डिया के लोग कितने अनकल्चर्ड हैं । एक ये भारत की सन्तानें हैं और एक वे थे देश को प्राणों से बढकर मानने वाले और देश के लिये अपने सुखों का त्याग कर सरफरोशी करने वाले ।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ ,आठ सौ के आठ हजार हों और आप ऐसी ही प्रस्तुतियाँ देते रहें ।
"ए शहीद-ऐ-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार ..."
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को ८०० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
जवाब देंहटाएंऐसे ही स्नेह बनाए रखिए |
सलिल दादा ,
प्रणाम |
सभी मित्रो का आभार!!
जवाब देंहटाएंप्रवास पर थी इसलिए आज ही पोस्ट देखने का अवसर मिला। आपको ढेर सारी बधाई, आप ऐसे ही श्रेष्ठ रचना कार्य करते रहें।
जवाब देंहटाएंsundar links...
जवाब देंहटाएंहाल ही में हम भी अंडमान की सेल्यूलर जेल मैं शहीदों के स्मारक के दर्शन कर लौटे हैं। वहाँ पहुँच कर कुछ पल को सही, सभी लोग सरजमीं पर कुर्बान होने के जज़्बे से लबरेज़ हो जाते हैं! आपकी पोस्ट ने आजादी के दीवानों की शहादत की याद दिला दी...
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