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सोमवार, 4 नवंबर 2013

दीवाली की अगली सुबह .........ब्लॉग बुलेटिन





पहले देखिए दीवाली का अगला दिन भाई काजल कुमार की नज़र से



आप चाहे जो भी कहें , मगर इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हमारी आपकी मौजूदगी और पल पल हमारे द्वारा दी जा रही दस्तकों का एक ये असर तो हुआ ही है कि अब गम , खुशी , त्यौहार , पर्व , समारोह , की तमाम यादें न सिर्फ़ हम सहेज़ रहे हैं बल्कि कोसों मीलों दूर बैठे अपने दोस्तों के साथ निरंतर साझा भी कर पा रहे हैं ,और हम सब ऐसा कर रहे हैं । कई बार इस मुएं सोशल नेटवर्किंग को कोसते हुए भी , मगर मुझे इसकी ये खासियत पसंद है ।


दीवाली की रात जितनी रोचक , चकाचौंधभरी और हां धमाकोंभरी होती है उतनी ही रोचक सुबह भी होती है । दरवाज़ों , बरामदों , छतों , गलियों और सडकों तक पर धज्जियां उडे हुए पटाखों के अवशेष , बीच बीच में पडे वे कमबख्त जो उस चिथडामय आपदा में भी बचे रह गए ताकि अगली सुबह बच्चों की खोजी निगाहें उन्हें तलाश कर एक किनारे लगा दें , उनका नंबर दीवाली की अगली दोपहर शाम को आता है फ़टने का । रंगोली के रंग एक दूसरे से मिलते हुए , फ़ूल थोडे से कुम्हलाए और पत्तों की सज़ावट में भी मुरझाहट ...पूजाघर में अब तक जलता हुआ बडा दीप , और देहरी में जलते हुए , टिमटिमाते हुए कई दीप .....चलिए छोडिए अब आज की पोस्टों को एक लाइना में पिरोया जाए



पता : तो यकीनन  लखनऊ का ही होगा :)



नित नया किनारा : किसने पार उतारा :)


कोरा कागज़ : मेरा जीवन , कोरा ही रह गया


हैप्पी दीवाली , कुछ उनकी , कुछ अपनी : दीवाली से धनतेरस , अपना सपना मनी मनी :)


धोते रविकर पाप , गर आज बापू होते : क्या पता वे भी धाडे मार के रोते :)


यही प्यार है : अहा! क्या इज़हार है


ह्यूमन कंप्यूटर की ८४ वीं जयंती : नमन नमन तुम्हें हे गुणवंती


ब्लॉगिंग पर एक छोटा सा फ़ुटनोट : ओहो जे बात , डायरेक्ट दिल पर चोट :)


कुछ सरकारी जोंक : देश को चूस गए :)


जल रहे हैं दीपक : और चाइनीज़ लाइट भी :)



7 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो खूब बुलेटिन लगाये - लगे रहो भैया - शुभकामनायें त्योहारों की :)

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  2. बहुत सुंदर बुलेटिन ! अजय भाई , एकदम आपके स्टाइल में.
    शुभकामनाएँ त्योहारों की !!

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  3. बहुत सुंदर चर्चा !
    भाई दूज की शुभकामनायें !

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  4. बहुत खूब अजय भाई ... शानदार एक लाइना बुलेटिन लगाए महाराज ... जय हो !

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