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शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

काम बहुत हैं हाथ बटाओ अल्ला मियाँ - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज हरदिल अज़ीज़ शायर जनाब निदा फ़ाज़ली साहब का जन्मदिन है ... इस मौके पर पेश है उनकी एक बेहद उम्दा रचना !

नील गगन पर बैठ
कब तक
चाँद सितारों से झाँकोगे

पर्वत की ऊँची चोटी से
कब तक
दुनिया को देखोगे

आदर्शों के बन्द ग्रन्थों में
कब तक
आराम करोगे

मेरा छप्पर टपक रहा है
बनकर सूरज
इसे सुखाओ

खाली है
आटे का कनस्तर
बनकर गेहूँ
इसमें आओ

माँ का चश्मा
टूट गया है
बनकर शीशा
इसे बनाओ

चुप-चुप हैं आँगन में बच्चे
बनकर गेंद
इन्हें बहलाओ

शाम हुई है
चाँद उगाओ
पेड़ हिलाओ
हवा चलाओ

काम बहुत हैं
हाथ बटाओ अल्ला मियाँ
मेरे घर भी आ ही जाओ
अल्ला मियाँ...!

- निदा फ़ाज़ली
 
जन्मदिन मुबारक निदा साहब !! 
सादर आपका
शिवम मिश्रा 
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'घर' (चार शब्द चित्र।)

एक आत्मकेंद्रित व्यक्ति के तस्वीरिया बयान

कार्टून :- रावण अब तुम जाओ रे...

हरी नारी

कानपुर से बंगलोर

जन्मदिन के बहाने

एक व्यंग (मंहगाई )

हमारे अन्दर के रावण ...

ये सांकले नियति है जो टूट कर भी जकड़े है उसे !!

गिरह , गांठे

गुब्बारों के फूटने में सुनाई दी बच्चे की हँसी

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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. निदा साहेव को जन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शिवम् जी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर सूत्र,आपको विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ, माँ दुर्गा जी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।

    जवाब देंहटाएं
  3. ये बहुत अच्छा लगा कि एक बहुत बड़े शायर के साथ हमारी पोस्ट का लिंक आया है..
    आपको साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

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