प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
प्रणाम !
आज हरदिल अज़ीज़ शायर जनाब निदा फ़ाज़ली साहब का जन्मदिन है ... इस मौके पर पेश है उनकी एक बेहद उम्दा रचना !
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
'घर' (चार शब्द चित्र।)
एक आत्मकेंद्रित व्यक्ति के तस्वीरिया बयान
कार्टून :- रावण अब तुम जाओ रे...
हरी नारी
कानपुर से बंगलोर
जन्मदिन के बहाने
एक व्यंग (मंहगाई )
हमारे अन्दर के रावण ...
ये सांकले नियति है जो टूट कर भी जकड़े है उसे !!
गिरह , गांठे
गुब्बारों के फूटने में सुनाई दी बच्चे की हँसी
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
निदा साहेव को जन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शिवम् जी
बहुत ही सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ब्लाग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र,आपको विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ, माँ दुर्गा जी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन !
जवाब देंहटाएंये बहुत अच्छा लगा कि एक बहुत बड़े शायर के साथ हमारी पोस्ट का लिंक आया है..
जवाब देंहटाएंआपको साधुवाद
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंshukriyaa Shivam ji meri rachna ko yaha sthaan dene ka
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