प्रिये ब्लॉगर मित्रों
सादर प्रणाम
हाज़िर है एक और रचना आज के बुलेटिन में | यादें बेहद दुःख भी दे सकती हैं और सुख भी | मेरे बचपन के कारनामो और दोस्तों की यादों ने हमेशा मुझे हंसाया और गुदगुदाया ही है | आपके सामने उन्ही यादों को एक कविता के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ | उम्मीद है पसंद करेंगे |
वो यादें गुज़रे लम्हों की
जिस पल यारों साथ रहे
वो अनजानी दुनिया थी
खुशियों से आबाद रहे
वो उम्र गुज़ारी थी हमने
जब रोते रोते हँसते थे
बस कहते थे न सुनते थे
हम तुम जब मिलते थे
वो अपने चेहरे खिलते थे
पुर्लुफ्त वो आलम होता था
जब रातों को बातें करते थे
मैं सोच के कितना हँसता हूँ
उन बातों पर बचपन की
बस यही पुरानी याद बनी
'निर्जन' बातें उन लम्हों की
लड़ लड़ कर हम साथ रहे
ये यादें है उस अपनेपन की
वो यादें गुज़रे लम्हों की ....
आज की कड़ियाँ
एक कलि गुलाब की - अभिषेक कुमार झा
प्यार नहीं कहते - रश्मि शर्मा
बाबा रामदेव जन्म दिवस par आप सभी सादर आमंत्रित हैं! - सवाई सिंह राजपुरोहित
नव परिवर्तनों के दौर में हिन्दी ब्लॉगिंग - रेखा जोशी
इश्क - रीना मौर्या
साया - उदय वीर सिंह
बहुत मुश्किल है कुछ यादों का भुलाया जाना (भाग-1 ) - विजय राजबली माथुर
ऐ जान जरा बात बताओ तो सही - राजेश कुमारी
ब्याज खाने के लिए मूल जमा करना पड़ता है - अजीत सिंह तैमूर
नेकलाइन - तीन - सागर
भाव का चढ़ना और उतरना - सुशिल कुमार
अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
सादर प्रणाम
हाज़िर है एक और रचना आज के बुलेटिन में | यादें बेहद दुःख भी दे सकती हैं और सुख भी | मेरे बचपन के कारनामो और दोस्तों की यादों ने हमेशा मुझे हंसाया और गुदगुदाया ही है | आपके सामने उन्ही यादों को एक कविता के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ | उम्मीद है पसंद करेंगे |
वो यादें गुज़रे लम्हों की
जिस पल यारों साथ रहे
वो अनजानी दुनिया थी
खुशियों से आबाद रहे
वो उम्र गुज़ारी थी हमने
जब रोते रोते हँसते थे
बस कहते थे न सुनते थे
हम तुम जब मिलते थे
वो अपने चेहरे खिलते थे
पुर्लुफ्त वो आलम होता था
जब रातों को बातें करते थे
मैं सोच के कितना हँसता हूँ
उन बातों पर बचपन की
बस यही पुरानी याद बनी
'निर्जन' बातें उन लम्हों की
लड़ लड़ कर हम साथ रहे
ये यादें है उस अपनेपन की
वो यादें गुज़रे लम्हों की ....
आज की कड़ियाँ
एक कलि गुलाब की - अभिषेक कुमार झा
प्यार नहीं कहते - रश्मि शर्मा
बाबा रामदेव जन्म दिवस par आप सभी सादर आमंत्रित हैं! - सवाई सिंह राजपुरोहित
नव परिवर्तनों के दौर में हिन्दी ब्लॉगिंग - रेखा जोशी
इश्क - रीना मौर्या
साया - उदय वीर सिंह
बहुत मुश्किल है कुछ यादों का भुलाया जाना (भाग-1 ) - विजय राजबली माथुर
ऐ जान जरा बात बताओ तो सही - राजेश कुमारी
ब्याज खाने के लिए मूल जमा करना पड़ता है - अजीत सिंह तैमूर
नेकलाइन - तीन - सागर
भाव का चढ़ना और उतरना - सुशिल कुमार
अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज
गुजरे लम्हों के साथ
जवाब देंहटाएंकिया है आज आगाज
तुषार का ब्लाग बुलेटिन
पेश करने का अपना अंदाज
सधी लेखनी के लेखकों
के सुंदर सूत्रों के बीच
कहीं दिखा रहा है 'उल्लूक'
नमस्ते शुक्रिया आभार !
यादें ... खट्टी मीठी यादें ... :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन तुषार भाई !
तुषार जी ब्लॉग बुलेटिन सभी सुन्दर सूत्रों के साथ में अपनी ग़ज़ल पाकर हर्षित हूँ आपका तहे दिल से शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन
जवाब देंहटाएंधर्म गुरुओं का अधर्म की ओर कदम ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः13
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहर कविता अपने आप में वास्तविकता बयाँ करती हुई
सभी लेख़क/लेखिका को हार्दिक बधाई
साथ ही मेरी रचना ''इक कली गुलाब की'' को सम्लित
करने हेतु,
सादर आभार
बहुत खूबसूरत बुलेटिन..मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ बुलेटिन ..
जवाब देंहटाएंआभार...
:-)
बहुत सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंप्रथमप्रयास.कॉम-
सभी दोस्तों का शुक्रिया | जय हो मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति,आप को गणेश चतुर्थी पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,श्री गणेश भगवान से मेरी प्रार्थना है कि वे आप के सम्पुर्ण दु;खों का नाश करें,और अपनी कृपा सदा आप पर बनाये रहें...
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