सभी चिठ्ठाकार मित्रों को सादर नमस्ते।। अपनी तीन दिवसीय यात्रा से कल ही लौटा हूँ, इसलिए ब्लॉगजगत से थोड़ा दूर था। इस बुलेटिन से ब्लॉगजगत में वापसी कर रहा हूँ। आभार।।
मकबूल फ़िदा हुसैन भारत के जाने - माने चित्रकार थे। इनका जन्म 17 सितम्बर, सन 1915 ई. में मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ था। ये एम. एफ. हुसैन के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हुए थे। ये भारत के सबसे मशहूर चित्रकारों में से एक हैं। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनके द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी थी, इसी के साथ वो भारत के सबसे महंगे चित्रकार बन गए थे। उनकी एक और पेंटिंग 2008 में लगभग 16 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी थी। 2010 में उन्होंने क़तर की नागरिकता भी स्वीकार कर ली थी। हुसैन साहब कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1955 में पद्मश्री, 1973 में पदमभूषण और 1991 में पदमविभूषण से सम्मानित किया गया। 1971 में साओ पोलो में उन्हें विश्व विख्यात कलाकार पिकासो के साथ विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। हुसैन जी का निधन 9 जून, सन 2011 ई. में लंदन (इंग्लैंड) में हुआ।
तब तक के लिए शुभ रात्रि। कल फिर मिलेंगे।।
मकबूल फ़िदा हुसैन भारत के जाने - माने चित्रकार थे। इनका जन्म 17 सितम्बर, सन 1915 ई. में मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ था। ये एम. एफ. हुसैन के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हुए थे। ये भारत के सबसे मशहूर चित्रकारों में से एक हैं। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनके द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी थी, इसी के साथ वो भारत के सबसे महंगे चित्रकार बन गए थे। उनकी एक और पेंटिंग 2008 में लगभग 16 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी थी। 2010 में उन्होंने क़तर की नागरिकता भी स्वीकार कर ली थी। हुसैन साहब कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1955 में पद्मश्री, 1973 में पदमभूषण और 1991 में पदमविभूषण से सम्मानित किया गया। 1971 में साओ पोलो में उन्हें विश्व विख्यात कलाकार पिकासो के साथ विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। हुसैन जी का निधन 9 जून, सन 2011 ई. में लंदन (इंग्लैंड) में हुआ।
अनंत पई (17 सितम्बर 1929, कार्कल, कर्नाटक — 24 फरवरी 2011, मुंबई), जो अंकल पई के नाम से लोकप्रिय थे, भारतीय शिक्षाशास्री और कॉमिक्स, ख़ासकर अमर चित्र कथा श्रृंखला, के रचयिता थे । इंडिया बुक हाउज़ प्रकाशकों के साथ 1967 में शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के ज़रिए बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताई गईं । 1980 में टिंकल नामक बच्चों के लिए पत्रिका उन्होंने रंग रेखा फ़ीचर्स, भारत का पहला कॉमिक और कार्टून सिंडिकेट, के नीचे शुरू की. 1998 तक यह सिंडिकेट चला, जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे ।
दिल का दौरा पड़ने से 24 फरवरी 2011 को शाम के 5 बजे अनंत पई का निधन हो गया । आगे पढ़े यहाँ ….
दिल का दौरा पड़ने से 24 फरवरी 2011 को शाम के 5 बजे अनंत पई का निधन हो गया । आगे पढ़े यहाँ ….
आज पूरा हिंदी ब्लॉगजगत इन दोनों महान शख्सियतों को हार्दिक नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। सादर।।
अब रुख करते हैं आज की बुलेटिन की ओर ….
आपने लिखा....हमने पढ़ा....बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. !
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंआभार भाई।
अमर चित्र कथा के जनक अनंत पाई से बचपन का नाता रहा है। उनका जन्मदिन याद दिलाने के लिए हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की ये बात ज्यादा अच्छी लगती है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया और आभार
सुन्दर सूत्रों का संकलन !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
दोनों महान शख्सियतों को हार्दिक नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि ... इस बेहद उम्दा बुलेटिन के लिए आपका आभार हर्ष !
जवाब देंहटाएंनमन है देश की विभूतियों को ...
जवाब देंहटाएंउम्दा बुलेटिन ...
सुंदर सूत्रों का संकलन...
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंnew website click here
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