प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
१५ जुलाई २०१० को भारतीय रुपये को अपना प्रतीक चिन्ह मिला था ... सरकार द्वारा बताया गया कि इस प्रतीक चिन्ह से रुपये को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान और लोकप्रिय बनाने मे मदद मिलेगी !
१५ जुलाई २०१३ फिलहाल वही सरकार इस कोशिश मे लगी है कि मौजूदा दौर मे भारतीय रुपया राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनी पहचान ही न खो दे ... लोकप्रियता को तो साहब फिलहाल जाने ही देते है !
ऐसे मे केवल इतना ही कह सकते है कि बेचारा भारतीय रुपया लोकप्रियता के चक्कर मे अपनी पहचान ही खोये जा रहा है !
सादर आपका
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कविता - उस रात
झील व बतखें
चुहुल - ५४
बात हो चाहे कितनी पुरानी कहूँ
पहचान
वो अपने हुनर मे
मैं और मेरा उत्तराखंड
जरूर सोचना....
P.S.:- सावधान, ये कोई सेंटी पोस्ट नहीं है...
यथार्थ बोध
अब बस यादों में रह जायेगा टेलीग्राम
सतर्क और सावधान रहें !
बॉसिज्म..
क़ानून को बदला लेने का हथियार न बनाएं
गर खुदा मुझसे कहे कुछ मांग ये बन्दे मेरे मैं ये मांगू महफ़िलो के दौर यू चलते रहे
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बढ़िया बुलेटिन | जय हो
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स,आभार.
जवाब देंहटाएंरामारम.
सुंदर लिंक्स,आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स,आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन....
जवाब देंहटाएंआज के लिंक्स खोजने में काफी जतन किये हो लगता है....
शुक्रिया
सस्नेह
अनु
sundar links ..abhar ...
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह इस बार भी लाजवाब बुलेटिन पेश की है शिवम भाई। सारे लिंक्स एक बार में ही पढ़ डाले :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंशानदार बुलेटिन.. आदरणीय शिवम जी.. बहुत अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंबेचारा रुपिया और बेचारे हम :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन.
अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंशामिल करने हेतु धन्यवाद शिवम जी।।
अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंशामिल करने हेतु धन्यवाद शिवम जी।।
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स, अच्छा बुलेटिंन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना आभार
जवाब देंहटाएंनवीन लेख
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सुन्दर सूत्र, अपने रपटे में फिसलता रुपया।
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