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सोमवार, 1 जुलाई 2013

खास है १ जुलाई - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

हर साल 1 जुलाई को पूरी दुनिया सेलिब्रेट करती है इंटरनेशनल जोक डे। यानी हंसने-हंसाने का एक खास दिन। तो फिर हो जाए तैयारी इस फनी सेलेब्रेशन की..!

नहीं चाहिए पैसे, नहीं चाहिए गिफ्ट, मिठाइयां, चॉकलेट। बस मुझे चाहिए तो केवल प्यारे-प्यारे जोक्स, जो हंसा दें जी भर के और कर दे मस्ती से सराबोर। आप भी इस बात से तो जरूर सहमत होगे। सचमुच, जब कभी मोबाइल सेट पर जानदार जोक्स पढ़ने को मिलते हैं, तो आप चाहते हैं कि उसे जल्द से जल्द सबको पढ़ा दें।
इसको पढ़ाया, उसको पढ़ाया, मम्मा-पापा, जाने-अनजाने दोस्त, हर किसी को वह मैसेज हम तुरंत भेज देते हैं। क्यों? हंसने-हंसाने के लिए न।

वैसे, डोंट यू थिंक कि जहां इतने सारे प्राब्लम्स हैं, ऐसे माहौल में हर कोई थोड़ा कूल हो जाए, तो हो सकते हैं बड़े बदलाव। और यह सब हो सकता है खूब हंसने-हंसाने की आदत डालने से। आफ्टर ऑल लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन। खैर, नो सीरियस बातें। बस इतना कहेंगे कि लाफ, लाफ..लाफ लाउडली।

[लाफ्टर के फास्टर फैक्ट्स]

* जोक के कॉन्सेप्ट को जन्म दिया एंशिएंट ग्रीस के बाशिंदे पालामेडस ने।

* कॉमेडी क्लब भी सबसे पहले शुरू हुआ ग्रीस में। यह समय था 350 बीसी का। इस कॉमेडी क्लब का नाम था 'ग्रुप ऑफ सिक्सटी'।

* हंसना-हंसाना इम्यून सिस्टम को करता है दुरुस्त। इम्यूनोग्लोबिंस, नेचुरल किलर सेल्स और टी सेल्स में होता है इजाफा। दरअसल, इन्हीं के बदौलत हमारी बॉडी इन्फेक्शन और ट्यूमर्स से फाइट कर सकती है।

* जापानी कहावत है हंसी के साथ समय गुजारने का अर्थ है ईश्वर के साथ समय गुजारना। यानी हंसी में है सबसे बड़ी खुशी।

* अमेरिकी मोटिवेटर अर्नाल्ड ग्लासगो के मुताबिक, लाफ्टर एक दवा है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। आपने देखा कि जोक केवल फन और मस्ती के लिए नहीं होते, ये वास्तव में मदद करते हैं हमें मेडिकली और इमोशनली फिट करने में। 
 
वैसे जब बात मेडिकली फिट करने की आती है तो जहन मे ख्याल आता है एक डाक्टर का ... डाक्टर जिस को कि हम सब भगवान के बाद सब से बड़ा दर्जा देते है खास कर किसी बीमारी के समय ... आज 1 जुलाई को डाक्टर'स डे भी मनाया जाता है ... भारत मे डाक्टर'स डे पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डा॰ विधान चन्द्र राय के सम्मान मे मनाया जाता है ! 
बीमारी के समय अगर डाक्टर न मिले तो न जाने हम लोगो का क्या हो ... एक भरोसेमंद डाक्टर हमारे परिवार के सदस्य जैसा होता है ... जिस पर हम निर्भर रहते है कि हमारी छोटी बड़ी बीमारी के समय वो हमारा इलाज करेगा या हमें उचित सलाह देगा ताकि हम जल्द से जल्द ठीक हो सकें ! आज डाक्टर'स डे अवसर पर आइये कहें ... थैंक्स डाक्टर !!
 
जब बात 1 जुलाई की हो रही हो ऐसे मे एक नाम अपने आप जहन मे आ ही जाता है और वो है ... कल्पना चावला का !!
 
जी हाँ ... वही कल्पना चावला जिन के नाम को आधार बना कर न जाने आज कितनी की बच्चियाँ चाँद - तारों को सच मे छूने की कल्पना कर सकती है !
भारत की बेटी-कल्पना चावला करनाल, हरियाणा, भारत. में एक हिंदू भारतीय परिवार में पैदा हुई थीं। उनका जन्म १ जुलाई सन् १९६१ मे एक भारतीय परिवार मे हुआ था। उसके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संजयोती था | वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी | घर मे सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे | कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई “टैगोर बाल निकेतन” मे हुई | कलपना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनयर बनने की इच्छा प्रकट की | उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की | पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे । किंतु कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी ।कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति | कलपना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी | उनकी उड़ान में दिलचस्पी जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा, से प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।
 
इन्हीं सब बातों की यादों को साथ लिए चलिये अब आज की बुलेटिन की ओर चलते है !
 
सादर आपका 
 

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धूल मिट्‍टी में अटा बेटा बहुत अच्छा लगा...............मुनव्वर राना

yashoda agrawal at मेरी धरोहर
कम से कम बच्चों के होंठों की हँसी की ख़ातिर ऐसे मिट्‍टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ जो भी दौलत थी वह बच्चों के हवाले कर दी जब तलक मैं नहीं बैठूँ ये खड़े रहते हैं जिस्म पर मेरे बहुत शफ्फाफ़ कपड़े थे मगर धूल मिट्‍टी में अटा बेटा बहुत अच्छा लगा भीख से तो भूख अच्छी गाँव को वापस चलो शहर में रहने से ये बच्चा बुरा हो जाएगा अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता परिंदों के न होने से शजर अच्‍छा नहीं लगता धुआँ बादल नहीं होता कि बचपन दौड़ पड़ता है ख़ुशी से कौन बच्चा कारख़ाने तक पहुँचता है ---मुनव्वर राणा

पर समंदर कहाँ है ?

संध्या आर्य at हमसफ़र शब्द
रात की गहराई में एक पुराने जर्जर किले से एक परिंदा कूदता है अद्वैत में और तड़पता है जमीन बहुत सख्त है जिस्म को खुरदुरा कर देती है धायल पंखो से वक्त काटता है बंद कमरों के झरोखें नहीं खुलती हैं आसानी से जकड़न है सदियों पुरानी पहचाने चेहरों पर गर्द जमी हुई है और आइना धुंधला गया है तोड़ना चाहता है वह उन दीवारों को जहां उसे दफनाया गया था उम्मीद की लहरें चाँद तारो को छूती है पर जमीन और आसमान के बीच की शुन्यता में यह तय नहीं कर पाता कि उड़ान कितना बाकी है और लौटना कहां है ? चारदीवारी की बीच बैठा परिंदा परात में सज्जी पडी कई जोड़ी आँखों को देखता है और सभी आँखें उसे देखती है डूबना... more »

अलग राहों में कितनी दिलकशी है

नीरज गोस्वामी at नीरज
ज़ेहन में आपके गर खलबली है बड़ी पुर-लुत्फ़ फिर ये ज़िन्दगी है पुर लुत्फ़ : आनंद दायक अजब ये दौर आया है कि जिसमें गलत कुछ भी नहीं,सब कुछ सही है मुसलसल तीरगी में जी रहे हैं ये कैसी रौशनी हमको मिली है मुसलसल :लगातार : तीरगी : अँधेरा मुकम्मल खुद को जो भी मानता है यकीं मानें बहुत उसमें कमी है जुदा तुम भीड़ से हो कर तो देखो अलग राहों में कितनी दिलकशी है समंदर पी रहा है हर नदी को हवस बोलें इसे या तिश्नगी है तिश्नगी : प्यास नहीं आती है 'नीरज' हाथ जो भी हरिक वो चीज़ लगती कीमती है

गणित के मजेदार ट्रिक्स......(magic for maths)

गणित हमारी दिनचर्या का एक अहम् हिस्सा हे ! इसकी जरुरत हमें हर वक्त रहती हे ! कोई भी हिसाब-किताब करना हो तो गणित की जरुरत होगी ! आपने साइंस के मैजिक ट्रिक के बारे में तो पडा होगा और देखा भी होगा ! लेकिन आज में आपको गणित के कुछ जादुई ट्रिक बता रहा हु ! जिसे आप निचे देख सकते हे. maths ke majedaar tricks *Numeric Palindrome with 1's* * 1 x 1 = 1* * 11 x 11 = 121* * 111 x 111 = 12321* * 1111 x 1111 = 1234321* * 11111 x 11111 = 123454321* * 111111 x ... more »

पिता की स्मृति में

पिता की स्मृति में एक आश्रय स्थल होता है पिता बरगद का वृक्ष ज्यों विशाल नहीं रह सके माँ के बिना या नहीं रह सकीं वे बिना आपके सो चले गये उसी राह छोड़ सभी को उनके हाल.... पूर्ण हुई एक जीवन यात्रा अथवा शुरू हुआ नवजीवन भर गया है स्मृतियों से मन का आंगन सभी लगाये हैं होड़ आगे आने की लालायित, उपस्थिति अपनी जताने की उजाला बन कर जो

भाषा-भास्कर

शीर्षक तो अनुप्रास-आकर्षक के कारण बना, लेकिन बात सिर्फ दैनिक भास्कर और समाचार पत्र के भाषा की नहीं, लिपि और तथ्यों की भी है। समाचार पत्र में ''City भास्कर'' होता है, इसमें एन. रघुरामन का ''मैनेजमेंट फंडा'' नागरी लिपि में होता है। ''फनी गेम्‍स में मैंनेजमेंट के लेसन'' भी नागरी शीर्षक के साथ पढ़ाए जाते हैं। लेकिन नागरी में ''हकीकत कहतीं अमृता प्रीतम की कहानियां'' पर रोमन लिपि में ''SAHITYA GOSHTHI'' होती है। हिन्दी-अंगरेजी और नागरी-रोमन का यह प्रयोग भाषा-लिपि का ताल-मेल है या घाल-मेल या सिर्फ प्रयोग या भविष्य का पथ-प्रदर्शन। बहरहाल, इस ''SAHITYA GOSHTHI'' की दैनिक भास्‍कर में छपी खबर ... more »

ज़िंदगी! इतनी मेहरबान तो नहीं।

दीपक की बातें at दीपक की बातें
कुछ ख्यालात से दोबारा गुजर जाने का मन करता है कुछ गीत, कविताएं, कहानियां दोबारा सुनना चाहता है दिल जिंदगी के तमाम लम्हों को दोबारा जी लेने की कसक उठती है कुछ यादों से बार—बार रूबरू होने की तमन्ना होती है मगर उफ ये ज़िंदगी! इतनी मेहरबान तो नहीं।

खामोश आवाजें

वक्त के कोरे पन्नों पर कुछ आड़ी, कुछ तिरछी लाइनें खींचता रहता हूं मैं कितनी बातें हैं इस छोटे से मन में बतलाने को जमाने को खुद से ही कहता रहता हूं मैं कितना आक्रोश है मुझमें यूं लगता है गुस्से से बिखर जाऊंगा फिर भी सब कुछ सहता रहता हूं मैं थम गई है, जिंदगी की रफ्तार सूझती नहीं है कोई सही राह औरों को दिखाने के लिए चलता रहता हूं मैं शब्दों की बाजीगरी का खेल मुझे नहीं आता अर्थ का अनर्थ करना मुझे कतई नहीं भाता फिर भी न जाने क्यों लिखता रहता हूं मैं जुबां से कहूं तो शायद कोई न समझे शब्दों में बयां करता हूं दिल की बातें क्योंकि यही हैं मेरी खामोश आवाजें

शाहरुख का ‘बहादुर’ और वॉटरमैन

Pankaj Shukla at क़ासिद
*पंकज शुक्ल* *ये वॉटरमैन और कोई नहीं, हमारे आपके अजीज़ आबिद सुरती साब ही हैं। जी हां, वही जिनके कॉमिक किरदार ढब्बू जी ने कभी धर्मवीर भारती तक पर उर्दू को बढ़ावा देने का इल्जाम लगा दिया था, और वो इसलिए कि ढब्बूजी धर्मयुग के पीछे के पन्ने पर छपते थे और लोग धर्मयुग खरीदने के बाद उसे पीछे से ही पढ़ना शुरू करते थे। आबिद सुरती के किरदार दुनिया भर में मशहूर हैं। उनकी लिखी कहानियां परदेस में हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों को क्लासरूम में पढ़ाई जाती हैं।* *गतांक से आगे... * शाहरुख खान के घर उस रोज़ उनसे लंबी बातें हुईं। बचपन की शरारतों के बारे में वो बोले, अपने सपनों के बारे में बातें की और बता... more »

प्रकृति छल

durga prasad Mathur at Chitransh soul
- सुदूर देव पहाड़ियों में, बादलों ,चट्टानों में जंग नजर आई ! शांति की तलाश में भटकते इंसा को, सृष्टि एक बार फिर छल पाई ! - पार्टियों की पार्टी में , मच गई कैसी हलचल ! अनेकों भीगती आँखों के बीच , कुछ में ग्लिसरीन नजर आई ! असली हो या नकली , हर तरफ मायूसी छाई ! - आसमां के कहर रूपी नीर की बूंद, धरती के संग-संग हर आँख में समाई ! किसी को प्रियजन की याद ने रूलाया, ... more »

चम्पकवन, ट्रेन और बारामूडा ट्रायेंगल

उन दोनों को ट्रेन में खिड़की वाली सीट पर बैठना हमेशा से पसंद था. उल्टी दिशा में भागते खेत-पेड़ जब चलती रेलगाड़ी के पेट में समाते जाते तो तेज हवा में आँखे मिचमिचाते बाहर देखते लाजवंती और वीर किसी और ही दुनिया में चले जाते थे. बादलों में आकार बन जाते, आस-पास के लोग और आवाजें खो जातीं और वो छूने की दुनिया छोड़कर सोचने की दुनिया में चले जाते. हर दो स्टेशन के बीच फैले खेत-जंगल देखकर वो सारी कहानियाँ सजीव हो उठतीं जिनमें बच्चे अपनी नानी से मिलने जंगल पार करके जाते थे और भालू या शेर को चकमा देकर नानी के घर ठाठ से खीर खाते थे. चम्पकवन के राजा शेर सिंह ने इन्हीं जंगलों में अपना दरबार लगाया ... more »

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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

10 टिप्‍पणियां:

  1. badhiya buletin
    "deepak kee baaten" shayad pahli baar dekhaa. achha laga.

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  2. बुलेटिन की लिंक्स बहुत अच्छी हैं , मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ ,आप के उत्साह बढ़ाने से कलम को प्रेरणा मिलती है ! धन्यवाद !

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  3. शिवम जी, बहुत बहुत आभार इस सुंदर प्रस्तुती के लिए तथा मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए !

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  4. तहे दिल से शुक्रिया और आभार आपका!सुन्दर और सराहनीय प्रस्तुति !

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  5. बहुत सुंदर लिंक्स, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

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  6. हम एक ऐसा पोर्टल लेकर आये है जहाँ रजिस्टर करने के बाद से ही आप के पास पाठकों की लाइन लग जाएगी। तो आज ही अपना ब्लॉग रजिस्टर कीजिए। http://blogdarshan24.wapka.mobi/

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!