आदरणीय सदस्यगण
सादर प्रणाम
आज प्रस्तुत है एक कविता जिसे मैंने एक घुंघरू के विचारों के माध्यम से प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया है | आशा करता हूँ के आपको बुलेटिन पसंद आएगा |
आज एक
मूक घुंघरू भी
कह उठा
मैं, मूक नहीं हूँ
वो कहता है
मेरा स्वर
प्रत्येक व्यक्ति के
लिए नहीं है
उस व्यक्ति के
लिए नहीं है
जो मुझे जानने की
इच्छा रखता है
जो मुक्ता का
स्वर जानता है
दर्द पहचानता है
उच्च स्वर का
यन्त्र अचानक
मौन कैसे हुआ
जिसने संसार को
अनेक स्वर दिए
पर, बदले में
मिला एक
दाग भरा नाम
फिर वो मूक हुआ
उसने अपनी शांति में
ईश्वर को सुना
बस अब तक तो
वो बजता था
तब, सब सुनते थे
पर आज
ईश्वर का स्वर स्वयं
बजना है
वो मूक बना
उस स्वर का
आनंद लेता है
इस लिए ईश्वर को
पाने वाला ही
उस घुंघरू की
ताल और लय
सुन पायेगा
आज की कड़ियाँ
फिलहाल इतना ही कल की कल सोचेंगे और प्रस्तुत करेंगे | धन्यवाद् |
जय हो मंगलमय हो | जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज
सुंदर तुषार जी
जवाब देंहटाएंकाम की वेबसाइट की लिंक के लिए आयें
बहुत बहुत शुक्रिया आपका तुषार जी......रश्मि जी के ब्लॉग 'मैं' का लिंक आज यहीं से मिला ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय प्रस्तोता
umda links
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजा सुन्दर बुलेटिन ………घुँघरू की वो आवाज़ भी वो ही सुन पायेगा जो खुद घुँघरू बन जायेगा और जिसे खुदा खुद सुनवायेगा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति तुषार भाई ... लगे रहिए !
जवाब देंहटाएंघुंघरू की खनकती आवाज़ ..........बेहद सुन्दर
जवाब देंहटाएंpyari si rachna..
जवाब देंहटाएंpyare links..
बहुत लाजवाब कविता और उतने ही लाजवाब लिंक्स, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
छोटे-छोटे घुंघरुओं की मधुर पायल!!
जवाब देंहटाएं'घुँघरू' की खनक और रचनाओं के बहुरंगी चुनाव बहुत अच्छे रहे !
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब कविता .
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना 'घुँघरू' की बढिया खनक
जवाब देंहटाएंमौन में ही संगीत छुपा है..सुंदर बोध भरी कविता..आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआप सभी महानुभावों का बहुत बहुत शुक्रिया मेरी बुलेटिन पर आने और सराहने के लिए और मेरा हौसला बढ़ने के लिए | आभार
जवाब देंहटाएंलाजवाब कविता
जवाब देंहटाएंkhud ka blog banane ki site
sunder chintan.
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