Pages

शनिवार, 22 जून 2013

मस्तिष्क के लिए हानि पहुंचाने वाली आदतें

ब्लॉगर मित्रों सादर प्रणाम 

आज का बुलेटिन कुछ खास बात पर ध्यान दिलाने के लिए जिन्हें हम अपनी आम ज़िन्दगी में हमेशा नज़रंदाज़ करते हैं | ऐसी  कुछ छोटी छोटी आदतें जिन्हें यदि रोजमर्राह के जीवन से निकाल फेंका जाये या उनपर ध्यान कर अमल कर लिए जाये तो जीवन सुखमय हो सकता है और हमारे शरीर और मस्तिष्क दोनों को शांति प्राप्त हो सकती है | तो पेश करता हूँ ऐसी ही कुछ काम की बातें :

















प्रतिदिन नाश्ता न करना 

जो लोग नियमित रूप से नाश्ता नहीं लेते उन्हें मस्तिष्क में शर्करा के स्तर कम होने का खतरा बना रहता है। यह खतरा पोषक तत्वों की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण मस्तिष्क क्षति ग्रस्त (Brain Degeneration) होने के कारण हो सकता है।

अधिक खाना (Overeating)
खाने से मस्तिष्क की धमनियों (Arteries) कोलेस्ट्रोल जम जाने से सख्त हो जाती हैं, इससे कोशिक्काओं (सेल्स) के  पोषण में कमी हो जाती है। यह मानसिक शक्ति (स्मरण एवं कार्य क्षमता) में कमी होने से होता है।

धूम्रपान (Smoking) 
यह मस्तिष्क संकोचन (Multiple Brain Shrinkage) का कारण बनता है जो अल्जाइमर (Alzheimer) रोग (भूल जाने का रोग) को जन्म दे सकता है।

बहुत मीठा खाते रहने से ( High Sugar consumption)
अधिक चीनी या मीठे पदार्थो का सेवन से प्रोटीन और पोषक तत्वों के अवशोषण (Absorption) में बाधा होने से कुपोषण और मस्तिष्क के विकास में कमी का कारण से भी मस्तिष्क को हानी पहुँचती है ।

वायु प्रदूषण (Air Pollution) 
हमारे मस्तिष्क को हमारे शरीर में ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरुरत होती है, प्रदूषित हवा में श्वास (Inhaling) लेने से मस्तिष्क की ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, इससे मस्तिष्क की कार्य क्षमता या दक्षता में कमी होने लगती है।

नींद की कमी (Sleep Deprivation) 
सोने (Sleeping) के समय हमारे मस्तिष्क को आराम मिलता है। अधिक देर तक जागने या न सो पाने से मस्तिष्क कोशिकाओं की क्षति या मौत होती है।

सिर को ढक कर सोने से 
सर को ढक कर या पूरी तरह मुंह तलक चादर तान कर या ओढ़कर सोने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा चदर के अन्दर अधिक हो जाती है, इससे ऑक्सीजनकी कमी होने से मस्तिष्क को हानि होने की सम्भावना अधिक हो जाती है ।

बीमारी के दौरान मस्तिष्क का कार्य करते रहना 
बिमारियों से कमजोर या कठोर शारीरिक कार्यो के दोरान अध्ययन अद्यापन आदि मस्तिष्क के काम  भी करते रहने से कार्यक्षमता में गिरावट के साथ मस्तिष्क को क्षति हो जाती है।

उत्तेजक विचारों से
अच्छा सोचना (positive thinking) मानसिक जप आदि हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है, मस्तिष्क की उत्तेजना विचारों (thoughts) में कमी कर देता है। इस कारण मस्तिष्क का संकोचन होने से उसे हानी पहुँचती है ।

कम बात-चीत (Talking Rarely) 
बौद्धिक बातचीत (Intellectual Conversations) मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा रास्ता है।

आज की कड़ियाँ 

आजादी - शहीद अंसारी

धारी देवी मंदिर - ज़ील

सदा साथ होंगे हम - शशि पुरवार

हे महाकाल - अमृता तन्मय

फ़र्ज़ निभाएं - वंदना

संध्या कविता - अर्चना चाओजी

उठो अभिमन्यु - डॉ. जेन्नी शबनम

शिव (प्रकृति) की चेतावनी - राम किशोर उपाध्याय

त्रासदी के बाद वाली त्रासदी - सतीश पंचम

यहु तन जालों मसि करों - मंजीत ठाकुर

रूल - प्रियांकाभिलाशी

अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार

जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

7 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद तुषार राज रस्तोगी जी..!!

    आभारी हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  2. तहे दिल से
    आभारी हूँ तुशार जी ,मेरा नाम पुरवार सही कर दिजिये :)

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर आलेख और साथ ही सुंदर लिंक्स, आभार.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  4. सही मे सब की सब बेहद काम की बातें है ... आभार तुषार भाई इनको सांझा करने के लिए इन बेहद उम्दा लिंक्स के साथ ! शानदार बुलेटिन !

    जवाब देंहटाएं
  5. आज प्रथम समय मैने यह लिंक ओपन किया है उपयोगी जानकारी और अच्छी लिंक्स के लिए धन्यवाद !
    chitranshsoul.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!