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रविवार, 16 जून 2013

कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज जून महीने का तीसरा रविवार है ... हर साल की तरह इस साल भी जून का यह तीसरा रविवार फदर्स डे  के रूप मे मनाया जा रहा है ... पर सिर्फ एक दिन पिता को समर्पित कर क्या हम सब उस के कर्ज़ से मुक्त हो सकते है ... यही है क्या वास्तव मे हमारा संतान धर्म ??? 

जागरण के छपी एक खबर के अनुसार कहने को तो हमारे देश में बुजुर्गो की बड़ी इज्जत है, मगर हकीकत यह है कि वे घर की चारदीवारियों के अंदर भी बेहद असुरक्षित हैं। 23 फीसदी मामलों में उन्हें अपने परिजनों के अत्याचार का शिकार होना पड़ रहा है। आठ फीसदी तो ऐसे हैं, जिन्हें परिवार वालों की पिटाई का रोज शिकार होना पड़ता है।
बुजुर्गो पर अत्याचार के लिहाज से देश के 24 शहरों में तमिलनाडु का मदुरई सबसे ऊपर पाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश का कानपुर दूसरे नंबर पर है। गैर सरकारी संगठन हेल्प एज इंडिया की ओर से कराए गए इस अध्ययन में 23 फीसदी बुजुर्गो को अत्याचार का शिकार पाया गया। सबसे ज्यादा मामलों में बुजुर्गो को उनकी बहू सताती है। 39 फीसद मामलों में बुजुर्गो ने अपनी बदहाली के लिए बहुओं को जिम्मेदार माना है।
बूढ़े मां-बाप पर अत्याचार के मामले में बेटे भी ज्यादा पीछे नहीं। 38 फीसदी मामलों में उन्हें दोषी पाया गया। मदुरई में 63 फीसदी और कानपुर के 60 फीसदी बुजुर्ग अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। अत्याचार का शिकार होने वालों में से 79 फीसदी के मुताबिक, उन्हें लगातार अपमानित किया जाता है। 76 फीसदी को अक्सर बिना बात के गालियां सुनने को मिलती हैं।
69 फीसदी की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता। यहां तक कि 39 फीसदी बुजुर्ग पिटाई का शिकार होते हैं। अत्याचार का शिकार होने वाले बुजुर्गो में 35 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें लगभग रोजाना परिजनों की पिटाई का शिकार होना पड़ता है। हेल्प एज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू चेरियन कहते हैं कि इसके लिए बचपन से ही बुजुर्गो के प्रति संवेदनशील बनाए जाने की जरूरत है। साथ ही बुजुर्गो को आर्थिक रूप से सबल बनाने के विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा।

आज के दिन इन खबरों के बीच याद आती है स्व॰ ओम व्यास 'ओम' जी की यह कविता ...   



पापा हार गए…


रात-ठण्ड की

बिस्तर पर

पड़ी रजाईयों को अखाडा बनाता

मेरा छोटा बेटा पांच बरस का |

अक्सर कहता है -

पापा ! ढिशुम-ढिशुम खेले ?

और उसकी नन्ही मुठ्ठियों के वार से मै गिर पड़ता हूँ … धडाम

वह खिलखिला कर खुश हो कर कहता है .... ओ पापा हार गए |

तब मुझे

बेटे से हारने का सुख महसूस होता है |

आज, मेरा वो बेटा जवान हो कर ,

ऑफिस से लौटता है, फिर

बहू की शिकायत पर, मुझे फटकारता है

मुझ पर खीजता है,

तब मै विवश हो कर मौन हो जाता हूँ

अब मै बेटे से हारने का सुख नहीं,

जीवन से हारने का दुःख अनुभूत करता हूँ

सच तो ये है कि

मै हर एक झिडकी पर तिल तिल मरता हूँ |

बेटा फिर भी जीत जाता है,

समय अपना गीत गाता है …

मुन्ना बड़ा प्यारा, आँखों का दुलारा

कोई कहे चाँद कोई आँखों का तारा

- स्व॰ ओम व्यास ‘ओम’

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 आज के दिन आइये एक संकल्प लें कि हमारे रहते कभी पापा को यह नहीं कहना पड़ेगा कि................. "मैं हार गया !"
आप सभी को पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऎँ !!
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सादर आपका 
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बलद बेचना है?????

आठ मास का आदि और फ़ादर्स डे....



ओ मेरे पिता !

गर्मी छुट्टी डायरिज़ में हैप्पी फ़ादर्स डे

क्या करूँ समर्पित

पितृ-सत्तात्मक समाज में फादर्स डे

पिता

पितृ दिवस पर कुछ कवितायेँ .......

आज पिता सम्मान पा रहे हैं...........यशोदा

बस महज इतना ही योगदान है क्या पिता का?

आशीषों तक पापा !!

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ...

सुदृढ़ बाहें ...... ( पितृदिवस पर कुछ हाइकु )

पापा

मेरे पापा

विश्व वयोवृद्ध दुर्व्यवहार विरोध दिवस !

प्यार: पापा का

फादर डे स्पेशल

बरगद से बाबूजी

मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है!

नए जमाने के डैडी

 

पापा जैसा कोई नही --फादर्स डे पर

 

पापा ---------


पितृ दिवस


पापा, मैं, कार्तिक और फादर'स डे


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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

24 टिप्‍पणियां:

  1. पिता ना हारें बस जिस दिन ऐसा हो जायेगा पितृ दिवस सार्थक हो जायेगा ………बहुत सुन्दर झलकियाँ संजोयी हैं ………आभार

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  2. पिता का गौरव बरकरार रखने की कोशिश के लिए आभार !

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  3. हमें तो एक विशेष दिन फ़ोन करने में पापा को बहुत संकोच होता है, वे भी सोचेंगे क्या अंग्रेज हो गये हो.. हम तो कभी भी फ़ोन कर लेते हैं ।

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  4. पिता अपने आप में सब कुछ
    सहारा,ताकत ,हर बात का हल
    एक विश्वास -- नहीं हारेंगे.....कभी नहीं ....

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  5. सामयिक विषयान्तर्गत लिंक्स का चयन काफी मुश्किल है
    और इस पोस्ट के श्रम साध्य काम की प्रशंसा शब्दों मे करना आसान नहीं
    बस

    सादर

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  6. आज का पोस्ट पिता को समर्पित किया गया है .सुन्दर लिंक संयोजन !

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  7. पितृ दिवस पर सब पिता जी लोगों को मेरा नमन |साती लिंक्स बढ़िया हैं |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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  8. pitaa naa haren to ham bhi kabhi nahi harenge.
    saarthak buletin.

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  9. पितृ दिवस की सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें ! आज का यह बुलेटिन सार्थक सूत्रों के साथ सुसज्जित है ! मेरी रचना को इसमें शामिल करने के लिये आपका धन्यवाद शिवम जी ! हर रचना भावभीनी है और मन को छू रही है !

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  10. पापा जीवन का स्तम्भ होते हैं ... और स्तम्भ स्तम्भ ही होता है,कितना भी उसे हिला दें,उसका गौरव बना रहता है ...
    पिता एक सशक्त स्तम्भ
    जो माँ के रूप को बच्चे के जीवन को मजबूती से एक अर्थ देता है
    ऐसे हर पिता के आगे मैं सर झुकाती हूँ अपने पिता के साथ ...
    सारे लिंक्स आज के दिन को विशेष बना रहे

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  11. पितृ दिवस पर आपकी प्रस्तुति ने आज के दिन को वाकई सार्थक बनाया है और सब को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा . आज हम उन्हें याद हैं लिए की हमें उनसे बहुत कुछ मिला . संस्कार मिले , संकल्प मिले . हम उन्हें क्या दे पाए ?
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद !

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  12. बहुत ही बढ़िया और बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ा है यहाँ तो father's day...

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  13. पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। एक और सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुत करने के लिए आभार शिवम भईया। सहेजने योग्य बुलेटिन।।

    क्या आपको भी आते हैं इस तरह के ईनामी एसएमएस!!
    नया चिठ्ठा :- Knowledgeable-World

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  14. पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..................सुन्दर लिंक संयोजन !

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  15. बेटे से हारना सुखकर है पर ज़िंदगी से हारना त्रासदी ..... बहुत मर्मस्पर्शी रचना ओम व्यासजी की .... सुंदर संकलन .... आभार

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  16. शिवम जी, आपने बहुत ही विचारणीय मुद्दे से ब्लॉग का प्रसारण आरम्भ किया है वाकई आज भी न जाने कितने वृद्ध अपने ही परिवारों में अजनबियों की तरह जिंदगी बिताने को विवश हैं ...केवल पितृ दिवस मनाने की नहीं बल्कि पिता को घर में उनका वास्तविक अधिकार प्रदान करने से ही हम उनके ऋण का कुछ अंश चुका सकते हैं ...सार्थक प्रसारण

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  17. पिता को समर्पित सुंदर सार्थक और प्रभावशाली रचनाओं का संग्रह
    शानदार संयोजन के लिये साधुवाद
    साल में एक बार नहीं प्रतिदिन पिता पास में रहना चाहिये
    इस संकल्प के साथ
    पिता को नमन

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!