अंतराष्ट्रीय दुग्ध दिवस के दिन मित्रों आईए हिन्दुस्तान की श्वेत क्रांति की बात की जाए। कैसे एक छोटा सा विचार को-ओपरेटिव डेरी आन्दोलन के रूप में आया और भारत दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बडे दूध उत्पादक देश बन गया। इसमें दो लोगों को याद करना बहुत ज़रूरी होगा, एक वरगीस कुरियन और दूसरा शास्त्री जी। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्रीजी नें हिन्दुस्तान को हरितक्रांति के रूप में एक बहुत बडा मंत्र दिया था । इसी क्रम में उन्होनें भारतीय डेरी विकास निगम को एक आन्दोलन बनाने के लिए वरगीस कुरियन को उसका अध्यक्ष बनाया। उसके बाद दुनियां नें विकासशील देशों के इतिहास के सबसे बडे को-ओपरेटिव आन्दोलन को देखा और यह जाना की यदि सार्थक रूप से कोई सम्मिलित प्रयास किया जाए तो चमत्कारिक परिणाम सम्भव है।
अमुल, जिसे आप आज एक बडे ब्रांड के नाम से जानते हैं वह इन्ही की देन है। अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है यह गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है। गुजरात के लगभग २६ लाख दुग्ध उत्पादक सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के अंशधारी (मालिक) हैं। गुजरात के आणंद में स्थित यह किसी सहकारी आन्दोलन की दीर्घ अवधि में सफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। अमूल ने ही भारत में श्वेत क्रान्ति की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया है। अमूल (आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ), की स्थापना १४ दिसंबर, १९४६ मे एक डेयरी यानि दुग्ध उत्पाद के सहकारी आंदोलन के रूप में हुई थी। जो जल्द ही घर घर मे स्थापित एक ब्रांड बन गया जिसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध के पाउडर, मक्खन (बटर), घी, चीज, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइस क्रीम, पनीर, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि ।
आनन्द के इस माडल को देश भर में दोहराने के लिए शास्त्री जी नें वरगीस कुरियन को राष्ट्रीय डेयरी उत्पादन बोर्ड का संस्थापक अध्यक्ष बनाया। उसके बाद अपनें असमान्य विचारों के कारण कुरियन मिल्क मैन कहलाए।
(अमूल प्लांट) |
(मिल्क मैन, वरघीस कुरियन) |
आज हमारे देश में जितनें भी दूध उत्पादक हैं, लगभग सभी को-ओपरेटिव मूवमैंट का एक सफ़ल माडल चला रहे है। यदि इसी प्रकार का माडल अन्य क्षेत्रों में लगाया जाए तो फ़िर देश एक अलग ही राह पर बढ चलेगा। केवल इच्छा शक्ति चाहिए बस...
पूरे ब्लाग जगत की ओर से इन सभी महापुरुषों को सलाम और सभी को विश्व दुग्ध दिवस की बधाई। चलते चलते मंथन फ़िल्म का यह गीत यू-ट्यूब के सौजन्य से...
चलिए अब आज के बुलेटिन की ओर चलें
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तो मित्रों आज के लिए इतना ही, मिलते हैं कल एक नये अंक के साथ। तब तक के लिए देव बाबा को इज़ाजत दीजिए
जय हिन्द
देव
गजब की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
waaaaaaaaaaah bhot khub or khas to ibne ensha waaaaaaaaah
जवाब देंहटाएंवाह देव बाबू जय हो ... अंतराष्ट्रीय दुग्ध दिवस खूब मनवाया आपने ... जय हो !
जवाब देंहटाएंदुग्ध जीवन का प्रथम आहार है। सुन्दर सूत्र और आभार।
जवाब देंहटाएंHindi Sahitya Margdarshan ke post ko shamil karne ke liye sadar abhar...!!!
जवाब देंहटाएंअंतराष्ट्रीय दुग्ध दिवस....श्वेत क्रांति की याद दिला दी...बहुत अच्छी बुलेटिन..मेरी रचना शामिल करने के िलए आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स दिए है इस बुलेटिन में मेरी रचना को
जवाब देंहटाएंशामिल किया है ...आभार !
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जवाब देंहटाएंजय हो ... 'दूध पियो मस्त रहो' बहुत बढ़िया बुलेटिन भाई | मज़ा आ गया मेरे पसंदीदा पेय दूध पर जो पोस्ट लगाई आपने और क्या खूब दूध दिवस मनाया | इस पोस्ट पर एक बड़ा गिलास दूध की लस्सी तो बनती है रूह-अफज़ा वाली बर्फ डाल के :).... जय जय भोले शंकर, काँटा लगे न कंकर, जय भोले |
जवाब देंहटाएंthanks educational quotes
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