प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
एक बार में एक पाकिस्तानी,एक बंगलादेशी और एक भारतीय सरदार बियर पी रहे थे...
पाकिस्तानी अपनी बडबोलेपन की आदत से मजबूर बियर का ग्लास ख़त्म होने के बाद ग्लास को हवा में उछालता है और अपनी बन्दुक निकाल कर हवा में उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है...और बन्दुक की नली पर बड़ा इतराते हुए फूंक मारते हुए कहता है
"हमारे पाकिस्तान में कांच के इतने ग्लास बनते हैं कि हमें एक ही ग्लास को दुबारा इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं"
बंगलादेशी ठहरा नकलची सो उसने भी जल्दी जल्दी अपनी बियर ख़त्म की और अपना ग्लास हवा में उछाला और वो भी अपनी बन्दुक निकाल कर हवा में उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है....और भद्दी सी हसी हसते हुए कहता है...
"हमारे बांग्लादेश में भी इतने ग्लास बनते हैं कि हमें भी दुबारा एक ही ग्लास को इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं है"
हमारे सरदारजी शांति से अपनी बियर का मज़ा ले रहे थे आराम से एक एक घूँट पिए जा रहे थे...पाकिस्तानी और बंगलादेशी खूब इतरा रहे थे कि हमने भारतीय की बोलती बंद कर दी है
तभी सरदारजी की बियर ख़त्म होती है,सरदारजी अपना ग्लास टेबल पर रखते हैं और आवाज़ आती है धायं-धायं,सरदारजी अपनी बन्दुक निकालकर दोनों को मार देते हैं ... बाकी लोग घबरा जाते है तब सरदार जी समझते है कि
"ओये यार बात ये है की हमारे देश में इतने पाकिस्तानी और बंगलादेशी भरे पड़े हैं कि हमें हर बार एक ही पाकिस्तानी या बंगलादेशी के साथ बैठकर पीने की जरुरत ही नहीं है"
क्यों 'ठीक है' न !?
सादर आपका
शिवम मिश्रा
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जल्दी वोट कीजिये
अरविन्द केजरीवाल के समर्थक नदारद !!
खाना खाने गए होंगे
:)
तुम इतना जो :) रहे हो ...
छंदचित्र...एवं...शेरगा
वाह ... क्या बात है
घर-जमाई
रॉबर्ट वाडेरा
सुहाने सपने
किस के
अनुभुति की सुकृति ....!!
ब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ पर बधाइयाँ
घूरने वालों ने दी कुर्बानी ( एक व्यंग्य टिप्पणी)
इतिहास मे दर्ज़ हुई या नहीं
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आप बताएं
कहना मुश्किल था कि बोतल में शराब थी या ---
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ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर ...:)
तुम नाराज़ न होना
साहित्यकार
बड़ा या छोटा
माल असबाब की सुरक्षा - हार की जीत
हार या जीत
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
जबरदस्त !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
हा हा हा ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया :)
बढ़िया लिंक्स,आभार !शिवम् मिश्रा
जवाब देंहटाएंजी ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए
आज के लिंक्स बहुत सुन्दर और मजेदार हैं।
जवाब देंहटाएंमुझे आपने इस अंक में स्थान देने योग्य समझा इसके लिए आभार!
लिंक्स संयोजन अच्छे लगे...आभार हमारी रचना को स्थान देने के लिए!!
जवाब देंहटाएंbahut abhar Shivam bhai.........
जवाब देंहटाएंkal fursat se links dekhti hoon ...!!
सार्थक चिंतन की जीवंत दास्तान।
जवाब देंहटाएंआभार शिवम भाई।
सरदार जी ठीक ही कहा...बेहतरीन पठनीय लिकों के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संग्रह
जवाब देंहटाएंमेरी पंक्ति को शामिल करने हेतु धन्यवाद शिवम जी ...
bahut sundar .waah ....badhai links bahut acche lage
जवाब देंहटाएंhttp://sapne-shashi.blogspot.com
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंमुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार. अच्छे अच्छे लिंक्स, धन्यवाद.
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