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मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

भारतीय रेल के गौरवमयी १६० वर्ष

प्रणाम दोस्तों सादर अभिवादन 

आज के दिन वैसे तो इतिहास में एक ख़ास महत्त्व रखता है क्योंकि कहते हैं आज भारत की पहली रेलसेवा  आरम्भ हुई थी  परन्तु आज मैं आपको कुछ नए तथ्यों से अवगत करना चाहूँगा  उम्मीद करता हूँ आपको यह कोशिश पसंद आएगी 

 
जीवनरेखा बनी भारतीय रेल के आज गौरवमयी १६० वर्ष पूरे हो गए । अगर हम कहें कि भारत में पहली बार रेल कहाँ चली थी, तो निःसंदेह सभी का जवाब ग़लत होगा । शायद आप कहें "मुंबई से ठाणे" और फ़िर इतिहास भी बताने लगें कि १६ अप्रैल १८५३ को ३४ किलोमीटर की दूरी तय की थी । लेकिन यह जवाब एक दम ग़लत है। सही जवाब है भारत की पहली रेल रुड़की में चली थी ।

यह रेल एक मालगाड़ी थी । शुरू में तो यह मानव शक्ति से खींची जाती थी, लेकिन बाद में भाप का इंजन इस्तेमाल होने लगा था । इसके विपरीत मुंबई-ठाणे वाली रेल सवारी गाड़ी थी ।

१८५० में अंग्रेजों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अकाल और सूखे से बचाने के लिए एक नहर परियोजना की शुरूआत की । इसे आजकल गंगनहर के नाम से जाना जाता है। यह नहर हरिद्वार से निकलकर रुड़की, मुज़फ्फ़रनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर होते हुए कानपुर तक चली जाती है ।

रुड़की में इस नहर के रास्ते में सोलानी नदी आती है । इस नदी पर पुल बांधना बेहद ज़रूरी था जिससे इसके ऊपर से गंगनहर का पानी गुजर सके । अब यह पुल कोई छोटा मोटा तो बनना नहीं था, कि दो चार लक्कड़ लगा दिए, और चल गया काम । तो इसके लिए जितने भी कच्चे माल की जरूरत पड़ी, वो पिरान कलियर से आता था । पिरान कलियर रुड़की से लगभग दस किलोमीटर दूर एक गाँव है ।

इसमे कार्य में प्रयुक्त रेलगाड़ी लकड़ी की थी । बाद में जब इसमे भाप का इंजन लगाया गया । वो भारत का पहला भाप इंजन था । इसकी स्पीड ६ किलोमीटर प्रति घंटा थी । यह २२ दिसम्बर, १८५१ को शुरू हुई थी । इसमे केवल दो डिब्बे थे, जो पुल निर्माण हेतु सामग्री ढ़ोते थे।

जब हम दिल्ली से हरिद्वार जाते हैं तो रुड़की पार करके सोलानी नदी आती है । सड़क वाले पुल से बाएं देखने पर एक और जबरदस्त आकार वाला पुल दिखाई देता है । यही वो ऐतिहासिक पुल है । इसी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खुशहाली बहती है । आज कल पिरान कलियर भी मुस्लिम धर्म का तीर्थस्थान है ।

उसके बाद अंग्रेजों ने भारत में रेल सेवा की शुरूआत १६ अप्रैल, १८५३ को अपनी प्रशासनिक सुविधा के लिए की थी । १६० वर्ष बाद करीब १६ लाख कर्मचारियों, प्रतिदिन चलने वाली ११ हजार ट्रेनों, ७ हजार से अधिक स्टेशनों एवं करीब ६५ हजार किलोमीटर रेलमार्ग के साथ ‘भारतीय रेल’ आज देश की जीवनरेखा बन गयी है 

रेलवे के दस्तावेज के अनुसार १६ अप्रैल, १८५३ को मुम्बई और ठाणो के बीच जब पहली रेल चली, उस दिन सार्वजनिक अवकाश था । पूर्वाह्न से ही लोग बोरीबंदी की ओर बढ़ रहे थे, जहां गर्वनर के निजी बैंड से संगीत की मधुर धुन माहौल को खुशनुमा बना रही थी । साढ़े तीन बजे से कुछ पहले ही ४०० विशिष्ट लोग ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के १४ डिब्बों वाली गाड़ी में चढ़े । चमकदार डिब्बों के आगे एक छोटा फाकलैंड नाम का भाफ इंजन लगा था । करीब साढ़े चार बजे फाकलैंड के ड्राइवर ने इंजन चालू किया, फायरमैन उत्साह से कोयला डाल रहा था । इंजन ने मानो गहरी सांस ली और इसके बाद भाप बाहर निकलना शुरू हुई | सीटी बजने के साथ गाड़ी को आगे बढ़ने का संकेत मिला और उमस भरी गर्मी में उपस्थित लोग आनंदविभोर हो उठे ।

इसके बाद फिर से एक और सिटी बजी और छुक छुक करती हुए यह पहली रेल नज़ाकत और नफासत के साथ आगे बढ़ी । यह ऐतिहासिक पल था जब भारत में पहली ट्रेन ने ३४ किलोमीटर का सफर किया जो मुम्बई से ठाणे तक था | रेल का इतिहास काफी रोमांच से भरा है जो १७वीं शताब्दी में शुरू होता है । पहली बार ट्रेन की परिकल्पना १६०४ में इंग्लैण्ड के वोलाटॅन में हुई थी जब लकड़ी से बनायी गई पटरियों पर काठ के डब्बों की शक्ल में तैयार किये गए ट्रेन को घोड़ों ने खींचा था । इसके दो शताब्दी बाद फरवरी १८२४ में पेशे से इंजीनियर र्रिचड ट्रवेथिक को पहली बार भाप के इंजन को चलाने में सफलता मिली ।

भारत में रेल की शुरूआत की कहानी अमेरिका के कपास की फसल की विफलता से जुड़ी हुई है । जहां वर्ष १८४६ में कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था । इसके कारण ब्रिटेन के मैनचेस्टर और ग्लासगो के कपड़ा कारोबारियों को वैकल्पिक स्थान की तलाश करने पर विवश होना पड़ा था । ऐसे में भारत इनके लिए मुफीद स्थान था । अंग्रेजो को प्रशासनिक दृष्टि और सेना के परिचालन के लिए भी रेलवे का विकास करना तर्क संगत लग रहा था | ऐसे में १८४३ में लार्ड डलहौजी ने भारत में रेल चलाने की संभावना तलाश करने का कार्य शुरू किया । डलहौजी ने बम्बई, कोलकाता, मद्रास को रेल सम्पर्क से जोड़ने का प्रस्ताव दिया । हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका ।

इस उद्देश्य के लिए साल १८४९ में ग्रेट इंडियन पेंनिनसुलर कंपनी कानून पारित हुआ और भारत में रेलवे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ ।

विश्व की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक भारतीय रेल की पहली यात्रा को गूगल ने अपने अंदाज में सेलिब्रेट किया है । गूगल ने अपने इंडिया के सर्च पेज एक डूडल के जरिए भारतीय रेल की १६० साल पुरानी स्मृतियों को ताजा किया है।

राष्ट्रीय रेल परिवहन संग्रहालय नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित एक संग्रहालय है, जो भारत की रेल धरोहर पर ध्यानाकर्षण करता है और १६० साल के इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है। इसकी स्थापना १ फरवरी, १९७७ को की गई थी। यह लगभग १० एकड़ (४०,००० मी²) के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें भवन के अंदर और बहार, दोनो ही प्रकार की रेल धरोहरें सुरक्षित हैं । विभिन्न प्रकार के रेल इंजनों को देखने के लिए देश भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं । यहां पर रेल इंजनों के अनेक मॉडल और कोच हैं जिसमें भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी शामिल हैं । इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम जी सेटो ने १९५७ में किया था । यहां एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है, जो कि संग्रहालय में पूरा चक्कर लगवाती है । इस संग्रहालय में विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी है, जिसका इंजन सन १८५५ में निर्मित हुआ था । ये फ़ेयरी क्वीन गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स सेप प्रमाणित है । इसके अलावा यहां रेस्टोरेंट और बुक स्टॉल है। तिब्बती हस्तशिल्प का प्रदर्शन भी यहां किया गया है ।
कुछ मुख्य एतिहासिक तारीख़ें
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  • 1843 – बम्बई से थाने के बीच रेल नेटवर्क की योजना तत्कालीन बम्बई सरकार के चीफ इंजीनियर जॉर्ज क्लार्क ने बनायी ।
  • 1853 – निजी पूंजी निवेश और सरकारी सहयोग से रेल संरचना की शुरुआत ।
  • 16 अप्रैल 1853 – पहली रेल बम्बई से थाने के बीच चली, 14 डिब्बे में 400 सवारियां । तीन इंजनों – सिंध, सुल्तान और साहिब ने 21 मील के सफर को एक घंटे 15 मिनट में पूरा किया ।
  • 15 अगस्त 1854 – पहली पैसेंजर ट्रेन हावड़ा से हुगली के बीच । ईस्ट इंडिया रेलवे आम पब्लिक के लिए खोल दिया गया ।
  • 1 जुलाई 1856 – दक्षिण भारत में मद्रास रेलवे कंपनी ने व्यसरापदी और वल्लाजः रोड (आर्कोट) के बीच ट्रेन चलाई ।
  •  3 मार्च 1859 – उत्तर भारत में इलाहाबाद और कानपुर के बीच रेल की शुरुआत ।
  • 1862 – तीसरे दर्जे के डिब्बों में 2-टियर बैठने की व्यवस्था ।
  • 1 अगस्त 1864 – कलकत्ता से चलकर दिल्ली आयी पहली ट्रेन, इलाहाबाद में स्टीमर पर लाद कर पार करायी गई गंगा ।
  • 1867 – पहली उपनगरीय सेवा बम्बई बैकबे से विरार तक शुरू ।
  • 1872 – प्रथम श्रेणी डिब्बों में एयर कूलर की व्यवस्था ।
  • 1873 – विश्व की पहली मीटर गेज़ सर्विस, दिल्ली से रेवारी तक ।
  • 1874 – पहली बार चौथी श्रेणी के डिब्बे, बैठने के लिए सीट नहीं ।
  • 1880 – भारतीय रेल का विस्तार लगभग 9000 मील तक हो चुका था ।
  • 1881 – दार्जीलिंग स्टीम ट्रामवे (डीएसटी) बना दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) ।
  • 1891 – प्रथम श्रेणी डिब्बों में शौचालयों की व्यवस्था ।
  • 1893 – पहला रेल कारखाना जमालपुर में ।
  • 1899 – पहली रेल इंजन ‘लेडी कर्जन’ अजमेर में बना ।
  • 1907 – निचली श्रेणी के डिब्बों में शौचालयों की व्यवस्था ।
  • 1920 – एक्वर्थ कमिटी के सुझावों पर सरकार ने रेलवे का संचालन अपने हाथों में लिया ।
  • 1924 – रेल के वित्त को आम बजट से अलग किया ।
  • 3 फरवरी 1925 – पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन, बम्बई वीटी से कुर्ला तक चली  ।
  • 1925 – प्रथम रेल बजट पेश ।
  • 1936 – एयर कंडीशनर डिब्बों की व्यवस्था ।
  • 26 जनवरी 1950 – चितरंजन लोको वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) की स्थापना, पहली स्टीम इंजन ‘देशबंधु’ यहीं बनी । अब इलेक्ट्रिक इंजन बनाए जाते हैं । 
  • 1951 – रेलवे जोन की व्यवस्था, फिलहाल 16 जोन ।
  • 1952 – पैसेंजर श्रेणी डिब्बों में लाईट और पंखों की व्यवस्था ।
  • 1961 – डीजल लोको वर्क्स की स्थापना वाराणसी में ।
  • 1967 – लंबी दूरी के ट्रेनों में द्वितीय श्रेणी के स्लीपर डिब्बों की व्यवस्था ।
  • 1972 – स्टीम इंजनों का उत्पादन बंद ।
  • 1986 – कम्प्यूटरीकृत आरक्षण दिल्ली में शुरू ।
  • 2 दिसंबर 1999 – दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे को विश्व धरोहर (वर्ल्ड हेरिटेज) का दर्जा ।
  • विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेल नेटवर्क, सिंगल मैनेजमेंट के अंदर सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजेशन ।
  • देश का पहला रेल पुल दापुरी वायडक्ट, बम्बई-थाने मार्ग पर बना ।
  • पहली रेल सुरंग (टनेल) पारसिक टनेल है ।
  • सबसे लंबी सुरंग – करबुदे (6.5 कि.मी.) कोंकण रेलवे पर है ।
  • सबसे लंबा रेल पुल नेहरु सेतु, सोन नदी पर है ।
  • विश्व का सबसे लंबा रेलवे स्टेशन – खड़गपुर ।
  • फेरी क्वीन विश्व की सबसे पुरानी वर्किंग लोकोमोटिव ।
आज भारतीय रेल के स्वर्णिम १६० वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई ।


आज के लिनक्स












आशा है आपको आजकी प्रस्तुति पसंद आई होगी । जल्द ही मुलाक़ात होगी | आभार | धन्यवाद् 

जय जय जय श्री राम । हर हर महादेव शंभू । जय बजरंगबली महाराज  वन्देमातरम । जय हो 

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह ....
    बहुत मेहनत से पोस्ट बना है ......
    बहुत उपयोगी जानकारी देने के लिए शुक्रिया और आभार ....
    बहुत-बहुत शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति तुषार भाई ... भारतीय रेल के बारे मे काफी कुछ नया जानने को मिला ... आपका आभार !

    कब चलते है लिंक्स की सैर को ... ;)

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  3. ‘भारतीय रेल’ आज देश की जीवनरेखा बन गयी है ......... बिल्‍कुल सच कहा आपने, इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए
    आभार

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  4. ज्ञानवर्द्धक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और सुन्दर बुलेटिन पेश करने के लिए आभार।

    नये लेख : भारतीय रेलवे ने पूरे किये 160 वर्ष।

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