सभी मित्रों को महाशिवरात्रि की बधाई, महादेव की कॄपा समस्त विश्व पर बनी रहे। समस्त जग कल्याण की भावना व्याप्त रहे और संसार में सॄजनात्मकता का संचार हो और विद्रोह की भावना का अन्त हो। इस मौके पर आईए आपको आज दक्षिण काशी "हरि हरेश्वर" मंदिर के दर्शन कराएं जाएं। हरि और हर के एक साथ समाहित होनें के कारण यह पावन पूनीत तीर्थ स्थल अत्यन्त रमणीय बन चला है। मंद मंद आती हुई हवा और समुद्र की लहरों के बीच बसा यह एक छोटा सा ग्राम आपको भी भाएगा।
हरि-हरेश्वर कैसे पहुंचे:
मुम्बई से :- मुम्बई, पनवेल, गोवा हाईवे (एन एच-१७), वडखल नाका, मानगांव से दांए लीजिए और श्रीवर्धन हरिहरेश्वर के बोर्ड मिल जाएंगे।
(चित्र पर क्लिक करके बडे विन्डो में देख सकते हैं)
मानगांव से म्हस्ला तक का रास्ता ठीक है उसके बाद का रास्ता थोडा खराब है सो प्लान करते समय थोडा ध्यान दीजिएगा।
कुछ चित्र:
सभी चित्र मनीषा जी की कलाकारी हैं, हम तो आदि बाबा के साथ व्यस्त थे....
कहां ठहरें:
महाराष्ट्र पर्यटन विभाग का रिसार्ट सबसे बेहतर जगह है, हरिहरेश्वर बीच रिसोर्ट भी बहुत सुन्दर है। हरिहरेश्वर में इसके अलावा कोई तीसरी जगह मुझे नहीं दिखी। यहां से पन्द्रह किमी दूर श्री-वर्धन में रुकने के लिए कई अच्छी जगह हैं।
मुम्बई के नजदीक होनें के कारण सप्ताहांत के लिए यह बहुत अच्छी जगह है।
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चलिए अब हम अपने बुलेटिन की ओर चलें
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शंकर की तीसरी आँख और शिवलिंग ....
(बहुत पहले ये लिखा था, आज दोबारा डाल रही हूँ, अपने दोस्तों के लिए जो पढ़ नहीं पाए थे ) नेत्र, नयन या आँखें, हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। इसका सीधा संपर्क न सिर्फ शरीर से अपितु, मन एवं आत्मा से भी है। जो मनुष्य शरीर से स्वस्थ होता है उसकी आखें चंचल, अस्थिर और धूमिल होती हैं। परन्तु जिस व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर अर्थात आत्मा स्वस्थ होती है उसकी आँखें स्थिर, तेजस्वी और प्रखर होतीं
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महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि उस पावन पर्व का नाम है जब भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती से पाणिग्रहण संस्कार करा था ! हिंदू मान्यता बताती है कि त्रिमूर्ति में ब्रह्मा श्रृष्टि की रचना करते हैं, विष्णु उसका पालन, तथा शिव उसका संघार ! मानव स्वभाव कि चर्चा न करते हूए यह बताना ही पर्याप्त होगा कि भगवान शिव के विवाह को श्रृष्टि की प्रगति और विकास के लीये लाभकारी मानते हूए श्रधालु बड़ी धूमधाम, और जोश से इस पर्व को मनाते हैं ! यदि आप आकड़ो पर जाते हैं तो आप पायेंगे की भारत में सबसे ज्यादा मंदिर शिव के हैं, फिर विष्णु तथा उनके अवतार जैसे राम और कृष्ण के, और संभवत: ब्रह्मा का एक सिद्ध और मान्यता प्राप्त मंदिर... more »
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शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या -17
बड़ा आदमी मैंने सोचा और विचारा बड़ा आदमी बन जाऊं टाटा और अम्बानी जैसा पैसे से तौला जाऊं. मैंने सोचा और विचारा सी .ऍम.,पी.ऍम. बन जाऊं देश विदेश मे घुमू हर पल वी आई पी कहलाऊं. मैंने सोचा और विचारा शाहरुख जैसा बन जाऊं ऐश्वर्या से गल बहिआं हों हीरो शीरो कहलाऊं. मैंने सोचा और विचारा धोनी जैसा बन जाऊं चौकों -छक्कों की बारिश हो विज्ञापन ...मे छा जाऊं. एक बार बच्चन जी बोले कुछ दिन साथ हमारे आओ बड़े आदमी कैसे रहते खुद सब तुम देख के जाओ. अपने मन से पीना खाना गली सहर मे घूमने जाना खेतों मे गन्ने का चखना चलते फिरते गाना गाना मक्का की रोटी का खाना दूध जलेबी संग मे भाना बड़ा आदमी बनकर भैया भूल चूका हूँ... more »
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सुबह जब आँख खुली
सुबह जब आँख खुली तो सुबह बदली बदली सी लगी ना सूरज की रश्मियाँ दिखाई दी ना कोयल की कूंक चिड़ियों की चचहाट सुनायी दी ना पत्तों पर ओस की बूँदें ना कलियों में पुष्प बन खिलने की आतुरता थी सोचता समझता कारण जानने का प्रयत्न करता उसे पहले ही पता चल गया आज भी अखबार के पहले पन्ने पर एक नाबालिग से बलात्कार फिर ह्त्या की खबर छपी थी 18-18-08-01-2013 नारी,उत्पीडन,स्त्री ,अत्याचार,हत्या,बलात्कार ..
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और मुकम्मल हो गयी ज़िन्दगी ………:)……500 वीं पोस्ट
अपनी अपनी हदों में चिने हमारे वजूद जब भी दखल करते हैं हदों की खामोशियों में एक जंगल चिंघाड उठता है दरख्त सहम जाते हैं पंछी उड जाते हैं पंख फ़डफ़डाते घोंसलों को छोडना कितना दुरूह होता है मगर चीखें कब जीने की मोहताज हुयी हैं शब्दों के पपीहे कुहुकना नहीं जानते शब्दों का अंधड हदों को नागवार गुजरता है तो तूफ़ान लाज़िमी है फिर सीमायें नेस्तनाबूद हों या अस्तित्व को बचाने का संकट हदों के दरवाज़ों पर चोट के निशाँ नहीं दिखते गहरी खामोशियों की सिलवटों पर केंचुये रेंग रहे होते हैं अपनी अपनी सोच के और करा जाते हैं अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज अपने अपने दंभ की नालियों में सडकर क्षणिक नागवारियाँ , क्षणिक का... more »
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स्वाधीनता संग्राम और फ़िल्मी गीत (भाग-1)
भारत के स्वाधीनता संग्राम में फ़िल्म-संगीत की भूमिका (भाग-1) 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का नमस्कार! मित्रों, आज 'सिने पहेली' के स्थान पर प्रस्तुत है विशेषालेख 'भारत के स्वाधीनता संग्राम में फ़िल्म-संगीत की भूमिका' का प्रथम भाग। 1930 के दशक के आते-आते पराधीनता के ज़ंजीरों में जकड़ा
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एक श्रमिक विवाद
दिल्ली के ओखला औधोगिक क्षेत्र में स्थित एक परिधान निर्यात फैक्ट्री में उत्पादन के लिए जगह कम थी| सो उत्पादन बढाने के लिए फैक्ट्री मालिक ने औधोगिक क्षेत्र के आस-पास अलग-अलग जगह लेकर उनमें उत्पादन के लिए मशीनें लगा रखी थी जिन्हें सरकारी नीतियां बदलने के बाद सरकारी आदेश के कारण उन्हें बंद करना पड़ा| फैक्ट्री मालिक ने उत्पादन कम ना हो और एक जगह सभी कार्य हो सके इसके लिए दिल्ली के पास ही नोयडा में अपनी जरुरत के मुताबिक जगह लेकर उसमें अपना कारखाना स्थापित कर लिया| जो सरकारी नियमों के पालन के लिए तो जरुरी था ही साथ ही निर्यात के लिए विदेशों से माल के आदेश लेने के लिए ग्राहकों की शर्तों को
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हम जिये है पूर्ण, छवि व्यापी रहे
मौन क्यों रहता नियन्ता, क्या जगत का दाह दिखता नहीं उसको? मूर्ति बन रहती प्रकृति क्यों, क्या नहीं उत्साह, पालित हो रहे जो? काल क्यों हतभाग बैठा, क्या सुखद निष्कर्ष सूझे नहीं जग को? प्राण का निष्प्राण बहना, आस का असहाय ढहना, हार बैठे मध्य में सब, है नहीं कुछ शेष कहना, वधिक बनती है अधोगति, आत्महन्ता, सो गयी मति, साँस फूला, राह भूला, क्षुब्ध जीवन ढो रहा क्षति, बस सशंकित सा श्रवण है रुक गया अनुनाद क्रम है, शब्द हो निष्तेज गिरता, डस रहा जो, अन्ध तम है, हाथ धर बैठे रहें क्यों, आज जीवन, नहीं बरसों, पूर्णता का अर्ध्य अर्पित, जी सके प्रत्येक दिन यों, तो नियन्ता को, प... more »
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पाकिस्तान! कौन सा पाकिस्तान?...खुशदीप
पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क़ है...ये भी सोलह आने सच है कि मर्ज़ी से कभी पड़ोसी बदले नहीं जा सकते...फिर पाकिस्तान जैसे मर्ज़ की दवा क्या है...जवाब जानना चाहते हैं तो पोस्ट के आख़िर में स्लॉग ओवर पढ़ना ना भूलिएगा... पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ ज़ियारत के लिए आज अजमेर शरीफ़ आ रहे हैं...पहले भी पाकिस्तान के कई हुक्मरान ख्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए आ चुके हैं...ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का घर हर एक के लिए खुला है...मज़हब या मुल्क की हदों जैसी यहां कोई बंदिशें नहीं हैं...कोई भी यहां आकर दुआ कर सकता है...अब राजा परवेज़ कौन सी दुआ करने के लिए आ रहे हैं ये ...more »
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आदिवासी अंचल में पलायन की पड़ताल...
आदिवासी अंचल में पलायन एक बहुत बड़ा मुद्दा है। पलायन के कारण हर साल सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई दांव पर लग जाती है। कई बार पूरे परिवार के पलायन करने की स्थिति में बच्चों का स्कूल जाना छूट जाता है। अध्यापक घरों पर पता करने के लिए जाते हैं तो उनको गोल मटोल जवाब मिलता है कि बच्चा किसी रिश्तेदार के घर घूमने गया है। वे उनको सही कारण बताने से कतराते हैं। अध्यापकों को पड़ोसियों से पता चलता है कि उनका लड़का या लड़की तो पास के शहर में काम करने गया है। रोजगार के अवसरों के अभाव में पलायन एक सहज स्वाभाविक विकल्प के रूप में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पलायन के कारण पति बाहर चले जाते हैं... more »
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साहिर लुधियानवी की स्मृति में डाक टिकट जारी.
प्रख्यात उर्दू शायर साहिर लुधियानवी के जन्म दिवस पर शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मुखर्जी ने कहा कि साहिर लुधियानवी एक ऐसे शायर थे, जिन्होंने लोगों की रोजमर्रा की जीवन से जुड़ी मुश्किलों और उससे जुड़े उनके सब्र के इम्तिहान के बारे में बहुत कुछ लिखा है। उर्दू के इस महान शायर की मृत्यु 25 अक्तूबर, 2013 को हुई थी। हिंदी फिल्मों के उनके गीतों में सुंदरता व प्यार को खास तवज्जो दी गई है। उनके नाम पर डाक टिकट जारी करने के मौके पर केंद्रीय दूर संचार प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल समेत कई प्रमुख हस्तियां... more »
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मित्रों आज के लिए इतना ही, आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा, तो फ़िर मिलते हैं कल फ़िर एक नये रूप में....
जय हिन्द
देव
बहुत सुन्दर लिंक्स देव बाबू | बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
सुंदर संयोजन के लिये भी बधाई
जय हो देव बाबू ... बड़े दिनों बाद आना हुआ आपका ... पर क्या खूब वापसी की है ... सैर की सैर ... दिव्य दर्शन ... और उम्दा लिंक्स ... सब मिला कर एक शानदार बुलेटिन !
जवाब देंहटाएंजय हो ... ज़िन्दगी ने कभी मौका दिया तो एक ऐसी ही ट्रिप पर चलेंगे हम सब !
मनोरम स्थल और बड़े ही पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंशुभ शिवरात्रि आपको परिवार सहित
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स
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