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रविवार, 31 मार्च 2013

खोना मुझे मंजूर नहीं


मैं हूँ .... कहीं गायब नहीं ....
खोना मुझे मंजूर नहीं 
पाने की हर सम्भव कोशिशें हर पल !
मेरा वादा है 
मैं मरकर भी जिंदा रहूंगी 
लफ्ज़ लफ्ज़ लम्हों में 
तुम पुकारोगे 
उद्विग्न होगे 
दोराहे पर असमंजस की स्थिति में होगे 
तभी हल्की बयार तुम्हें छू जाएगी 
और फिर 
स्वगत तुम मुझसे बातें करना 
मैं तुम्हारे मन में प्रत्युत्तर बन अंकुरित होती रहूंगी 
तुम्हारे सर पर हाथ रख 
सारी उद्विग्न्ताएं ले लुंगी 
दोराहे से एक रास्ते पर ले चलूंगी 
.... 
मैंने जो जो चाहा 
यक़ीनन मैं तुम्हें दूंगी 
सच मानो - यह वादा एक सच है !!!

मृत्यु उपरान्त जीवन का दर्शन 
मैं बताऊँगी 
धरती - आकाश - पाताल के उलझे 
रहस्यात्मक धागे खोलकर रखूंगी 
ताकि तुम उन धागों से बुन सको एक नया इतिहास 
अतीत की सलाइयों पर .....


          रश्मि प्रभा 


जीवन के पाँच रहस्य | ज्ञान के मोती









हाँ फिर मिलूँगी 
तब तक 
जब तक महाकाव्य,महाग्रंथ न लिखा जाए 
कि रहस्य कुछ भी नहीं 
आँखों का,मन का भ्रम है 
जो तुमसे मिलता है 
वह अर्थहीन नहीं 
उसकी गालियाँ भी सीढ़ी है 
उस पर भी पाँव रखो 
ताकि तुम जान सको 
कि गाली सुनना अपमानजनक है . 
जो तुम्हें नहीं मिलता 
वह दुर्भाग्य नहीं सौभाग्य है 
तुम व्यर्थ अपनी हार समझ लेते हो . 
चेहरे पर 
मन पर पड़े उँगलियों के निशान 
सिर्फ तुम्हारा सत्य नहीं 
हर किसी का सत्य है 
मानने,नहीं मानने से 
सत्य बदला है कभी ?
नहीं न ....
तो सत्य के साथ रहो 
सलीब पर होकर भी 
तुम तुम ही रहोगे 
तुम्हारे सारे रक्त चूसकर भी 
कोई तुम्हें मार नहीं सकता 
हाँ .... उसकी मौत उसके ही अन्दर रोज होती है 
कथन,कृत्य के दोहरेपन को 
वह कितना भी संवारे 
न छवि बनती है 
न छवि बिगडती है ...
सब अपनी अपनी सोच है 
!!!!!!!!!!!!!!!!!!

                                         

          रश्मि प्रभा 

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर कविता और लिंक चयन रश्मि जी | आभार

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  2. सुन्दर कविता के साथ सुन्दर लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  3. खोना मुझे भी मंजूर नहीं ... खास कर जब इतने प्यारे लिंक्स हो ... ;)

    जवाब देंहटाएं
  4. आभारी हूँ रश्मिप्रभा जी मेरी रचना का आपने आज के बुलेटिन के लिए चयन किया ! आपकी रचना बहुत ही खूबसूरत है ! एक मशाल की तरह ! औरों के मार्ग को प्रकाशित करती, पस्त होते हौसले को नई ऊर्जा से संचारित सा करती ! आपको ढेर सारा धन्यवाद एवँ शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  5. जो तुम्हें नहीं मिलता
    वह दुर्भाग्य नहीं सौभाग्य है !!
    आशावाद की पराकाष्ठा ..
    प्रेरक विचार ..

    जवाब देंहटाएं
  6. मन पर पड़े उँगलियों के निशान
    सिर्फ तुम्हारा सत्य नहीं
    हर किसी का सत्य है
    मानने,नहीं मानने से
    सत्य बदला है कभी ?
    नहीं न ....
    तो सत्य के साथ रहो
    बिल्‍कुल सच कहा आपने ... दोनो ही रचनाओं में बेहद सशक्‍त भाव
    के साथ बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने
    सादर

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