प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
लीजिये आज एक लतीफा पढ़िये ... वैसे काफी हद तक यह एक सच्चाई भी है ... हमारे देश मे ... अक्सर सरकारी काम ऐसे ही निबटाया जाता है यहाँ !
तीन ठेकेदार एक पुलिया की मरम्मत के ठेके के लिए बोली लगाने पहुंचे। अधिकारी उन्हें उस पुलिया पर ले गया जिसकी मरम्मत होनी थी।
पहले ठेकेदार ने जेब से फीता निकाला, कुछ नापतौल की, कैलकुलेटर पर कुछ हिसाब लगाया और बोला – मैं इस काम को 90000 रुपए में कर दूंगा। 40000 सामग्री के लिए, 40000 मजदूरों के लिए और 10000 मेरे लिए।
दूसरे ठेकेदार ने भी नाप तौल की, कुछ हिसाब लगाया और बोला – 70000 रुपए। 30000 सामग्री के लिए और 30000 मजदूरी के। बाकी 10000 मेरे।
तीसरे ठेकेदार ने न नापतौल की न हिसाब लगाया। अधिकारी के कान के पास मुंह ले जाकर कहा – 270000 रुपए।
अधिकारी बोला – देख नहीं रहे। दूसरा 70000 में करने को तैयार है । कुछ नापतौल तो करो, हिसाब तो लगाओ तब बोलो।
तीसरा ठेकेदार फिर उसके कान में फुसफुसाया – पूरी बात तो सुनिए …… । एक लाख मेरे, एक लाख आपके और 70000 दूसरे वाले ठेकेदार के लिए जो यह काम करके देगा।
और ठेका तीसरे ठेकेदार को दे दिया गया….
पहले ठेकेदार ने जेब से फीता निकाला, कुछ नापतौल की, कैलकुलेटर पर कुछ हिसाब लगाया और बोला – मैं इस काम को 90000 रुपए में कर दूंगा। 40000 सामग्री के लिए, 40000 मजदूरों के लिए और 10000 मेरे लिए।
दूसरे ठेकेदार ने भी नाप तौल की, कुछ हिसाब लगाया और बोला – 70000 रुपए। 30000 सामग्री के लिए और 30000 मजदूरी के। बाकी 10000 मेरे।
तीसरे ठेकेदार ने न नापतौल की न हिसाब लगाया। अधिकारी के कान के पास मुंह ले जाकर कहा – 270000 रुपए।
अधिकारी बोला – देख नहीं रहे। दूसरा 70000 में करने को तैयार है । कुछ नापतौल तो करो, हिसाब तो लगाओ तब बोलो।
तीसरा ठेकेदार फिर उसके कान में फुसफुसाया – पूरी बात तो सुनिए …… । एक लाख मेरे, एक लाख आपके और 70000 दूसरे वाले ठेकेदार के लिए जो यह काम करके देगा।
और ठेका तीसरे ठेकेदार को दे दिया गया….
अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर कब तक अपने देश मे निर्माण इस तरह से होते रहेंगे ... कब तक यह कमीशन खोरी चलती रहेगी !?
अब चलते है आज की बुलेटिन की ओर !
सादर आपका
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इसी कमीशन खोरी ने भारत राष्ट्र का दोहन कर रखा है ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स, मेरी पोस्ट शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंइस लोकतंत्र में तो ये कमीशन खोरी रुकनी नहीं बढ़ेगी ही !!
जवाब देंहटाएंजब कवियों ने मनाई मित्र राजा की रूठी प्रेयसी
बढिया लिंक
जवाब देंहटाएंकहानी बहुत सही लगी, लिंक्स भी बहुत अच्छे हैं।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान दिया, बहुत धन्यवाद !
चलती रहेगी शिवम् भाई - इसीसे तो लोग ऐंठ कर चलते हैं . अपनी कमाई पर रहें तो सब औकात में ही चलेंगे
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र जोड़े हैं आपने ,शुक्रिया मेरी रचना को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति आपकी रिश्वत खोरी की ,यह देश को ले डूबी है