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बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

जानिए मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज मैं आपको मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका बताने वाला हूँ, बहुत ध्यान से पढ़ें :-

चीनी और लाल मिर्च का मिश्रण बना कर मच्छर को दें।

 मिश्रण खाते ही वो पानी की तलाश में निकलेगा।

 जैसे ही वो पानी के टैंक के पास जाए उसे धक्का दे दो।

 वो भीग जाएगा और खुद को सुखाने के लिए आग के पास जाएगा।

 उसी वक्त आप आग में बम फ़ेंक दें।

 वो बुरी तरह ज़ख़्मी हो के अस्पताल में दाखिल हो जाएगा।

 आप वहां जाकर उसका आक्सीजन मास्क उतार दें।

 मच्छर मर जाएगा...

अरे नहीं नहीं ... धन्यवाद की कोई ज़रूरत नहीं है, मुझे आप की सहायता करके ख़ुशी हुई।

सादर आपका

शिवम मिश्रा
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भोर तो आ के रहेगी ---

भोर तो आकर रहेगी -------------------------- कितना भी हो घना अँधेरा सुबह कुहासे की चादर फाड़ सूरज धीमी धीमी मुस्कान बिखेरेगा ही ------------- भोर तो आकर रहेगा मुझे मेरा मन कभी दुलार से तो कभी डांट के समझाता है पता है वो सच कह रहा है नहीं निकल पा रही हूँ मै उन लछमण रेखाओं के बाहर जो मैने खुद ही खींच ली थी और खुद को तुम्हारे साथ ही बंद कर लिया था जिसमें क्या बताऊँ ? तुम्हें भी बताना होगा क्या तुमको समझने में मै खुद को भूल गई थी आशा और निराशा धूप छाँव सी आती जाती है पर मुझे पता है वक्त लगेगा थोड़ा लेकिन मैं निकल आऊँगी बाहर अपनी ही खींची हुई परिधि से तुम वापस आओगे जरुर पता है मुझे पर तब तक कहीं... more »

सिनेमा और साहित्य की संगत

विमलेन्दु at उत्तम पुरुष
*( भारतीय सिनेमा के सौ बरस पूरे होने पर )* आज भारतीय सिनेमा का शताब्दी वर्ष पूरा हो गया. जाते-जाते यह एक गंभीर प्रश्न को पुनर्जीवित कर गया कि, क्या भारतीय सिनेमा धर्म-निरपेक्ष नहीं रहा ? इसी प्रश्न के दूसरे प्रति-प्रश्न भी हैं कि, क्या भारतीय दर्शक धर्म-निरपेक्ष नहीं रहा ? या फिर यह कि किसी राजनीतिक-आर्थिक महत्वाकांक्षा के चलते, ऊपर के दोनों प्रश्न, अफवाह के शिल्प में उड़ाये जाते हैं ? ताज़ा विवाद ‘विस्वरूपम् ‘ को लेकर चल रहा है. कहा जा रहा है कि इसमें कुछ धार्मिक टिप्पणियाँ हैं. मुझे समझ में नहीं आता कि जब भी कोई कला-माध्यम किसी धार्मिक विषय पर टिप्पणी करता है तो वो इतनी more »

विवादित होते पद्म पुरस्कार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा
*अब समय आ गया है कि इन पुरस्कारों की हालत भी टी.वी. पर हर पखवाडे दिखने वाले पुरस्कारों जैसी हो जाए, इसके चयन का तरीका तुरंत बदल देना चाहिए और यदि तुष्टीकरण जैसी मनोदशा के कारण ऐसा संभव ना हो तो इस प्रथा को खत्म ही कर देना श्रेयस्कर होगा।* पद्म पुरस्कार। देश का सर्वाधिक सम्मानित सम्मान।अपने को इसके लायक बनाने के लिए अथक परिश्रम किया जाता रहा है। जिसे पा कर वर्षों से अपने-अपने फन में सिद्धहस्त लोग गौरवान्वित होते रहे हैं। कुछ ऎसी भी हस्तियाँ होती हैं जिनके पास पहुँच कर ये सम्मान भी कृतार्थ होते हैं, पर इसके साथ ही अब ऎसी झोली में भी ये जा पड़ते हैं जहां इनका   more »

कुपोषित भावनाओ को चवनप्रास खिलाये ! - - - - - mangopeople

anshumala at mangopeople
*नोट -*--- कमजोर भावनाओ वाले लोग इस लेख को न पढ़े आप की भावनाए आहत हो सकती है । टीवी पर आज कल एक सरकारी विज्ञापन आ रहा है , पापा पापा स्कुल के बच्चे मुझे बुद्धू कहते है , क्योकि मुझे जल्दी बाते समझ नहीं आती है । क्या आप का बच्चा बातो को देर से समझता है पढाई में कमजोर है , बार बार बीमार पड़ता है तो जरा उसकी सेहत की जाँच कराये आप का बच्चा कुपोषण का शिकार हो सकता है , उसके खानपान पर ध्यान दे और उसे सेहतमंद बनाये ताकि वो बार बार बीमार न पड़े । यही विज्ञापन जरा कुछ बड़ो पर लागु करे तो कैसे होगा , क्या आप की भावनाए बार बार आहत होती है किसी फिल्म , पेंटिंग, किताब, साहित्य को देख, लड़कियों क... more »

वज़न,माइग्रेन,उच्च-रक्तचाप और डायरिया के लक्षणों पर ग़ौर करें

Kumar Radharaman at स्वास्थ्य 
अक्सर यह देखा जाता है कि किसी मरीज की बीमारी, मुख्य समस्या न होकर किसी अन्य बीमारी का लक्षण मात्र होती है। इसे ‘शेडो डिजीज’ भी कहा जाता है। माइग्रेन और दिल की बीमारी का सम्बन्ध इसका उदाहरण है। आइए जानते हैं ऐसी कुछ बीमारियों के बारे में, जो किसी अन्य गंभीर बीमारी का इशारा भर हो सकती हैं- *वजन कम होना* किस ओर है इशारा-डायबिटीज, कैंसर, लिवर या थॉयराइड संबंधी समस्या का लक्षण अचानक आपका वजन बहुत कम हो गया है। आप कहेंगे वजन कम होना तो अच्छी बात है। लेकिन, कम समय में ही बहुत ज्यादा वजन कम होना चिंता का विषय है। यह किसी अन्य बीमारी का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से सं... more »

दिल की दास्ताँ – भाग २

लालाजी भी आदत से बाज़ आने वालों में से नहीं थे | उन्होंने भी सुधांशु के गाल पर तमाचा रसीद करने में ज़रा भी वक़्त जाया नहीं किया | उसके कोमल मन पर बारम्बार ऐसे आघात उसके स्वाभाव को और ज्यादा विद्रोही बनाते जा रहे थे | उसको एहसास होने लगा था के उसके साथ गलत हो रहा है पर बताता कैसे और किसको | न कभी उसकी किसी ने सुनी, पढाई में अव्वल आने पर न कभी शाबाशी मिली न कोई इनाम, न कभी खुद ही घुमने गए न उसे घुमाने ले गए, कूप मंडूप से हर समय घर में पड़े रहो और बैठे रहो | वो आसमान का पंछी बनना चाहता था और यहाँ सब उसके पर कतरने में लगे थे | उसकी परवाज़ को पंख देने की जगह उसे पिंजड़े में क़ैद कर रहे थे | बस ... more »

मोबाइल फोन पड़ गए जबसे, गधों के हाथ में !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
*ढेंचू-ढेंचू के ही स्वर सुनाई पड़ते है अब, सकल दिन-रात में,* *मोबाइल फोन पड़ गए हैं यहाँ जबसे,तमाम गधों के हाथ में। * *लांघने को बाकी न छोड़ा, इनकी परस्पर ढेंच्विंग की हदों ने, * *जुबाँ है पास सबके किन्तु माँ कसम, हद कर दी इन गधों ने। * *मुहँ भीं नहीं थकते, राम जाने क्या है **इनकी **रसभरी बात में।* *मोबाइल फोन पड़ गए हैं यहाँ जबसे, तमाम गधों के हाथ में।।* * **'अनलिमिटेड ढेंचुआने' का पॅकेज ले रखा है गधे-गधी दोनों ने, * *सड़क, लाइन पार करते कई जिंदगियां लील ली इन फ़ोनों ने। * *मग्न अकेले ही ढेंचुआते है पागलों की तरह, कोई न साथ में। * *मोबाइल फोन पड़ गए हैं यहाँ जबसे, त... more »

खलबली है खलबली ...

शिवम् मिश्रा at पोलिटिकल जोक्स - Political Jokes
*गुप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि जैसे ही सिंह साहब को पता चला कि मोदी जी प्रधानमंत्री निवास आ रहे है, उन्होने अपना बोरिया बिस्तर बांधना शुरू कर दिया था ... बड़ी मुश्किलों से उनको समझाया जा सका कि सिर्फ मुलाक़ात होनी है ... वैसी कोई बात नहीं है जैसा वो समझ रहे है !*

स्वर्ग-नर्क के बँटवारे की समस्या - व्यंग्य

महाराज कुछ चिन्ता की मुद्रा में बैठे थे। सिर हाथ के हवाले था और हाथ कोहनी के सहारे पैर पर टिका था। दूसरे हाथ से सिर को रह-रह कर सहलाने का उपक्रम भी किया जा रहा था। तभी महाराज के एकान्त और चिन्तनीय अवस्था में ऋषि कुमार ने अपनी पसंदीदा ‘नारायण, नारायण’ की रिंगटोन को गाते हुए प्रवेश किया। ऋषि कुमार के आगमन पर महाराज ने ज्यादा गौर नहीं फरमाया। अपने चेहरे का कोण थोड़ा सा घुमा कर ऋषि कुमार के चेहरे पर मोड़ा और पूर्ववत अपनी पुरानी मुद्रा में लौट आये। ऋषि कुमार कुछ समझ ही नहीं सके कि ये हुआ क्या? अपने माथे पर उभर आई सिलवटों को महाराज के माथे की सिलवटों  more »

चक्रव्यूह फेसबुक का

राजीव तनेजा at हँसते रहो
***राजीव तनेजा*** [image: facebook-addiction] फेसबुकिया नशा ऐसा नशा है कि एक बार इसकी लत लग गई तो समझो लग गयी...बंदा बावलों की तरह बार बार टपक पड़ता है इसकी साईट पर कि..."जा के देखूँ तो सही मुझे कितने लाईक और कितने कमेन्ट मिले हैं?"... "अरे!...तुझे क्या लड्डू लेने हैं इन लाईक्स और कमैंट्स से जो बार बार फुदक कर पहुँच जाता है फिर से उसी नामुराद ठिकाने पे?".... [image: rgwertg3gr] "क्या कहा?....दिल नहीं मानता?".... "हुंह!...दिल नहीं मानता....अरे!...अगर दिल की सुनने का इतना ही शौक है तो क्यों नहीं सुनी तब अपने दिल की जब वो लम्बू का छोरा..हाँ-हाँ...वही (*अभिषेक *का बच्चा और कौन... more »

हलवा -परांठा से पापा...

shikha varshney at स्पंदन SPANDAN
इंसान अगर स्वभाववश कोमल ह्रदय हो तो वह आदतन ऊपर से एक कठोर कवच पहन लेता है। कि उसके नरम और विनम्र स्वभाव का कोई नाजायज फायदा न उठा सके। ज्यादातर आजकल की दुनिया में कुछ ऐसा ही देखा जाता है. विनम्रता को लोग कमजोरी समझ लिया करते हैं। जैसे अगर कोई विनम्रता और सरलता से अपनी गलतियां या कमजोरियां स्वीकार ले तो हर कोई उसकी कमियाँ निकालने पर आमदा हो जाता है क्योंकि दूसरों की कमियाँ गिनाने में ही उन्हें अपनी विद्वता का अहसास होता है शायद, परन्तु वहीँ एक कठोर स्वभाव वाले से कोई भी उसकी कमियों की चर्चा करने की हिम्मत कम ही करता है। अत: बहुत मुमकिन है कि इसी वजह से अन्दर से कोमल इंसान बाहरी ... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. नायाब तरीका है मच्छर मारने का, अब तक कहाँ थे?:).
    रोचक बुलेटिन.

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  2. मस्त शिवम् भाई ........... शीर्षक देखकर मैं बहुत खुश हुई कि चलो कोई नुस्खा मिलेगा ...... यहाँ तो मच्छड़ न हुआ आतंक का सफाया हो गया :)
    लिंक्स तो सब काबिलेतारीफ .... मैं नहीं हूँ :(

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  3. शिवम् भाई तुस्सी छा गए | उधर से भाग कर मछर इधर आ गए | अब तो मुझे भी एक नया तरीका इजाद करना पड़ेगा भाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  4. आपके तरीके से मच्छर मारने की कोशिश की । कामयाब नही हुआ पर फिर भी आपका धन्यवाद

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  5. ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद ! कम्बखत मच्छरों ने भी ये पढ़ लिया :)

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  6. अदभुत--बहुत सुंदर
    बहुत बहुत बधाई

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  7. मच्छर मारने का अचूक नुस्खा हाथ लगा आपके इस ब्लॉग बुलेटिन से...
    बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित बुलेटिन ....

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  8. वक्त पहिये लगा कर उड़ गया ..मच्छर मारने के चक्कर में ...अब वक्त को पकड़ने को दौड़ रही हूँ ....पीछे-पीछे.....:-)

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  9. बहुत ही सुन्दर कमाल की रचनाओं की सुन्दर प्रस्तुती, लगता है मच्छर मारने के नुख्से का प्रयोग बहुत लोग कर रहे है तभी तो बहुत सारे मच्छर इधर UAE में भाग आयें है। बहुत ही सुन्दर लगा ब्लॉग आपका।

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  10. पिछला नुस्खा कारगार नहीं रहा क्या जिसमें पहले मच्छर पकड उसका मुंह खोल उसमें कुनैन की गोली डाल देते थे?
    वैसे वह तरीका अहिंसक भी था तथा जीव-जंतु संरक्षक गुट से अनुमोदित भी !!!

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  11. हमारी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!